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पौराणिक कथा... कायस्थो का ननिहाल : नागवंश

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  पौराणिक कथा... कायस्थो का ननिहाल : नागवंश  💲🙋आरती कुमारी वर्मा  जनक्रान्ति कार्यालय से  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 25 दिसम्बर, 2020 ) ।  भगवान चित्रगुप्त की दो शादियाँ हुईं, । जिनसे 12 पुत्र थे । और पुत्रों का विवाह नागराज बासुकी की बारह कन्याओं से सम्पन्न हुआ, जिससे कि कायस्थों की  ननिहाल नागवंश मानी जाती है। उनकी  *पहली पत्नी सूर्यदक्षिणा* /नंदनी जो ब्राह्मण कन्या थी, इनसे 04 पुत्र हुए जो भानू, विभानू, विश्वभानू और वीर्यभानू कहलाए।  *दूसरी पत्नी एरावती* /शोभावति नागवन्शी क्षत्रिय कन्या थी, इनसे 08 पुत्र हुए जो चारु, चितचारु, मतिभान, सुचारु, चारुण, हिमवान, चित्र,और अतिन्द्रिय कहलाए। जिसका उल्लेख अहिल्या, कामधेनु, धर्मशास्त्र एवं पुराणों में भी दिया गया है । श्री चित्रगुप्तजी महाराज के बारह पुत्रों का विवाह नागराज बासुकी की बारह कन्याओं से सम्पन्न हुआ, जिससे कि कायस्थों की ननिहाल नागवंश मानी जाती है और नागपंचमी के दिन नाग पूजा की जाती है । *माता सूर्यदक्षिणा / नंदिनी* ( श्राद्धदेव की कन्या ) के चार पुत्र काश्मीर के आस -पास जाकर बसे तथा ऐरावत

👉🔥विश्व को वेद का सन्देश🔥👈

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                       👉🔥विश्व को वेद का सन्देश🔥👈                  ----------------------------------             👉🙏🔥विश्व को वेद का सन्देश🔥🙏👈 जनक्रान्ति रिपोर्ट  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 19 अगस्त,2020 ) ।  🌷मनुष्य बन ! मनुष्य बन ! मनुष्य बन ! आज कोई कम्युनिस्ट बनता है तो कोई ईसाई, मुसलमान, बौध्द, हिन्दू या सिक्ख।      किन्तु संसार में वेद ही एकमात्र ऐसा धर्मग्रन्थ है जो उपदेश देता है कि और कुछ नहीं 'तू मनुष्य बन क्योंकि मनुष्य बनने पर तो सारा संसार ही तेरा परिवार होगा' ।     वेद कहता है "मनुर्भव जनया दैव्यं जनम् |"  इस उपदेश का सार यह भी है कि वेद संसार के सभी मनुष्यों की एक ही जाति मानता है 'मनुष्य' जाति ।       मनुष्य-मनुष्य के बीच की सारी दीवारें मनुष्य को मनुष्य से अलग कर विवाद, द्वेष, युध्द उत्पन्न करती है । 'वेद' शान्ति के लिए सभी दीवारों को समाप्त करने का आदेश देता है ।     वेद कहता है "मित्रस्य चक्षुषा समीरक्षामहे ।" सबको मित्र की स्नेह भरी आँख से देख | कितनी उदात्त भावना है । प

साहित्य और संत आज भी राष्ट्र को दिशा दे रहा हैं : -प्रो० प्रेम

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साहित्य और संत आज भी राष्ट्र को दिशा दे रहा हैं : -प्रो० प्रेम समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट  साहित्य सेवा के लिए समर्पित "संस्कृत विकास संस्थानम् " का 30 वाँ स्थापना दिवस समारोह सोशल डिस्टेंस के नियमों का अनुसरण करते हुए सादगी और धार्मिक अनुष्ठान के साथ मनाया गया समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 30 मई,2020 ) । शक्ति साधना स्थल, वासदेवधाम में साहित्य सेवा के लिए समर्पित "संस्कृत विकास संस्थानम् " का 30 वाँ स्थापना दिवस समारोह सोशल डिस्टेंस के नियमों का अनुसरण करते हुए सादगी और धार्मिक अनुष्ठान के साथ मनाया गया। शक्ति साधना स्थल पर विशुद्ध भारतीय संस्कृति के अनुसार कलश पूजन एवं ग्यान दीप प्रज्वलित कर मिथिला शिक्षा मंच सम्बद्ध अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद् के संयोजक प्रो० पी० के० झा प्रेम ने उद्घाटन किया।  इस अवसर पर प्रो० प्रेम ने कहा कि गांवों में एक साहित्यिक संत प्रो०, वाई० के० झा ने सरकार के लॉक डाउन के नियम का अनुसरण करते हुए अखिल विश्व के कल्याण हेतु जो सांस्कृतिक आयोजन किया है। सरकार से भी संभव नह