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🔥 नशा 🔥 === 👉🤝🙏🌹आजका शुभ विचार🌹🙏🤝👈

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                                                🔥 नशा 🔥                                ===      👉🤝🙏🌹आजका शुभ विचार🌹🙏🤝👈   👉✍️ नशापान करने से बचे ऐ स्वास्थ्य के लिए                         हानिकारक हैं...???                                       🔥 नशा 🔥                                 === ✍️गुलशन कुमार  जनक्रान्ति कार्यालय  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 19 सितंबर, 2020 ) ।  👉🌹✍️ यूं तो नशा कई प्रकार का होता है जैसे ज़वानी का नशा, सत्ता का नशा, सौन्दर्य का नशा, रूपये पैसे और धन सम्पदा का नशा लेकिन हम यहाँ पर उस नशे की चर्चा करेंगे जो आजकल बॉलीवुड के फिल्मी सितारों के कारण चर्चा में है ,जो मादक द्रव्यों के सेवन से पैदा होता है । बाकि के जो नशे ऊपर बताये गये हैं उनका स्वास्थ्य  से सीधा सम्बन्ध नहीं है ।    मादक द्रव्यों में सबसे ज्यादा प्रचलित द्रव्य मद्य याने शराब है। मादक पदार्थों में शराब के अलावा तम्बाकू, भांग, गांजा,चरस, अफीम के अलावा हशीश, हेरोइन, स्मैक,,ब्राउन शुगर आदि नामों से पुकारे जाने वाले द्रव्यों के नाम उल्लेखनीय है ।  

लॉकडाउन में बिहार के विद्यार्थियों खासतौर से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है: मनोवैज्ञानिक चिकित्सक डॉ० मनोज कुमार

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लॉकडाउन में बिहार के विद्यार्थियों खासतौर से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है: मनोवैज्ञानिक चिकित्सक डॉ० मनोज कुमार समस्तीपुर कार्यालय  डॉ० मनोज कुमार से बच्चों के स्वास्थ्य पर खास बातचीत  जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन के प्रधान सम्पादक राजेश कुमार वर्मा के साथ पटना, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 29 जून,2020 )। लॉकडाउन में बिहार के विद्यार्थियों खासतौर से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है।इस संदर्भ में जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन के प्रधान सम्पादक राजेश कुमार वर्मा समस्तीपुर ने किया बातचीत । प्रख्यात मनोवैज्ञानिक(मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ) डॉ॰ मनोज कुमार से प्रस्तुत है साझात्कार के प्रमुख अंश:- सबसे पहला सवाल ::-  1-लॉकडाउन और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आप क्या कहना चाहेंगे..?? @जवाब-इस बंदी के हालात में बच्चों के कोमल मन आहत हुए हैं। बच्चे अपने स्वभाव के अनुकूल व्यवहार नहीं कर पा रहें जिससे उनमें एक अनावश्यक दबाव बढा है। मसलन खेलकूद आदि में प्रतिबंध होने से उनका शारीरिक और मानसिक विकास रूक सा गया है। उनकी भावनात्मक

😎पीने वाला😎

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😎 पीने वाला😎                                         प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स"                                   अधिवक्ता, समस्तीपुर हालाहल बिषपान किया, लाँकडाउन का अपमान किया। तपती धूप झमाझम बारिश, गिरते-पङते नदी-नाला, लाईन लगाया मधुशाला। लाठी-डंडे का  बोल-बाला, पङा भीड़ से खूब पाला, सौ फीसदी महंगी पौवा लेकर,  छिल रहा है बैठा लाला, पीकर हो गया मतवाला, एक धर्म सब एक जाति है, चाहे गोरा हो या काला, सफाचट्ट हो या मूँछोंवाला, पतलू-मोटू ह़ो या तोंदवाला, मजहब सबका एक मामला, मुल्ले-मौलवी, पादरी -पंडित, सब में दिखता मुझको लाला, वत्स जब से खुला है ताला, धन्य हुआ पीनेवाला! धन्य हुई है मधुशाला!!     प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स" की मूल रचना समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।  Published by Rajesh kumar verma