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Showing posts with the label #सृष्टि

🔥 ओ३म् 🔥 🌷 प्रश्न - ईश्वर सृष्टि की रचना क्यों करता है...???

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                            🔥 ओ३म् 🔥 🌷 प्रश्न  - ईश्वर सृष्टि की रचना क्यों करता है...???                           🔥🌹🔥  ओ३म् 🔥🌹🔥 ✍️गुलशन कुमार   नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 12 सितंबर, 2020 ) ।  🔥 ओ३म् 🔥 🌷 प्रश्न  - ईश्वर सृष्टि की रचना क्यों करता है...??? 💐 उत्तर  - परमात्मा, जीवात्मा और और प्रकृति ये तीनों तत्व अनादि है , अन्त रहित , अविनाशी है अर्थात् ये तीनों तत्व कभी जन्म नहीं लेते और ना ही कभी  नष्ट होते है ।परमात्मा अपने सामर्थ्य से सृष्टि के सब स्थूल जगत् को उत्पन्न करता है और प्रलय के समय सबको सूक्ष्म कारण में लीन करता है।  जीवात्मा के लिए स्थूल जगत में स्थूल शरीर मुक्ति का साधन है ।जीवात्माओं की भलाई के लिए उन पर उपकार करते हुए ईश्वर प्रकृति से सृष्टि का निर्माण अपने ज्ञान से करता है।     क्योंकि जीवात्मा अल्पज्ञ है उसे थोड़ा सा ही ज्ञान है , ईश्वर सर्वज्ञ है- सम्पूर्ण है, तो फिर वह सृष्टि की रचना क्यों न करें? ईश्वर अपने अमृत- सन्तानों को फल प्रदान क्यों न करें? इसमें स्वयं ईश्वर की योग्यता भी सफल होती है । ईश्वर आनन्दस्व

प्रश्न :- मनुष्य जन्म क्यों लेता है ...????

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          प्रश्न  :- मनुष्य जन्म क्यों लेता है ...????                                           ✍️ Gulshan Kumar Jankranti office समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 02 सितंबर, 2020 ) ।                        प्रश्न  :- मनुष्य जन्म क्यों लेता है...???? 🌷 उत्तर  :- न्यायदर्शन का यह सूत्र इस शंका का समाधान करता है । दु:ख -जन्म  - प्रवृत्ति - दोष - मिथ्याज्ञानम् उत्तरोत्तरापाये तदनन्तरापायादपवर्ग: ( न्यायदर्शन १\२ )    मनुष्य के जन्म का मुख्य कारण है उसके पूर्व  -संस्कार और शेष संचित कर्म। अज्ञानता के कारण दोष उत्पन्न होते है और दोष के कारण प्रवृत्ति बनती है। यही प्रवृत्ति जिस के कारण जन्म होता है। और सब दु:खों का कारण जन्म ही है।  जब तक अज्ञानता दूर नही होगी यह जन्म  -मरण का अनादि चक्र चलता ही रहेगा। अज्ञानता  ( अविद्या अंधकार ) के हटने पर ही मुक्ति मिलती है         मनुष्य स्वयं जन्म नही लेता।  ये उसके कर्म ही उसे जन्म लेने पर विवश करते हैं  ! जन्म कब - कहाँ- कैसे होना है यह मनुष्य के बस में नही है। ईश्वर ही सर्वज्ञ है , न्यायकारी है। मनुष्य के वर्तमान

🔥 प्रभु-प्रेम 🔥

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                                                🔥 प्रभु-प्रेम 🔥                                ऊं शनिश्चराय नमों नमः                                                              🔥 प्रभु-प्रेम 🔥 ✍️👉गुलशन कुमार जनक्रान्ति कार्यालय  समस्तीपुर, बिहार (जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 29 अगस्त, 2020 ) ।  🌷उत स्वया तन्वा सं वदे तत्कदा न्वन्तर्वरुणे भुवानि।किं मे हव्यमह्यणानो जुषेत कदा मृलीकं सुमना अभि ख्यम् ।।-(ऋ० ७/८६/२)    भावार्थ:-  मैं अपनी देह से संवाद करता हूं,अपनी देह से पूछता हूँ कि मुझे बता-मेरे जीवन में वह दिन कब आएगा जब मैं अपने-आपको वरण करने योग्य और वरण करने वाले परमात्मा के भीतर विराजमान हुआ देखूँगा।वह मेरी कौन-सी भेंट को स्वागतपूर्वक स्वीकार करेगा।मैं कब शुभ-संकल्पवाला एवं निरुद्ध मन वाला होकर सुख और आनन्दस्वरुप परमात्मा के दर्शन कर सकूँगा ?    प्रभु-दर्शन की कैसी उत्कट अभिलाषा है! वेद तो कहता है हम उस ईश्वर को ह्रदय में रखकर उससे बातें करें-    इमं नु सोममन्तितो ह्रत्सु पीतमुप ब्रुवे।-(ऋ० १/१७९/५)    मैं इस सोम=शान्तिमय प्रभु को अपने ह्रदय में धारण कर

🔥 परमात्मा का सच्चा स्वरूप 🔥

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                    🔥 परमात्मा का सच्चा स्वरूप 🔥                      -----------------------------       👉🌹🙏 ऊं नमों भगवते वासुदेवाय नमः🙏🌹👈 ✍️गुलशन कुमार  जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 27 अगस्त, 2020 ) ।  🌷मानव जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, परमात्मा के सच्चे स्वरूप को समझना, उसके गुण-कर्म, स्वभाव का सही ज्ञान प्राप्त करना।  अगर हम ऐसा नहीं कर पाते तो निश्चित मानिऐ कि हमारे जीवन की दशा और दिशा डावांडोल ही रहेंगी। परमात्मा के बारे मैं अधिक नही तो इतना तो अवश्य जान ले कि इस विश्व (ब्रह्माण्ड) को बनाने वाला तथा चलाने वाला परमात्मा एक है अनेक नहीं। वह सर्वत्र व्यापक है किसी स्थान विशेष मन्दिर-मस्जिद आदि में नहीं रहता। वह सर्वज्ञ है, सब कुछ जानता है। सर्वान्तर्यामी है, सब मनुष्यों और प्राणियों के ह्रदय की बातों को जानता है। वह सर्वशक्तिमान है, सृष्टि के बनाने, चलाने व हमारे कर्मों का फल देने आदि कामों में वह किसी की सहायता नहीं लेता।  अपने ही सामर्थ्य से अपनी सर्वव्यापकता, सर्वज्ञता आदि गुणों से वह अकेला ही सब काम

🔥 ओ३म्🔥 🌷प्रश्न :- क्या ३३ करोड़ देवी देवता होते है.. ???

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                                          🔥 ओ३म् 🔥  🌷प्रश्न  :- क्या ३३ करोड़ देवी देवता होते है.. ???                          🙏🕉️🌹 श्री गणेशाय् नमः 🌹🕉️🙏                               🔥 ओ३म्🔥 🌷 प्रश्न  :- क्या ३३ करोड़ देवी देवता होते है.. ???                                                                                            👉✍️ गुलशन कुमार   जनक्रान्ति रिपोर्ट   समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 26 अगस्त, 2020 ) । 🌷प्रश्न  :- क्या ३३ करोड़ देवी देवता होते है.. ???    💐 उत्तर  :-  ३३ करोड़ देवी देवता नही होते। हाँ ३३प्रकार के देवता अवश्य होते हैं । यहाँ ३३कोटि का अर्थ ३३करोड़ नही ३३ प्रकार से है ।संस्कृत में कोटि शब्द के दो अर्थ है - एक" करोड़" दुसरा "प्रकार "यहाँ ३३करोड़ नही ३३ प्रकार के देवता होते है।         वेदों में ३३ देवताओं का वर्णन जो परमात्मा ने रच कर धारण किये हुए हैं। परमात्मा ३४ वाँ देव है जिसको महादेव कहते है।    यस्य त्रयस्त्रिंशद् देवा अंग्गे सर्वे समाहिता। स्कम्भं तं ब्रूहि कतम: स्विदेव

🔥आत्मा की सत्ता व स्वरुप🔥 ✍️ Gulshan kumar

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                  🔥आत्मा की सत्ता व स्वरुप🔥                                              ✍️ Gulshan kumar                       🔥आत्मा की सत्ता व स्वरुप🔥 जनक्रान्ति कार्यालय  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 24 अगस्त, 2020 ) ।     🌷एक व्यक्ति कहता है कि 'मैं हूं'। यहाँ 'मैं' का प्रयोग शरीर के लिए नहीं अपितु आत्मा के लिए होता है। यह उचित भी है क्योंकि शरीर के लिए कोई 'मैं' का प्रयोग नहीं करता, अपितु 'मेरा शरीर' का प्रयोग करता है।    सांख्य शास्त्र के रचयिता महर्षि कपिल ने अन्य प्रकार से इस बात को समझाया है―    प्रधानसृष्टि: परार्थं स्वतोऽप्यभोक्तृत्वात् उष्ट्रकुंकुमवहनवत्।    अर्थात्― प्रकृति से परिणत जगत् आत्मा के लिए ही है, प्रकृति के स्वयं भोक्ता न होने से, ऊँट के द्वारा केशर ढोए जाने के समान। ऊँट केशर को अपने लिए नहीं, अपितु दूसरों के लिए ढोता है। इसी प्रकार प्रकृति से बना जगत् अपने लिए न होकर, आत्माओं के लिए होता है।    कैवल्यार्थं प्रवृत्तेश्च।―(सांख्य १/१०९) 'और मोक्ष के लिए प्रवृत्ति से।' दु:ख की

🔥 ओ३म् 🔥 🌷 संस्कार 🌷 ----------------

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                                                      🔥 ओ३म् 🔥                             🌷 संस्कार 🌷                               ---------------                                                                                  🔥  ओ३म् 🔥                                                 🌷 संस्कार 🌷                                                                                                   ✍️गुलशन कुमार जनक्रान्ति कार्यालय  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 23 अगस्त ,2020 ) ।  जिस क्रिया से शरीर , मन और आत्मा उत्तम हो उसे संस्कार कहते है। जैसे सुनार अशुद्व सोने को अग्नि में तपाकर उसे शुद्ध कर देता है। वैसे ही वैदिक संस्कृति में उत्पन्न  होने वाले बालक को संस्कारों की भट्टी में डालकर उसके दुर्गुणों को निकालकर उसमें सदगुणों को डालने का प्रयास किया जाता है। इसी प्रयास को संस्कार कहते है।     जिस प्रकार सुन्दर , आकर्षक बगीचे का निर्माण के लिए एक- एक पौधे को नियोजित ढंग से लगाया जाता है। समय-समय पर निराई-गुडाई-सिंचाई-कटाई-छंटाई होती रहती है, त

🔥सोलह संस्कारों का प्रयोजन ..॥🔥

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                  🔥सोलह संस्कारों का प्रयोजन ..॥🔥                      🔥सोलह संस्कारों का प्रयोजन ..॥🔥                                                                                                        ✍️👉 गुलशन कुमार जनक्रान्ति कार्यालय  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 22 अगस्त, 2020 ) ।  🌷१:- गर्भाधान संस्कार    - युवा स्त्री-पुरुष उत्तम् सन्तान की प्राप्ति के लिये विशेष तत्परता से प्रसन्नतापूर्वक गर्भाधान करे। 🌷२:- पुंसवन संस्कार  - जब गर्भ की स्थिति का ज्ञान हो जाए, तब दुसरे या तीसरे महिने में गर्भ की रक्षा के लिए स्त्री व पुरुष प्रतिज्ञा लेते है कि हम आज ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे गर्भ गिरने का भय हो। 🌷३:- सीमन्तोन्नयन संस्कार  - यह संस्कार गर्भ के चौथे मास में  बच्चे की मानसिक शक्तियों की वृद्धि के लिए किया जाता है इसमें ऐसे साधन प्रस्तुत किये जाते है जिससे स्त्री प्रशन्न रहें। 🌷४ :- जातकर्म संस्कार  - यह संस्कार बालक के जन्म लेने पर होता है। इसमें पिता या वृद्ध सोने की सलाई द्वारा घी या शहद से जिह्वा पर ओ३म् लिखते हैं और का

🔥 ओ३म् ॥🔥 ----------------- 🙏🌹🕉️सुप्रभात् मंगलमय🕉️🌹🙏 👉🙏सर्वशक्तिमान हैं ईश्वर.....???

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                                              🔥 ओ३म् ॥🔥                          -----------------                          🙏🌹🕉️ सुप्रभात् मंगलमय 🕉️🌹🙏            👉🙏 सर्वशक्तिमान हैं ईश्वर.....???                       🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🕉️🙏                 🌷🍃आपका दिन शुभ हो🌷🍃                                                                                                 👉✍️गुलशन कुमार                             👉🙏सर्वशक्तिमान हैं ईश्वर.....??? समस्तीपुर,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 21 अगस्त,2020 ) ।    🌷प्रश्न:- ईश्वर सर्वशक्तिमान है तो क्या आत्माओं को उत्पन्न नहीं कर सकता..? 💐 उत्तर:- जी नही । भले ही ईश्वर सर्वशक्तिमान है परन्तु वह एक भी आत्मा को न तो पैदा कर सकता है न ही मार सकता है क्योंकि आत्माएं अनादि है।  अनादि उसे कहते है जिसका कोई  आदि कारण न हो , इसी कारण उसका अन्त भी नही हो सकता। जो वस्तु उत्पन्न ही नहीं हुई हो उसे कोई मार भी नही सकता अर्थात् उसका कभी विनाश नही हो सकता।       ईश्वर सर्वशक्तिमान है इसका यह अर्थ नही ह

21 अगस्त 2020 शुक्रवार विशेष.. तीज व्रत कैसे करें.. कोरोनावायरस और लॉकडाउन को देखते हुए स्वयं भी घर में व्रत कर सकते हैं हरितालिका तीज व्रत जानिए पूजा विधि नियम...

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  21 अगस्त 2020 शुक्रवार विशेष.. तीज व्रत कैसे करें..  कोरोनावायरस और लॉकडाउन को देखते हुए स्वयं भी घर में व्रत कर सकते हैं  हरितालिका तीज व्रत जानिए पूजा विधि नियम...                                                   हरितालिका तीज नागेन्द्र कुमार सिन्हा रिपोर्ट  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 20 अगस्त,2020 ) । हरितालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है. अगले दिन सुबह पूजा के बाद जल पीकर व्रत खोलने का विधान है. हरतालिका तीज व्रत एक बार शुरू करने पर फिर इसे छोड़ा नहीं जाता है. हर साल इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करना चाहिए ।  हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है. रात भर जागकर भजन-कीर्तन करना चाहिए. हरितालिका तीज का मुहूर्त 2020 21 अगस्त को सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक पूजा करें । शाम को हरितालिका तीज पूजा मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक है । तृतीया तिथि प्रारंभ 20/21 अगस्त की प्रातः 04 बजकर 14 मिनट से. तृतीया तिथि समाप्त 21/22 अगस्त रात 1 बजकर 59 मिनट तक. हरितालिका तीज पूजा विधि हरतालिका