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👫कन्यादान...👫

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                          👫कन्यादान...👫 साभार काव्य जनक्रान्ति कार्यालय से अनील कुमार यादव  खगड़िया, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 09 दिसम्बर,2020 ) ।                         👫कन्यादान...👫 🎅 पिता :- कन्यादान नहीं करूंगा जाओ ,                 मैं नहीं मानता इसे , क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं ,जिसको दान में दे दूँ ; मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में ,        पति के साथ मिलकर निभाना तुम , मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा , आज से तुम्हारे दो घर ,जब जी चाहे आना तुम ,   जहाँ जा रही हो ,खूब प्यार बरसाना तुम , सब को अपना बनाना तुम ,पर कभी भी   न मर मर के जीना ,न जी जी के मरना तुम , तुम अन्नपूर्णा , शक्ति , रति सब तुम ,         ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम , न तुम बेचारी , न अबला ,        खुद को असहाय कभी न समझना तुम , मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें ,         मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ , उसे बखूबी निभाना तुम ................. * एक नयी सोच एक नयी पहल * सभी बेटियां के लिए                                        🔰🚥🚥🔰            

समस्या मुलक मौलिक रचना..... त्राहि-त्राहि मचाये पानी

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  समस्या मुलक मौलिक रचना.....                       त्राहि-त्राहि मचाये पानी                                                                      प्रवीण वत्स , समस्तीपुर समस्या मुलक मौलिक रचना..... समस्तीपुर, बिहार (जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 26 सितंबर, 2020 ) ।  👉 ✍️त्राहि-त्राहि मचाये पानी👈 👉🗣️उपर पानी नीचे पानी, शहरों में धिक्कार जवानी!! तंत्र शिथिल और अंधा शासक.., क्रूर घिनौना पद प्रशासक..? बेमौसम नाला खुलवाता.., बीच सड़क है रथ दौड़ाता..,?? गली-गली का नहीं सुधि लेता.., लूट-खसोट कमीशन पाता...,??? कान का बहरा ,आंखों से अंधा..., सफेदपोशों के सामने दुम हिलाता...,! गिरता-परता घायल गाली देता..,!!?? नगरपालिका अध्यक्ष बेईमानी, नगरवासी का विकास बेईमानी, त्राहि-त्राहि मचाए पानी..!!! उपर पानी नीचे पानी!!!! शहरों में धिक्कार जवानी..!!!..!! तंत्र शिथिल और अंधा शासक,...?? उपर पानी नीचे पानी,।।।। समस्तीपुर कार्यालय से प्रकाशक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रवीण वत्स समस्तीपुर की समस्या मुलक मौलिक रचना प्रकाशित ।Published by Jankranti...

*Nice lines for Sr. Citizens* "जीने की असली उम्र....✍️

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                          *Nice lines for Sr. Citizens*                         "जीने की असली उम्र....✍️ ✍️अभिषेक कुमार श्रीवास्तव             समस्तीपुर ,बिहार               *Nice lines for Sr. Citizens*                         "जीने की असली उम्र....✍️ समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिंदी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 25 सितंबर, 2020 ) ।  ```जीने की असली उम्र तो साठ है. बुढ़ापे में ही असली ठाठ है,     ना बचपन का होमवर्क,       ना जवानी का संघर्ष,      ना 40 की परेशानियां,  बेफिक्रे दिन और सुहानी रात है,   जीने की असली उम्र तो साठ है,    बुढ़ापे में ही असली ठाठ है,        ना स्कूल की जल्दी,      ना ऑफिस की किट किट,          ना बस की लाइन,      ना ट्रैफिक का झमेला,       सुबह रामदेव का योगा,          दिनभर खुली धूप,        दोस्तों यारों के साथ    राजनीति पर चर्चा आम है,    जीने की असली उम्र तो साठ है,   बुढ़ापे में ही असली ठाठ है,     ना मम्मी डैडी की डांट,  ना ऑफिस में बॉस की फटकार       पोते-पोतियों के खेल,            बेटे-बहू का प्यार,        इज्जत से

देखो उलझ गया पुरा संसार , कोरोना लिया है पाऊं पसार !

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देखो उलझ गया पुरा संसार ,  कोरोना लिया है पाऊं पसार !                                   Mask corona help vires                                                         प्रमोद कुमार सिन्हा                                                        बेगूसराय, बिहार ऐसा मजा कोई लड़का ना दे सकेगा बुड्ढे का राज है,  इसे मामूली मत समझो भगवान का दिया ताज है ।  बेगूसराय/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 03 जून,2020 ) ।  देखो उलझ गया पुरा संसार ,  कोरोना लिया है पाऊं पसार , कौन जियेगा अब कौन मरेगा,  लॉ क डाउन से है कौन डरेगा,  रबर की तरह बढ़ता जा रहा ,  रहोगे कैसे कर लो तू बिचार,  देखो उलझ गया....!  महामारी सबसे विकट भारी ,  मानव के लिये है संहारकारी,  इसका ना है कोई दवा दारू,  दुरी बनाओ कर लो व्यबहार,  देखो उलझ गया..... !! खोज में लगे सभी बैज्ञानिक,  दवाई हेतु लगे अनुसंधानिक,  मिल ना पाया कोई भी उपाय,  मरने बाले करते हैँ चीत्कार,  देखो उलझ गया.....!!  कम ही होता जाँच पड़ताल,  किट कम लाचार अस्पताल ,  जैसे तैसे करते हैँ सब काम,  बचाने को कैसे करे सरकार,  देखो उलझ गय

अभी नया नया दो गज की है जो दुरी , पहले भी था ओ आज भी है मज़बूरी

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  अभी नया नया दो गज की है जो दुरी ,  पहले भी था ओ आज भी है मज़बूरी बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 27 अप्रैल,20 ) ।                                                                 प्रमोद कुमार सिन्हा                                                                  बेगूसराय, बिहार अभी नया नया दो गज की है जो दुरी , पहले भी था ओ आज भी है मज़बूरी , हालात कुछ कुछ ऐसे ही बन गये हैँ , सम्पूर्ण विश्व में ये है बहुत ही ज़रूरी , अभी नया नया...........  सिर्फ दो गज जमीन की है जरुरत , इसी के लिए संसार मे होता शरारत, लड़ाई -झगड़ा खून -खराबा क्यों ? भाई -भाई दुश्मन बनें यही है शराफत , सिर्फ दो गज....... दो गज ज़मीन में है पुरा संसार समाया, हिन्दू -मुस्लिम -सिख -ईसाई की काया, बड़े -बड़े किले महल छोड़ यहाँ से गये, कहे प्रमोद विश्व में यही तो है सब माया दो गज ज़मीन.... जब साथ में कुछ लेकर नहीं है जाना , फिर इसके लिये क्यों रोना -चिल्लाना, पीर पैगम्बर भी खाली हाथ ही गये , झूठी शान की खातिर शोर क्यों मचाना जब साथ में....... दो पल की आयु दो पल ही पुरा परिवार दो पल का महल अटार