देखो उलझ गया पुरा संसार , कोरोना लिया है पाऊं पसार !

देखो उलझ गया पुरा संसार , 

कोरोना लिया है पाऊं पसार !

                                 Mask corona help vires

                                                        प्रमोद कुमार सिन्हा

                                                       बेगूसराय, बिहार

ऐसा मजा कोई लड़का ना दे सकेगा बुड्ढे का राज है, 
इसे मामूली मत समझो भगवान का दिया ताज है । 

बेगूसराय/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 03 जून,2020 ) । 

देखो उलझ गया पुरा संसार , 

कोरोना लिया है पाऊं पसार ,

कौन जियेगा अब कौन मरेगा, 

लॉक डाउन से है कौन डरेगा, 

रबर की तरह बढ़ता जा रहा , 
रहोगे कैसे कर लो तू बिचार, 
देखो उलझ गया....! 
महामारी सबसे विकट भारी , 
मानव के लिये है संहारकारी, 
इसका ना है कोई दवा दारू, 
दुरी बनाओ कर लो व्यबहार, 
देखो उलझ गया..... !!
खोज में लगे सभी बैज्ञानिक, 
दवाई हेतु लगे अनुसंधानिक, 
मिल ना पाया कोई भी उपाय, 
मरने बाले करते हैँ चीत्कार, 
देखो उलझ गया.....!! 
कम ही होता जाँच पड़ताल, 
किट कम लाचार अस्पताल , 
जैसे तैसे करते हैँ सब काम, 
बचाने को कैसे करे सरकार, 
देखो उलझ गया......!! 
भूखे प्यासे बेबस हैँ बदहाल, 
मज़दूर संकट से हुए बेहाल, 
राजीनीति होती है इसपर , 
लाठी डण्डें सहते हैँ दुत्कार, 
देखो उलझ गया.... !!
कहीं पर नहीं होता सम्मान, 
वोट की हस्ती पाते अपमान , 
कुर्सी की शोभा देश की जान, 
निरक्षर होते ना पाते सत्कार, 
देखो उलझ गया......!!. 
सर पर गठरी गोद में बच्चा है, 
पाऊं में छाले पैदल चल रहे हैँ, 
भूख से व्याकुल प्रखर किरणे, 
राजनीती नहीं करो अब उपचार, 
देखो उलझ gaya.......!! 
आंख में आंसू कलेजा दहलता, 
नेता का ह्रदय नहीं है पिघलता, 
देश की दुर्दशा आज टीवी देखा, 
गरीब बनें हैँ गरीबी के शिकार, 
देखो उलझ गया.... !!
स्वतंत्रता के अस्सी दशक है ये, 
जो पहले थे वे आज वैसे हैँ ये, 
आजादी नाम पर ठगे अबतक, 
आजादी का ना मिला पुरुस्कार,
कहा किसी ने बुड्ढे प्रेम पर लेखनी मत चलाया करो , 
उम्र अब बीत गयी है सतसंग भजन ही गया करो, 
मैंने कहा देवी मैं दिग्गी राजा से अभी भी छोटा हूँ, 
सलमान और राहुल से बस थोड़ा थोड़ा ही बड़ा हूँ, 
देवी बोली दिग्गी राजा है दो चार में भी मजा है , 
सलमान और राहुल को बहुतेरे रखने की सजा है,
बोला राजनेता धर्म नेता अभिनेता मैं नहीं प्रेम मे खड़ा हूँ .!!



सौ बसन्त अभी देखा नहीं अब अधीर बन पड़ा हूँ, 
देवी बोली सूरत झुर्रिया दाँत टूटे अब तो शर्म करो, 
मैं बोला प्लास्टिक surjari करा अब तो धर्म करो , 
देवी बोली बड़े ओ हो लड़के तुमसे ना बेजा हैँ !
लव गुरु और जुली से भी बढ़कर मुझमे मज़ा है , 
मेरे साथ -साथ इधर -उधर डेट पर चला करो , 
कभी अजंता कभी alora की सैर पर किया करो, 
प्रमोद दीवाना बन दिन रात प्रेम करेगा भरपूर , 
प्रेम दीवानी बन साथ निभाओ लड़के हों चकनाचूर , 
जैसे जैसे बुड्ढे कोअपना जादू खूब चलाया करो , 
रोज रोज फरमाइश कर बड़े मजे से सताया करो, 
ऐसा मजा कोई लड़का ना दे सकेगा बुड्ढे का राज है, 
इसे मामूली मत समझो भगवान का दिया ताज है । !!

समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रमोद कुमार सिन्हा की रचना प्रकाशित ।

Published by Rajesh kumar verma

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