शोषित एवं कमजोरों की आवाज़ है भारतीय संविधान : रवि शंकर चौधरी
शोषित एवं कमजोरों की आवाज़ है भारतीय संविधान : रवि शंकर चौधरी जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट आजादी के 75 वर्षों बाद भी हमारा संविधान, हमारा राष्ट्र विश्व के मानचित्रों पर सर्वाधिक लोकतांत्रिक बना हुआ है। पटना, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 26 नवंबर, 2021 )। भारतीय संविधान जितना लचीला है, उतना ही कठोर एवं न्यायवादी भी। जब पहली बार संविधान सभा की बैठक हुई, उसमें निर्वाचित 296 सदस्यों में से केवल 211 सदस्यों ने ही हिस्सा लिया। क्योंकि मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्कार किया और अलग पाकिस्तान की माँग पर बल दिया। इस घटना के बाद से ही बुद्धिजीवियों, इतिहासकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिज्ञों और रियासतदारों द्वारा अनुमान लगाया जाने लगा कि विविधताओं से भरी इस देश में स्वाधीनता प्राप्ति के बाद नव-निर्मित संविधान कितना प्रभावी होगा बहुत सारे विरोधों एवं कितने अटकलों के बाद सात सदस्यीय प्रारूप समिति का गठन किया गया। जिसके अध्यक्ष बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर हुए। अब बाबा पर एक किताब में विविधताओं से भरे इतने बड़े जनसंख्या वाले देश को पिरोने की जिम्मेदारी थी। शोषितों को न्याय दिलान