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शहीदे आजम भगत सिंह के 113वीं जन्मदिन को संकल्प दिवस के रुप में मनाया गया

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  शहीदे आजम भगत सिंह के 113वीं जन्मदिन को संकल्प दिवस के रुप में मनाया गया जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट  आइसा-इनौस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने शहीदे आजम भगत सिंह के जन्मदिवस पर उनके प्रतिमा पर किया माल्यार्पण  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 28 सितंबर, 2020 )।  शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह के 113वीं जन्मदिन को आइसा- इनौस ने सोमवार को समस्तीपुर के मगरदही घाट स्थित उनके प्रतिमा स्थल पर संकल्प दिवस के रूप में मनाया । इस दौरान जुटे कार्यकर्ताओं ने भगत सिंह के प्रतिमा पर नारेबाजी के बीच माल्यार्पण किया ।  मौके पर एक सभा का आयोजन किया गया ।  सभा की अध्यक्षता इनौस के जिलाध्यक्ष रामकुमार एवं आइसा के जिलाध्यक्ष लोकेश राज ने संयुक्त रूप से किया. सभा का संचालन आइसा के जिला सचिव सुनील कुमार एवं इनौस के जिला सचिव आशिफ होदा ने किया । कृष्ण कुमार, नौशाद तौहीदी, मो० फरमान, राहुल कुमार, रविशंकर कुमार, मो० नूरैन, अमित कुमार, मनोज कुमार, मो० जावेद, रामाधार महतो, बिंदेश्वर दास, शिवजी राय, मुकेश कुमार, स्तुति, मनीषा कुमारी, ऐपवा जिलाध्यक्ष सह भाकपा माले नेत्री बंदना सिंह सम

भारतीय क्रांतिकारी शहीदे आजम वीर भगत सिंह जयंंती पर प्रकाशन परिवार ने जयंंती का आयोजन कर उनके जीवनशैली पर डाला प्रकाश

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  भारतीय क्रांतिकारी शहीदे आजम वीर भगत सिंह जयंंती पर प्रकाशन परिवार ने जयंंती का आयोजन कर उनके जीवनशैली पर डाला प्रकाश Jankranti office Report शहीदे आजम वीर भगत सिंह की जन्मदिवस के अवसर जनक्रान्ति प्रकाशन परिवार की ओर से तमाम देशवासियों को क्रांतिकारी शुभकामनाएं समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 28 सितंबर, 2020 ) ।  भारतीय क्रांतिकारी शहीदे आजम वीर भगत सिंह जयंंती पर प्रकाशन परिवार ने जयंंती का आयोजन कर उनके जीवनशैली पर डाला प्रकाश । बताते है की शहीदे आजम वीर भगत सिंह की जन्मदिवस के अवसर जनक्रान्ति प्रकाशन परिवार की ओर से तमाम देशवासियों को क्रांतिकारी शुभकामनाएं देते हुए प्रकाशक राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि भारतीय क्रांतिकारी शहीदे आजम वीर भगत सिंह का जन्म : २८ सितम्बर १९०७ को हुआ था , और इनकी मृत्यु: २३ मार्च १९३१ को फांसी लगा कर अंग्रेजी हुकूमत के हाथों हुई । वे भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी थे। इन्होंने चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने देश की आज़ादी के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार