"पत्रकारों की विश्वसनीयता"आज खतरे में....
"पत्रकारों की विश्वसनीयता"आज खतरे में.... जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट "आज के समय में पत्रकार अपने पत्रकारीय दायित्वों को निभाने से ज्यादा राजनैतिक दलों के प्रति निष्ठावान है,दलगत समर्पण व टीआरपी के होड़ में वो ऐसी ख़बरों को बना रहे हैं । एक पत्रकार स्वयं उस राह पर नहीं चलता बल्कि जीवकोपार्जन की समस्या उसे उस राह पर ले जाती हैं। समाचार डेस्क, भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 19 सितंबर, 2021 ) । ऐसा लग रहा है की आज लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहलाने वाले पत्रकारिता जगत खतरे में हैं । इन दिनों चैनलों या अख़बारों द्वारा प्रस्तुत की जा रही खबरों पर पाठको की आने वाली टिप्पणियां, इस बात का स्पष्ट संकेत कर रही है कि पाठको की नजर में अब "पत्रकारों की विश्वसनीयता" खतरें में है। खबर चाहे प्रिंट मीडिया की हो या इलेक्ट्रॉनिक या बेव मीडिया की सब पर आने वाली ज्यादातर टिप्पणियों में पाठक खबर को दिखाने वाले पत्रकार की निष्ठां पर सवाल उठाने लगते हैं और उसे दलाल जैसे अमुक शब्दों से सुशोभित कर रहें हैं। ऐसे में गम्भीर सवाल ये है कि आखिर ऐसी परिस्थितियां बनी क्यों क