🌷अंग स्पर्श मंत्र🌷 ✍️@Gulshan kumar
🌷अंग स्पर्श मंत्र🌷 ✍️@Gulshan kumar 🔥 ओ३म् 🔥 🌷 अंग स्पर्श मंत्र 🌷 ✍️👉 आचमन के पश्चात बायें हाथ की हथेली पर थोड़ा जल लेकर दाहिने हाथ की मध्यमा और अनामिका ( बीच की दोनों अंगुलियों को मिलाकर) उनसे अंगुठा लगाकर मृगी मुद्रा द्वारा जल से स्पर्श कर मन्त्रोच्चारण के बाद जिस - जिस अंग का नाम आये उस - उस अंग को स्पर्श करें । जल से इन्द्रियों के स्पर्श द्वारा बाहरी पवित्रीकरण किया जाता है क्योंकि मानसिक निरोगता की प्राप्ति मन और इन्द्रियों की पवित्रता पर ही आश्रित हैं। स्वार्थ रहित सत्कर्मों से ही इन्द्रियों में सद्भावनाऐ उत्पन्न होकर पवित्रता आया करती है । वैदिक ऋषि अथवा योगी की दृष्टि में हमारी देह ( काया) आठ चक्रों, नौ द्वारों वाली देवताओं अथवा इन्द्रियों की नगरी अयोध्या है ।इन इन्द्रियों में दिव्वता बनी रहें इसलिए वाणी, नाक,कान,आँख, कान,भुजा पैर आदि इन्द्रियों का स्पर्श, मार्जन किया जाता है। इसे अंग न्यास भी कहते हैं