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दीपक राजसुमन की दूसरी किताब अजनबी लड़की अजनबी शहर कॉलेज लाइफ पर है आधारित..

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  दीपक राजसुमन की दूसरी किताब अजनबी लड़की अजनबी शहर कॉलेज लाइफ पर है आधारित.. जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट  लेखक दीपक राज सुमन ने अपनी दूसरी किताब अजनबी लड़की अजनबी शहर जनमानस के बीच में लाया समाचार डेस्क/लखीसराय/मुंगेर,बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 28 जुलाई,2021)। हर किसी का सपना होता है कॉलेज जाना, पढ़ाई करना, नए दोस्त बनाना, मौज मस्ती करना, वहां से अपने सपने को आगे ले जाना लेकिन कुछ एक लड़के लड़कियां होती हैं जो आगे जा पाते हैं अपने सपने को पूरा कर पाते हैं। कॉलेज लाइफ के ऊपर दीपक राजसुमन की हाल ही में एक किताब आई है अजनबी लड़की अजनबी शहर जो बाजार में धमाल मचा रही है।  दीपक राजसुमन बिहार के लखीसराय के रहने वाले है। उनकी पहले भी एक किताब आ चुकी है अधूरा इश्क अधूरी कहानी ये भी बाजार में खूब बिकी। दीपक कहते हैं वर्तमान समय में इश्क होता क्या है लोग भूल चुके हैं आज इश्क का मतलब होता जिस्म का मिलन। यही कारण है कि आजकल अपराध में बढ़ोतरी देखी जा रही है।  अजनबी लड़की अजनबी शहर कॉलेज लाइफ के ऊपर आधारित है। ये उन लड़के लड़कियों को सचेत करती है जो कॉलेज तो बड़े बड़े सपन

भारत बन्द और किसान आन्दोलन के विभिन्न पक्ष-डा० अमित मिश्रा

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  भारत बन्द और किसान आन्दोलन के विभिन्न पक्ष-डा० अमित मिश्रा  जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट दीपक राज सुमन लखीसराय की रिपोर्ट                                                डॉ० अमित मिश्रा लखीसराय/बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 09 दिसम्बर, 2020 ) । विपक्ष का आन्दोलन करना स्वस्थ लोकतंत्र की जरुरत है, लेकिन उसका उद्देश्य सकारत्मक हो तो परिणाम भी सकारात्मक होगा। वस्तुत: आज का भारत बन्द का प्रयास कितना सार्थक रहा यह विचारणीय है। क्योंकि भारत पिछ्ले एक सालो से त्रादशी की मार झेल रहा है। कभी करोना तो कभी बाढ़ तो कभी कुछ। आज किसानों के समर्थन में विपक्षी दलों द्वारा किसान आन्दोलन का समर्थन किया गया जो पार्टियों की मूल अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दर्शाता हैं । लेकिन क्या समर्थन का अभिप्राय उग्र प्रदर्शन करना है। शायद इसके लिए हमे पूर्व के आंदोलनों पर भी नज़र डालने की जरुरत है। जय जवान जय किसान का नारा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाबहादुर शास्त्री जी द्वारा भारतीय किसानों को 1965 में उनके सम्मान में दिया था, तब सब पार्टियां लगभग एक साथ जय जवान जय किसा