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जीवन प्रसंग : आत्मा से शरीर..... : पंकज झा शास्त्री

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  जीवन प्रसंग : आत्मा से शरीर..... : पंकज झा शास्त्री जनक्रांति कार्यालय से पंकज झा शास्त्री की रिपोर्ट आधुनिक मनोविज्ञान मानव की चार मूल प्रवृत्तियाँ मानता है- भय, भूख, यौन व सुरक्षा। भय पर शनि व केतु का आधिपत्य है : पंकज झा शास्त्री अध्यात्म डेस्क/भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 04 मई, 2022 )। मानवजीवन में कुछ गुण मूल प्रकृति के रूप में मौजूद होते हैं। प्रत्येक मनुष्य में प्राकृतिक रूप से आत्मा, मन, बल, वाणी, ज्ञान, काम तथा दुःख विद्यमान होते हैं। यह ग्रहों पर निर्भर करता है कि मानव जीवन में इनकी मात्रा कितनी है, विशेष रूप से प्रथम दो तत्वों को छोड़कर, क्योंकि आत्मा से ही शरीर है, यह रवि का अधिकार क्षेत्र है। मन चंद्रमा का है। मंगल- बल, वाणी- बुध, ज्ञान- बृहस्पति, काम- शुक्र तथा दुःख पर शनि का आधिपत्य है। आधुनिक मनोविज्ञान मानव की चार मूल प्रवृत्तियाँ मानता है- भय, भूख, यौन व सुरक्षा। भय पर शनि व केतु का आधिपत्य है। भूख पर रवि एवं बृहस्पति, यौन पर शुक्र तथा सुरक्षा पर चंद्र, मंगल तथा बुध का आधिपत्य है। मानव शरीर के विभिन्ना धातु तत्वों का भी ब्रह्मांड के ग्रह