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आजका इतिहास...31 अगस्त 2020... प्रसिद्ध लेखिका *अमृता प्रीतम* जी की 101वीं जयंती पर शत् शत् नमन।

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   आजका इतिहास...31 अगस्त 2020... प्रसिद्ध लेखिका *अमृता प्रीतम* जी की 101वीं जयंती पर शत् शत् नमन। जनक्रान्ति कार्यालय से सुमन सौरभ सिन्हा की रिपोर्ट  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 31 अगस्त, 2020 ) ।  आजका इतिहास...31 अगस्त 2020... प्रसिद्ध लेखिका *अमृता प्रीतम* जी की 101वीं जयंती पर शत् शत् नमन। जन्म: 31 अगस्त 1919 (गुजराँवाला, पंजाब, अब पाकिस्तान में है) निधन:  31 अक्टूबर 2005 (नई दिल्ली) पति: प्रीतम सिंह। लेखन भाषा: पंजाबी मुख्यतः बाकी हिंदी,उर्दू,आदि।  पुरस्कार: साहित्य अकादमी (1957),ज्ञानपीठ पुरस्कार(1982, "कागज ते कैनवास " के लिए) प्रमुख कृतियाँ: पिंजर, अदालत, कोरा कागज, अज्ज आँखा वारिश शाह नूँ ,रसीदी टिकट ,हिरे दी कनी, कला गुलाब , कागज ते कैनवास आदि। समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट सुमन सौरभ सिन्हा द्वारा सम्प्रेषित राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Jankranti...  इतिहास...31 

जिंदगी ही एक इम्तिहान है, पास या फेल इसकी पहचान है, ।...

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  जिंदगी ही एक इम्तिहान है,  पास या फेल इसकी पहचान है, ।... जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट                                                                        ✍️प्रमोद कुमार सिन्हा                                            बेगूसराय, बिहार बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 27 अगस्त,2020 ) ।  जिंदगी ही एक इम्तिहान है ,  पास या फेल इसकी पहचान है  ,  निरंतर संघर्ष होता ही रहता है  ,  संघर्ष से उबरना ही जान है  ,  जिंदगी ही एक........  पग - पग पर कभी रुलाती है  ,  कभी असफलता दिखलाती है ,  सफलता असफलता भंवर बिच ,  राह भी अनेक दिखलाती है  ,  इसी के लिये सभी कुर्बान हैँ  ,  जिंदगी ही एक.......  सोचा भी ना होगा दुर्दिन होगा  ,  हर कदम हर पल मुश्किल होगा  ,  मंज़िलें पाना ना आसान होगा  ,  उबर कर आगे बढ़ना घमासान होगा  ,  लो यही तो एक अरमान है  ,  जिंदगी ही एक.......  बातों में छलांग लगाना अच्छा है  ,  चलकर पहुंचना कितना सच्चा है  ,  पथ विकट कंकरीली कच्चा है  ,  कहते सभी हैँ अभी तो बच्चा है ,  बचपन में सभी को कुछ अरमान है  ,  जिंदगी ही  एक.........  जिंदगी ना मस्ती

काजी डुमरा गांव की एक युवक की कोयंबटूर मद्रास में हुई मौत

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  काजी डुमरा गांव की एक युवक की कोयंबटूर मद्रास में हुई मौत  युवक की शव के गांव पहुंचते ही  परिवार वालों में मचा कोहराम  परिवार सहित माता-पिता एवं उनके दोनों बहन को रो-रो कर बना हुआ है बुरा हाल  शिवाजीनगर से पुनीत मंडल की रिपोर्ट शिवाजीनगर/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन 19 अगस्त, 2020 ) । शिवाजी नगर प्रखंड के अंतर्गत रोसरा थाना क्षेत्र के शंकरपुर पंचायत के काजी डुमरा गांव की एक युवक की कोयंबटूर मद्रास में हुई मौत उनके पैतृक गांव काजी डुमरा में मौत की खबर सुनते ही गांव में मातम छा गया और आज सुबह 7:00 बजे उस युवक की शव उनके गांव पहुंचते ही उनके परिवार वालों में कोहराम समझ गया ।  उनके माता-पिता एवं उनके दोनों बहन को रो-रो कर बुरा हाल बना है उस युवक की पहचान रोशन कुमार पासवान उम्र 20 बताया जा रहा है उनके पिता प्रमोद पासवान 45 माता फुलो देवी 42 उस युवक के बड़ी बहन अमृता कुमारी उम्र 23 वर्ष उस से छोटी बहन निशु कुमारी उम्र 18 साल उन सभी परिवार वालों को उसी रोशन कुमार के ऊपर ही सारी जिम्मेवारी थी । वह भी जिम्मेवारी ऊपर वाले ने छीन ली घर का एक ही चिराग था वह भी

जगत है केवल नर नारी का खेला , एक दूजे बिन जिंदगी रहता अकेला ,

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  जगत है केवल नर नारी का खेला  ,  एक दूजे बिन जिंदगी रहता अकेला  ,  प्रमोद कुमार सिन्हा बेगूसराय, बिहार  बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 09 अगस्त,2020 ) । जगत है केवल नर नारी का खेला  ,  एक दूजे बिन जिंदगी रहता अकेला  ,  सृष्टि निर्माण हेतु ईश्वर बनाया जोड़ी  ,  एक जोड़ी रच डाला संसार का मेला  ,  जगत है केवल.........  कल्पना भगवान का बहुत निराला  ,  कोई गोरा है तो नजर में कोई काला  ,  किसी से मिलता है ना कोई विश्व में  ,  सूरत अलग अलग है सब मतवाला  ,  जगत है केवल........  मूरत बनाने बाला है कैसा अलबेला  ,  बिना प्रयास के ही जगत रच डाला  ,  स्वमेव सम बनाया मानव तन अद्भुत  ,  जड़ चेतन है चौरासी लाख का पाला  ,  जगत है केवल.........  भिन्न भिन्न योनि अलग थलग रेला  ,  गठीला है कोई तो है कोई शर्मिला ,  बिना पैर भी सरपट है दौरनेबाला  ,  एक से बढ़कर है एक भरोसेबला  ,  जगत है केवल......।। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by jankranti....

🌷अनमोल मोती🌷✍️ Gulshan kumar

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                                           🌷अनमोल मोती🌷                                                                     ✍️ Gulshan kumar Jankranti office Samastipur,Bihar ( Jankranti hindi news bulletin 31 july 2020 ) !    👉🌹मनुष्य का यही मुख्य आचार है कि जो इन्द्रियां चित्त का हरण करने वाले विषयों में प्रवृत्त कराती हैं उन को रोकने में प्रयत्न करें। जैसे घोड़े को सारथि रोक कर शुद्ध मार्ग में चलाता है उसी प्रकार इन्द्रियों को अपने वश में करके अधर्म मार्ग से हटा कर धर्म मार्ग में सदा चलाया करे॥१॥    क्योंकि इन्द्रियों को विषयासक्ति और अधर्म में चलाने से मनुष्य निश्चित दोष को प्राप्त होता है और जब इन को जीत कर धर्म में चलाता है तभी अभीष्ट सिद्धि को प्राप्त होता है॥२॥   यह निश्चय है कि जैसे अग्नि में इन्धन और घी डालने से बढ़ता जाता है वैसे ही कामों के उपभोग से काम शान्त कभी नहीं होता किन्तु बढ़ता ही जाता है। इसलिये मनुष्य को विषयासक्त कभी न होना चाहिये॥३॥    जो अजितेन्द्रिय पुरुष है उसको ‘विप्रदुष्ट’ कहते हैं। उस के करने से न वेदज्ञान, न त्याग, न यज्ञ, न नियम और न धर्माचरण

विकलांगता अभिशाप सामाजिक मिथ्या को तोड़ दो दिव्यांग बंधे परिणय सूत्र में

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विकलांगता अभिशाप सामाजिक मिथ्या को तोड़ दो  दिव्यांग बंधे परिणय सूत्र में बछबाड़ा संवाददाता राकेश यादव की रिपोर्ट  30 वर्षीय विकलांग नवयुवक ने 25 वर्षीय मुकबधिर नवयुवती से शादी कर खाई साथ जीवन भर निभाने की कसमें  बछवाड़ा/बेगूसराय,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 26 जुलाई,2020 ) । मुद्दई लाख बुरा चाहें तो क्या होता हैं वहीं होता है मंजूर खुदा को होता हैं । जी हां दोस्तों ऐसा ही वाक्या बछबाड़ा प्रखंड में हुआ हैं जहां  विकलांगता अभिशाप सामाजिक मिथ्या को अभिशाप को तोड़ दो दिव्यांग बंधे परिणय सूत्र में । बताया जाता हैं कि  आलमपुर ठाकुरबाड़ी में गुरुवार को दो दिव्यांग परिणय सूत्र में बंध कर खुशियां भरी सामाजिक जिन्दगी का हिस्सा बन कर विकलांगता अभिशाप को मित्थक साबित कर दिया। बताते चलें कि नारेपुर जोकहा वार्ड एक निवासी राजेंद्र महतो उर्फ पोंगल महतो का 30 वर्षीय पुत्र मिथिलेश कुमार शत-प्रतिशत कोटी का विकलांग है। उसके दोनों पैर व रीढ़ पुर्ण रूप से नाकाम है। उक्त दिव्यांग नें बताया कि जन्मजात दिव्यांगता के कारण जिन्दगी में अनेकों बार उपेक्षा का शिकार हुआ। मगर समाजिक उपे

कोविड-19 जांच केन्द्र पर कोविड-19 की 25 लोगों की सैंपल जांंच की गई जिसमें 01 कोरोना पॉजिटिव मिला

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कोविड-19 जांच केन्द्र पर  कोविड-19 की 25 लोगों की सैंपल जांंच की गई जिसमें 01 कोरोना पॉजिटिव मिला वारिसनगर संवाददाता शशिभूषण कर्ण की रिपोर्ट                                               जांच करते कर्मचारी वारिसनगर/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 25 जुुुलाई,2020 ) वारिसनगर प्रखंड के  कोविड-19 जांच केन्द्र पर कोविड-19 की 25 लोगों की सैंपल जांंच की गई । बताया जाता है की आज गोही पंचयात सरकार जो की वारिसनगर प्रखण्ड का कोबिड सेंटर जांच केंद्र है उस केंद्र पर आज 25 लोगों की कोविड-19 सैैंपल की जांच की गई । जिसमें 01 व्यक्ति की रिपोर्ट पोजेटिव पाया गया । जिसे होम क्वारेन्टीन कर दिया गया।जिसकी जानकारी प्रखण्ड स्वास्थ्य प्रबंधक रंजीत कुमार ने दिया। मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी रामचन्द्र महतो, जांच कर्मचारी राजीव कुमार के साथ ही स्वास्थ्य प्रबन्धक रंजीत कुमार मौजूद थे। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा शशिभूषण कर्ण की रिपोर्ट प्रकाशित । Published by Jankranti

दो पल की जिंदगी दो पल का है तू मेहमान , दो पल में ही बीत जायेगा सब तेरा अरमान..

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दो पल की जिंदगी दो पल का है तू मेहमान  ,  दो पल में ही बीत जायेगा सब तेरा अरमान..!                              @Pramod kumar sinha                             Begusarai,Bihar Begusarai,Bihar ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 15 जुलाई,2020 )  दो पल की जिंदगी दो पल का है तू मेहमान  ,  दो पल में ही बीत जायेगा सब तेरा अरमान..!   दो पल का है सारे रिश्ते नाते रहेगा  सिर्फ याद  ,  दो पल का सुख चैन फिर मौत का है फरमान  ,  दो पल की है.........। दो पल के लिये ही मानव तूने पाल लिया अहम्  ,  खाक में सुपुर्द हो जायेगा दो पल में सारा वहम  ,  दो पल में ही तस्बीर तेरा टंग ही जायेगा दीबारों पर ,  सच्चाई अच्छाई चले संग तेरे बुरे कर्मों से अब सहम  ,  दो पल की.........।। संसार चला चली का बस दो पल का ही खेला है  ,  संचित प्रारब्ध और क्रियमाण कर्म का ही झमेला है  ,  दो पल में ही सब कर्मों को समेट यहाँ से है जाना ,  बाजार सब सजा धजा दो पल रंगारंग का मेला है  ,  दो पल की............ ।। अब तो बिचार ले प्रमोद दो पल में तुम्हें क्या है करना ,  मझधार में नैया तेरी डूबना या उस पार उतरना है  ,  दो पल खू

कोई कोई नजर में बहुत भा जाती है , दिल से उतर नसतर में समा जाती है ..!

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             कोई कोई नजर में बहुत भा जाती है ,              दिल से उतर नसतर में समा जाती है ..!                                   Pramod kumar sinha                         Begusarai,Bihar बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 14 जुलाई, 2020 ) । कोई कोई नजर में बहुत भा जाती है ,  दिल से उतर नसतर में समा जाती है ,  कोई कोई नजर में बहुत भा जाती है ,  दिल से उतर नसतर में समा जाती है ,  देखे बिना सोना खाना पीना हराम है ,  एक झलक देखूँ शकुन मिल जाती है,  कोई कोई नजर.......... । काले गोरे खूबसूरती का है भेद नहीं ,  ऊंच नीच का होता कोई है खेद नहीं,   मोहब्बत है खुदा की हसीन तोहफा. ,  नज़रें नज़रें दिल दिल मिल जाती है ,  कोई कोई नजर......।  लैला मजनूँ में कैसी समानता थी  ,  हीर राँझा में कितनी विषमता थी ,  प्रेम तो प्रेम है जात पात की बू नहीं ,  मन ही मन भा दीप जला जाती है ,  कोई कोई नजर.........। दुनियां कहती है बहुत कह लेने दो,  हमें अपने वादे पर भी चल लेने दो ,  अच्छों को बुरा कहना ये आदत है,  बाद में यही दुनियां भुला जाती है.....।। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कु

"कोरोना के जंग में हमारा एकमात्र सहारा सादगी भरी जीवनशैली ही है " : कवि विक्रम क्रांतिकारी

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"कोरोना के जंग में हमारा एकमात्र सहारा सादगी भरी  जीवनशैली ही है " : कवि विक्रम क्रांतिकारी  समस्तीपुर कार्यालय  कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता/मेंटर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हो या फिर दुनिया में भारतीय दर्शन का डंका बजाने वाले हमारे आदर्श स्वामी विवेकानंद ऐसे ही और भी बहुत से विभूतियों ने सादगी को अपने जीवन में अपनाया और जनमानस को भी सदा जीवन उच्च विचार का संदेश दिया लेकिन आज की दुनिया में सादगी कही ना कही खोती जा रही है ।:-कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता/मेंटर अक्सर मैं कहता हूं दोस्तों की जैसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद जैसे और भी विभूतियों ने सादगी को अपने जीवन में  अपनाया और सदा जीवन उच्च विचार का संदेश पूरे दुनिया को दिए वैसे आप भी अपने जीवन में सादगी को अपनाएं और अपने जीवन को सार्थक करें ।।  कोविड-19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण जिंदगी की रफ्तार थमी तो ठहराव के इस दौर में सादगी को देखने का हमारा

हमसे दूर दूर क्यों नजर आती हो तुम , नज़रें झुका कर गुजर जाती हो तुम ,

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हमसे दूर दूर क्यों नजर आती हो तुम ,  नज़रें झुका कर गुजर जाती हो तुम ,  प्रमोद कुमार सिन्हा  बेगूसराय, बिहार  बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 08 जुलाई,2020 ) । हमसे दूर दूर क्यों नजर आती हो तुम ,  नज़रें झुका कर गुजर जाती हो तुम ,  मुझे देख क्यों मुस्कुराती हो जानेमन ,  खिला हुआ फूल  नजर आती हो तुम ,  हमसे दूर दूर........ । चाहता हूँ और नज़दीक हो जाऊ मैं ,  दिल घबराता दूर ना चली जाओ तुम ,  शकुन चैन मिलता है तुम्हें देखकर ,  छत पर खड़ी जब दिख जाती हो तुम,  हमसे दूर दूर...... । ऑंखें मिलाती हो मिलने से घबराती हो  तिरछी नजर से कटार चलाती हो तुम ,  हिरणी सी चाल और पतली कमर है हसरतें तमन्ना में बड़ी खूबसूरत हो तुम  हमसे दूर दूर.......।  ऐ हुस्न की मलिका क्या तारीफ करूँ ,  शब्द नहीं गुले गुलज़ार लगती हो तुम,  बांहों में भर लेने की जी चाहताहै तुझे  वाकई संगमरमर की एक मूरत हो तुम....। 02... बहारों के थे जो सपने फूल बन खिलेंगे नज़रें बिछाये सनम हम फिर मिलेंगे,  बहारों के थे जो सपने फूल बन खिलेंगे नज़रें बिछाये सनम हम फिर मिलेंगे,  फिजाओं से पूछो घटाओं से तू पूछ लो 

मेरे प्यार का तुम अब इम्तिहान ना लो, यकीन ना हो गर तो खुदा से पूछ लो..!!

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मेरे प्यार का तुम अब इम्तिहान ना लो,  यकीन ना हो गर तो खुदा से पूछ लो..!! प्रमोद कुमार सिन्हा  बेगूसराय, बिहार  बेगूसराय, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 04 जुलाई,2020 ) ।  मेरे प्यार का तुम अब इम्तिहान ना लो,  यकीन ना हो गर तो खुदा से पूछ लो ,  मोहब्बत में इजाजत ना होती खुदा की  कदम ना बढ़ते इतना दिल से जान लो ,  मेरे प्यार का तुम.........  गर इनायत ना होती शिकायत ना होती  हाले बयां दिल से ये शराफत ना होती ,  हम कहीं और भटक झटक रहे होते ,  तुम्हें पास आने की हिमाकत ना होती ,  मेरे प्यार का तुम......  शुक्र है की मैं बेबफा ना तुमसे की है ,  तेरे लिये मन्नतें खुदा से जो मैंने की है ,  दिल की धड़कन मेरी आबाज तुम हो, वही बफा की उम्मीद हमनें भी की है,  मेरे प्यार का तुम......  दिल में है अरमान आश लिये तुम पर ,  कश्में बफा की तुम मुझे पहचान लो ,  ऐसा ना हो भीड़ में खो जाओ कहीं,  दिल से दिल की बात प्रमोद मान लो,  मेरे प्यार की. ।।। ..................................................................... कभी ना कभी हम तुम फिर मिलेंगे ,  शिकबे शिकायतें हम मिल दूर करेंगे , 

अब तो राहें जुदा जुदा हो गई., हम कहीं खो गए तुम कहीं खो गई.,

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अब तो राहें जुदा जुदा हो गई.,   हम कहीं खो गए तुम कहीं खो गई.,        प्रमोद कुमार सिन्हा             जेपी सेनानी       बेगूसराय, बिहार बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 28 जून,2020 ) ।  अब तो राहें जुदा जुदा हो गई.,   हम कहीं खो गए तुम कहीं खो गई.,  अब तो राहें जुदा जुदा हो गई.,   हम कहीं खो गए तुम कहीं खो गई.,   तनहाई अब रास आने लगी.,   तुम्हारी याद दिल से जाने लगी.,   आशा था चमन में फूल भी खेलेंगे.,   कभी ना कभी हम गले मिलेंगे.,   अब हर याद तुम्हारी बिछड़ने लगी  तन्हाई अब रास आने लगी.,   जाने किस मुकाम पर गले मिले थे.,   सपने संजोए दिल खिले हुए थे  मुस्कान पर हम फिदा हो गए.,   अरमान लिए ही विदा हो गए.,   आंसू भी सूख गए हैं आंखों से.,   सूनापन अब ना बोझिल लगती है.,   बेदर्दी सॉन्ग मुझे भाने लगी है.,   तनहाई अब रास मुझे आने लगी है.,।। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा  जेपी सेनानी प्रमोद कुमार सिन्हा की रचना प्रकाशित । Published by Rajesh kumar Verma 

जिंदगी में मुश्किलें तमाम हैँ , फिर भी इन ओठों पर मुस्कान है

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जिंदगी में मुश्किलें तमाम हैँ , फिर भी इन ओठों पर मुस्कान है   प्रमोद कुमार सिन्हा  बेगूसराय, बिहार  बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 24 जून,2020 ) । जिंदगी में मुश्किलें तमाम हैँ , फिर भी इन ओठों पर मुस्कान है  ,  जीना जब हर हाल में है  , फिर मुस्कुराकर जीने में क्या नुकसान है ,  बुजदिल होते हैँ जो  , रो रोकर जीवन अपना व्यतीत करते हैँ  ,  बरे से बरे संकट में भी , हंसकर जीवन जीनेवाले इंसान हैँ  ,  जिंदगी में मुश्किलें..........  नदियों की धारा पत्थरों से टकराकर ही  , आगे आगे रास्ता पकड़ती है  ,  पत्थरों के अहम् चकनाचूर करके ही  ,  धारा सरपट निकलती है  ,  हौसले बुलंद होते हैँ जिनके , पग बढ़ाने में करते नहीं कोताही ,  मंजिलें अति सुलभ होते हैँ उनको  , जो लक्ष्य के लिये कुर्बान हैँ  ,  जिंदगी में मुश्किलें...........  दुख आना और जाना होता है हरदम , जानकर भी हम परेशान हैँ  ,  इस जग में ही मिलते हैँ कोई  साधु  , और कोई कोई शैतान भी हैँ  ,        जीना उसका जीना है जगत में  , जिसने जीने का है मर्म जान लिया  ,  होती हैँ चर्चाएं उनकी पग पग पर  , और

"आत्महत्या करने के कारण क्या होते हैं ऐसी गंभीर समस्या का समाधान क्या है.. ?" : कवि विक्रम क्रांतिकारी

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"आत्महत्या करने के कारण क्या होते हैं ऐसी गंभीर समस्या का समाधान क्या है.. ?" : कवि विक्रम क्रांतिकारी समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट  आत्महत्या का किसी व्यक्ति की संपन्नता य़ा विपनन्ता से कोई संबंध नहीं है कभी किसी गरीब किसान तो कभी कोई छात्र परीक्षा में अव्वल नहीं आने के कारण आत्महत्या कर लिया :  कवि विक्रम क्रांतिकारी(विक्रम चौरसिया -अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता /मेंटर  अब तो हद हो गया पिछले कुछ दिनों में हमारे बॉलीवुड के दिग्गजों के मौत से हम उबर भी नहीं पाए थे कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिए l  आखिर क्यों.. ? नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 16 जून,2020 ) । हम देख रहे हैं की आत्महत्या का किसी व्यक्ति की संपन्नता य़ा विपनन्ता से कोई संबंध नहीं है l आज हम देख रहे हैं कि हर आयु वर्ग और अमीर से लेकर गरीब सभी लोगो मे आत्महत्या जैसी कायराना मामला हमें आए दिन देखने को मिल रहे हैं । दोस्तों याद रखना किसी भी समस्या का समाधान मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि आत्महत्या हो ही नहीं सकती जब जिंदगी ही

हाय!हाय!ये मजबूरी, प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स" समस्तीपुर, बिहार

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हाय!हाय!ये मजबूरी,                                               प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स"                                     समस्तीपुर, बिहार   समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 30 अप्रैल, 20 ) । हाय!हाय!ये मजबूरी, छूट की क्यूँ थी जरूरी? मेहुल,नीरव, माल्या जी को, लूट मे छूट क्यों जरूरी ?-2हाय हाय रे मजबूरी-3 कितने सावन बीत गए, कितने सावन आए-2 रंग रसिया, मन भावन कुर्सी, लूट मे छूट दिलाए,-2 मेहनत कश का पेट काटकर, खुद का भत्ता बढाये,-2 शिक्षा-शिक्षक गौण हो रहे, काल के गाल मे मौन हो रहे! लेता नहीं सुधि चौकीदार, क्या मन मे है ठानी। हाय!कैसी है मजबूरी? हाय !हाय! रे मजबूरी, क्यों लूट की छूट जरूरी ..??  प्रवीण वत्स द्दारा स्वरचित समस्या मूलक गीत शीर्षक हाय!हाय!ये मजबूरी प्रकाशित किया जाय।माननीय राजेश कुमार वर्मा जी को प्रकाशित करने हेतु संप्रेषित।  समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।  Published by Rajesh kumar verma