बरका भारी जितिया पाबैन विशेष : जिनका लम्बा समय स संतान नई भ रहल छइन्ह हुनका लेल जितिया व्रत एगो वरदानक जका अछी :पंकज झा शास्त्री
बरका भारी जितिया पाबैन विशेष : जिनका लम्बा समय स संतान नई भ रहल छइन्ह हुनका लेल जितिया व्रत एगो वरदानक जका अछी :पंकज झा शास्त्री जनक्रान्ति कार्यालय सं अहि व्रत में नहाय खाय के परंपरा होइत अछी कतेको राज्य में अहि पाबइन के ‘जिउतिया’ सहो कहल जाइत अछी : पंकज झा शास्त्री अध्यात्म डेस्क/दरभंगा/मधुबनी,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 15 सितंबर, 2022)। संतान के दिर्घायु हेतु कयल जाय वला कठोर व्रत जितिया,जे आश्विन मासक कृष्ण पक्ष मे मनाओल जायत अछी, अहि बेर मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार १७ सितम्बर क जितिया (जीमूतवाहन)व्रत दिन आ राइत राखाल जायत। १८ सितम्बर क व्रत के पारण होयत। अहि पर्व के शुरुआत सप्तमी तिथि क नहाय् खाय स शुरू होइत अछी जे १६ सितम्बर क होयत,अहि दिन महिला वर्गक् हेतु विशेष भोजन मरुआ आंटा के रोटी आ नुनी साग अथवा चुरा दही बहुत प्रसिद्द मानल गेल अछी। अष्टमी तिथि के दिन स्नान कय माताएं प्रदोष काल में जीमूत वाहन देवताक पूजा करइत छइथ् तथा तेल आ खैर चढ़ाबैथ छइथ बताओल जाइत अछी कि देव के दीप, धूप, अक्षत, रोली, लाल एवं पीयर रूई स सजाओल जाइत अछी आओर उपरांत हुनका