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बिहार की शान बखरी की बेटी निर्जला को : थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर द्वारा बखरी आने पर अपने काफिले के साथ किया भव्य स्वागत

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  बिहार की शान बखरी की बेटी निर्जला को : थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर द्वारा बखरी आने पर अपने काफिले के साथ किया भव्य स्वागत जनक्रांति कार्यालय से चन्द्रकिशोर पासवान की रिपोर्ट राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता क्रेडिट चैम्पियनशिप 2023 में 50 साल सिल्वर पदक दिलाने पर बखरी दुर्गा पुजा मेला समिति द्वारा किया गया सम्मान समारोह आयोजित निर्जला एवं उनके पिता मुकेश स्वर्णकार को मोमेंटो एवं अंग वस्त्र देकर किया गया सम्मानित बेगूसराय, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 22 अप्रैल, 2023)। उत्तर प्रदेश में आयोजित राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता 2023 में बिहार टीम की प्रतिनिधित्व करती हुई बिहार के लिए सिल्वर पदक जीतकर लौटी बखरी सलौना निवासी निर्जला कुमारी को बुधवार की देर शाम सलौना में किया गया हार्दिक स्वागत । उल्लेखनीय है कि बखरी प्रखंड के सलौना वार्ड संख्या 5  निवासी मुकेश कुमार स्वर्णकार की पुत्री निर्जला कुमारी ने उत्तर प्रदेश में 16 से 18 अप्रैल तक आयोजित क्रेडिट चैंपियनशिप राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता 2023 में 50 साल के बाद बिहार को यह पदक दिलाया है, निर्जला ने कर्नाटक ,दिल्ली, यूपी इ

शहरी क्षेत्रों में कबूतरों की बढ़ती संख्या और उनसे फैलने वाली बीमारियों पर विस्तृत चर्चा

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  शहरी क्षेत्रों में कबूतरों की बढ़ती संख्या और उनसे फैलने वाली बीमारियों पर विस्तृत चर्चा जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट कबूतरों की अनियंत्रित वृद्धि अप्राकृतिक और परेशानियाँ बढ़ानेवाली : संजय पांडे समाचार डेस्क/भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 02 अगस्त, 2022)। कई हाऊसिंग सोसायटियों के परिसरों में खुले स्थानों पर बड़ी संख्या में कबूतर घूमते हैं और गंदगी फैलाते हैं। बिल्डिंग के कुछ लोग उन्हें खाना खिलाकर प्रोत्साहित करते हैं। देश में सबसे आम पक्षियों में सबसे पहले कबूतर और उसके बाद कौवा आता है। इसका कारण भोजन और शहरीकरण की प्रचुरता और आसान उपलब्धता है। लोग विभिन्न कारणों से कबूतरों को खाना खिलाते हैं। मानवीय आधार, खाना न खिलाएं तो वो मर जाएँगे, दया जैसे कारणों के आलावा कबूतरों को खिलाना समृद्धि की धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है, अधिकांश भोजन केंद्रों में पूजा स्थलों या सामुदायिक स्थानों के पास कबूतरों का जमावड़ा होता है। लेकिन इनमें से ज्यादातर जगहें और कबूतरखाने अवैध हैं। ऐसी जगहों का विस्तार कर स्थानीय किराना व्यापारी रोजाना हजारों रुपये का कारोबार करते हैं। इस तरह

05 जून-2022 विश्व पर्यावरण दिवस विशेष.... पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण गम्भीर शारीरिक एवं मानसिक समस्यायें पैदा हो रही है जो सामाजिक जीवन को गम्भीर रूप से प्रभावित कर रही है : डॉ० प्रतुल भटनागर

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  05 जून-2022 विश्व पर्यावरण दिवस विशेष.... पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण गम्भीर शारीरिक एवं मानसिक समस्यायें पैदा हो रही है जो सामाजिक जीवन को गम्भीर रूप से प्रभावित कर रही है : डॉ० प्रतुल भटनागर जनक्रांति कार्यालय पर्यावरण को सुरक्षित रखना हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। ये हमारे पर्यावरण दोहन का नतीजा ही है कि आज प्रदूषण की वजह से हर साल हजारों लोगों की मौत हो रही है:-डॉ० प्रतुल भटनागर समाचार डेस्क/लखनऊ/उत्तरप्रदेश ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 05 जून,2022)।  दुनियाभर में 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे 1972 के बाद से हर साल 05 जून को मनाया जाता है। साल 2022 के विश्व पर्यावरण दिवस का थीम है, केवल एक पृथ्वी ( Only one Earth) इसका मतलब है कि प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना जरूरी है। विश्व पर्यावरण दिवस के दिन पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूक किया जाता है। पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है। पर्यावरण को सुरक्षित रखना हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। ये हमारे पर्यावरण दोहन का नतीजा ही है क

मौसम की थपेड़ों ने आम जन जीवन को किया अस्त व्यस्त

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  मौसम की थपेड़ों ने आम जन जीवन को किया अस्त व्यस्त जनक्रांति कार्यालय से अशोक कुमार सुबह में ठंड दिन में धूप प्रचंड मौसम के  बदलते रूप से आम आवाम हो रहे बीमार समाचार डेस्क/भारत,बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 28 अप्रैल, 2022)। प्रकृति अपना रूप जिस तरह से बदल रहीं हैं यह किसी को पता नहीं चल पाता है कि कब क्या होने वाला है। वर्तमान समय में जो बदलाव देखने को मिल रही है यह प्रकृति का बहुरूपिया होने का प्रतीक है। अमूमन अभी के समय में सुबह को काफी ठंड जैसा मौसम बन रहता है, लेकिन ज्यों-ज्यों दिन ढ़लते जाते हैं त्यों-त्यों सूर्य अपना प्रचंड रूप दिखाने लग जाते हैं और धूप अपने चरमोत्कर्ष तक पहुंच जाता है। जिसके कारण प्रकृति में अनेक विसंगतियां देखने को मिल रही है । दिनों-दिन अप्रैल के महीना में गर्मी तथा उमस बढ़ते जा रहे हैं। प्रकृति के इस बदलते स्वरूप के कारण आम आवाम् व बच्चे तेजी से बीमार पड़ रहे हैं।आए दिन किसी को बुखार, किसी को सर्दी-खांसी तो किसी को उल्टी-दस्त जैसे बीमारी बड़ी आसानी से होते जा रहे हैं। बताते चलें कि मौसम के बदलते स्वरूप के कारण किसान व पशु पक्

हमारे देश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन फिर भी यह राष्ट्रीय समस्या नहीं बन पाती है : संजय कुमार

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  हमारे देश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन फिर भी यह राष्ट्रीय समस्या नहीं बन पाती है : संजय कुमार जनक्रांति कार्यालय संवाद सूत्र की रिपोर्ट ये दरवाजा खोलो तो खुलता ही नहीं,इसे तोड़ने का जतन कर रहा हूँ : संजय कुमार समाचार डेस्क, भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 11 अप्रैल, 2022)। हमारे देश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। लेकिन फिर भी यह राष्ट्रीय समस्या नहीं बन पाती है, क्योंकि सत्ता संरक्षित मीडिया लोगों को ऐसे बेफिजूल के मुद्दों में उलझाकर रखना चाहती है। जिसका अगर निराकरण भी हो गया तो देश के मध्यमवर्गीय परिवारों के हालात में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। हमने कोरोना, पार्ट-2 के दौरान देखा है की स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में कैसे लाखों लोगों ने दम तोड़ा है। हमने उस गंगा में लोगों को अपने परिजनों के लाशों को प्रवाहित करनेवाली तस्वीर भी देखी है, जिसको स्वच्छ करने के नाम पर मौजूदा सरकार ने बकायदा एक मंत्रालय बनाकर देश के करोड़ों- खरबों रुपया फूँक डाला था। हम आज भी देख रहे हैं की कैसे देश की सबसे किफ़ायती एवं बड़ी परिवहन व्यवस्था भारतीय रेल, जो देश की सबसे

जानिऐ अपनी रोचक इतिहास की कहानी... हमारे देश भारत में रविवार की छुट्टी किसने दिलाई..???

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  जानिऐ अपनी रोचक इतिहास की कहानी... हमारे देश भारत में रविवार की छुट्टी किसने दिलाई..??? जनक्रांति कार्यालय से अशोक कुमार..✍️ रविवार की छुट्टी के पीछे उन महान व्यक्ति का क्या मकसद था..??? 🌏जानिए क्या है इसका इतिहास...✍️👀 समाचार डेस्क/भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 10 अप्रैल, 2022) । दोस्तों, जिन महानुभावों के कारण हमें ये छुट्टी मिली है , उस महापुरुष का नाम नारायण मेघाजी लोखंडे है। नारायण मेघाजी लोखंडे सत्यशोधक आन्दोलन के सदस्य भी थे और ये मजदूर संघ के नेता भी थे । अंग्रेजों के समय में हफ्तों के सभी दिनों कामगारों को काम करना पड़ता था। लेकिन नारायण मेघाजी लोखंडे जी का  कहना यह था कि , हफ्ते में सात दिन हम अपने परिवार के लिए काम करते हैं । लेकिन जिस समाज रहकर पले-बढ़े हैं , उस समाज में भी बहुत समस्या है हमें उन समस्याओं के निराकरण के लिए एक दिन की  छुट्टी मिलनी चाहिए। जिसको लेकर वे अंग्रेजों के समक्ष सन् 1881ई० में एक प्रस्ताव रखा । लेकिन अंग्रेजों  ने मानने से इंकार कर दिया। फिर क्या था नारायण मेघाजी लोखंडे मानने वाले में से नहीं थे वे इस sunday की छुट्टी

प्राचीन मेसोपोटामिया और ग्रीक सभ्यताओं में संभ्रांत परिवारों की महिलाएं हिजाब पहनती थीं और यह उनके ऊंचे ओहदे का प्रतीक होता था : पंडित पंकज झा शास्त्री

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  प्राचीन मेसोपोटामिया और ग्रीक सभ्यताओं में संभ्रांत परिवारों की महिलाएं हिजाब पहनती थीं और यह उनके ऊंचे ओहदे का प्रतीक होता था : पंडित पंकज झा शास्त्री जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट इस्लाम के प्रादुर्भाव से पहले से ही हिजाब प्रचलन में था। इसी तरह बुरका, निकाब, अबाया जैसे शब्द कुरान में कहीं नहीं हैं : पंडित पंकज झा शास्त्री कट्टर इस्लामिक देश ईरान और अफगानिस्तान में हिजाब अनिवार्य है। कुछ देशों में अनिवार्य नहीं है । समाचार डेस्क/मधुबनी,बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 16 फरवरी, 2022)। अभी पूरे देश में हिजाव को लेकर बबाल मचा हुआ है, इस पर हमने  एक अध्यन से जानने का प्रयत्न किया है। हिजाब को लेकर एक धारणा है कि इसकी शुरुआत इस्लाम से हुई है। ऐसा नहीं है। प्राचीन मेसोपोटामिया और ग्रीक सभ्यताओं में संभ्रांत परिवारों की महिलाएं हिजाब पहनती थीं और यह उनके ऊंचे ओहदे का प्रतीक होता था। मेसोपोटामिया में विधिवत व्यवस्था थी कि कौन सी महिलाएं हिजाब पहन सकती हैं और कौन नहीं। स्पष्ट है कि इस्लाम के प्रादुर्भाव से पहले से ही हिजाब प्रचलन में था। इसी तरह बुरका, निकाब, अबाया जैसे शब्द