05 जून-2022 विश्व पर्यावरण दिवस विशेष.... पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण गम्भीर शारीरिक एवं मानसिक समस्यायें पैदा हो रही है जो सामाजिक जीवन को गम्भीर रूप से प्रभावित कर रही है : डॉ० प्रतुल भटनागर

 05 जून-2022 विश्व पर्यावरण दिवस विशेष....

पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण गम्भीर शारीरिक एवं मानसिक समस्यायें पैदा हो रही है जो सामाजिक जीवन को गम्भीर रूप से प्रभावित कर रही है : डॉ० प्रतुल भटनागर

जनक्रांति कार्यालय


पर्यावरण को सुरक्षित रखना हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। ये हमारे पर्यावरण दोहन का नतीजा ही है कि आज प्रदूषण की वजह से हर साल हजारों लोगों की मौत हो रही है:-डॉ० प्रतुल भटनागर

समाचार डेस्क/लखनऊ/उत्तरप्रदेश ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 05 जून,2022)।  दुनियाभर में 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे 1972 के बाद से हर साल 05 जून को मनाया जाता है। साल 2022 के विश्व पर्यावरण दिवस का थीम है, केवल एक पृथ्वी ( Only one Earth) इसका मतलब है कि प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना जरूरी है। विश्व पर्यावरण दिवस के दिन पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूक किया जाता है।

पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है। पर्यावरण को सुरक्षित रखना हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। ये हमारे पर्यावरण दोहन का नतीजा ही है कि आज प्रदूषण की वजह से हर साल हजारों लोगों की मौत हो रही है। इसलिए अब हमें प्रकृति को प्रति थोड़ा संवेदनशील होने की जरूरत है। इसकी शुरुआत आप अपने घर से भी कर सकते हैं।


पर्यावरण पदूषण के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य के समक्ष गम्भीर समस्याएँ उत्पन हो रही हैं इन स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के उपचार में होम्योपैथी में अनेक कारगर औधाधियाँ उपलब्ध है।
यह विचार भटनागर होम्यो हॉल के चेयरमैन रिसर्च सोसाइटी ऑफ होम्योपैथी लखनऊ मण्डल के अध्यक्ष एवं लखनऊ के जाने माने वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ० प्रतुल भटनागर ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर व्यक्त किये।

उन्होंने बताया कि  पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण गम्भीर शारीरिक एवं मानसिक समस्यायें पैदा हो रही है जो सामाजिक जीवन को गम्भीर रूप से प्रभावित कर रही है।
प्रदूषित पानी के कारण उल्टी, दस्त, पेचिश, गैस्ट्रोएन्टेराइटिस, कोलाइटिस, टायफाइड, जॉन्डिस, पेट में कीड़े,कब्ज आदि बीमारियाँ हो सकती हैं।


वायु प्रदूषण के कारण साँस के रोग जैसे दमा, खाँसी, ब्रोंकाइटिस, जुकाम छींके, आँखों में जलन, खुजली,फेफड़ों एवं अन्य कैंसर, हार्ट किडनी एवं लिवर संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।
खेतों में खाद एवं केमिकल के प्रयोग से फलों एवं सब्जियों को नुकसान हो रहा है साथ ही साथ केमिकल फ़ैक्टरियों से निकलने वाले रासायनिक कचरे के कारण पेट दर्द, मिचली, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, एकाग्रता में कमी,अविकसित बच्चे, गुर्दे एवं स्नायु तंत्र की बीमारियां भी हो सकती हैं।


ध्वनि प्रदूषण से लोगों में अनिद्रा, सिरदर्द, ब्लड प्रेशर, हार्ट बीट बढ़ना, बहरापन आदि समस्याएं पैदा हो रही हैं।
उन्होंने बताया कि हमें प्रकति का संतुलन बनाकर जैसे कि वृक्षारोपण पानी एवं बिजली की बचत पॉलीथिन का प्रयोग न करें, वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अपने वाहन प्रदूषण की वक़्त वक़्त पर जांच आदि तरीकों से वातावरण को प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं।
डॉ भटनागर ने बताया कि पर्यावरण के प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों के उपचार में होम्योपैथिक दवाएं पूरी तरह कारगर हैं, लेकिन ये दवाएं केवल प्रशिक्षित डॉक्टर की सलाह पर ही प्रयोग करनी चाहिए।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा सचिन श्रीवास्तव द्वारा लखनऊ से सम्प्रेषित रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित।

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