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धनतेरस विशेष.... धनतेरस पर देवताओं के वैद्य माने जाने वाले भगवान धनवंतरी की पूजा करते हैं और प्रदोष काल में यम के नाम किया जाता हैं दीपदान

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  धनतेरस विशेष.... धनतेरस पर देवताओं के वैद्य माने जाने वाले भगवान धनवंतरी की पूजा करते हैं और प्रदोष काल में यम के नाम किया जाता हैं दीपदान  जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट धनतेरस 2022 पूजा मुहूर्त 22 अक्टूबर को धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 07 बजकर 01 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक ।  धनतेरस दिवाली से दो दिन पहले मनाई जाती है, इसे धनत्रयोदशी भी कहते हैं : पंकज झा शास्त्री अध्यात्म डेस्क/दरभंगा/मधुबनी/बिहार, (जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 18 अक्टूबर,2022)।  धनतेरस पर्व को देखते हुए लोगों  मे नई सामग्री की खरीदारी हेतु उत्सुकता बनी हुई  है। बाजार बिभिन्न प्रकार के सामग्री से सजने लगे है। कई छोटे बड़े दुकानदार अपने ग्राहकों को आकर्षित करने हेतु तरह तरह के उपहार देने का ऑफर दे रहे है। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी माता लक्ष्मी,भगवान् धन्वंतरि और भगवान कुबेर को समर्पित है। धनतेरस का त्योहार इस बार बेहद शुभ संयोग लेकर आ रहा है. धनतेरस दिवाली से दो दिन पहले मनाई जाती है, इसे धनत्रयोदशी भी कहते हैं। धनतेरस पर देवताओं के वैद्य माने जाने वाले भगवान धनवंतरी की पूजा करते हैं

चित्रगुप्ताष्टकम्(चित्राष्टकम्)

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  चित्रगुप्ताष्टकम्(चित्राष्टकम्) नमामि शुभानन: साकार रूपं। शुभं व्यापकं ब्रह्म: वेदस्वरूपं ।१। द्विभुजमं सौम्यदर्शन: धर्मं प्रियं। चिदाकाशमाकाश वासं भजेऽहं।२। साकारमोंकार मोक्क्षदायकम् । चन्द्रहासधरं नृ़शंस: विचित्रासनस्थितं ।३। करालं महाकाल: कालं कृपालं। महाबाहुं कमललोचन:लेखनीधारकं ।४। श्यामं पट्टिधारक: मषीभाजनसंयुक्तं । ब्रह्मप्रियं पुरूषं  सर्वदैवलेखकं।५। धर्मलेखकं आर्य: पापपुण्यलेखकमं। पुरुषोत्तमं सिद्धिदायक: तिमितलोचनमं।६। धर्माधर्मविचारकं यमदण्डनिवारकं। विष्णुपददातायमं कितवस्वर्गदायकं।७। विप्रवरदायकं भद्र: सर्वयोनिधारकं। महामतिमं महाप्रभु व्युढशीर्षं।८। भीषणं महायश: राजाद्वारेजयदायकं । प्रलयं पूर्णकाम: भक्तिमुक्तिदायकं।९। सरस्वतीपुत्रं परमेष्ठी: स्वर्गदायकं । चित्रगुप्तं महाबाहौ सर्वफलदायकं।१०। चित्रं विचित्रं प्रभु जन्मसम्पत्संहारकं । विवादेजयदायकं सह संग्रामेजयदायकं।११। तपस्वीपुत्रमं तेजस्वी चित्रस्य सनातनं । सर्वव्याधि हरं देवा सर्वव्यापकमं।१२। दक्षिणद्वारमाश्रितमं  कलहाउध्दारकमं। त्रिकालमं मृत्यवे यम धारकं ।१३। विष्णुपदं नरोत्तमाः भव पारकम् प्रलयं

आश्विन की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा,रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस बार शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर 2022,रविवार को मनाई जायेगी :पंकज झा शास्त्री

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  आश्विन की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा,रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस बार शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर 2022,रविवार को मनाई जायेगी :पंकज झा शास्त्री जनक्रांति कार्यालय पंकज झा शास्त्री की रिपोर्ट इस पूर्णिमा का मिथिला में विशेष महत्व होता है। इस रात मिथिला में कोजागरा पूजा मनाई जाती है। इस दिन सूर्यास्त के बाद मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जहां मिथिलांचल में इस पूजा को कोजगरा के नाम से जाना जाता है :पंकज झा शास्त्री अध्यात्म डेस्क/दरभंगा,/मधुबनी/बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 07 अक्टूबर, 2022)। कोजगरा को देखते हुए बाजारों मे  मखान,केला,बांस की डाला दिखने लगी है, लोगों की मांग पूरी करने हेतु व्यापारी भी सामग्री जुटाने लगे है, वैसे उपरोक्त सामाग्री की दामों मे काफी उछाल देखी जा रही है । जिससे कन्या पक्ष सामाग्री कम खरीद पा रहे है। ज्यादा तर कन्या पक्ष सामग्री के बदले वर पक्ष को उपहार स्वरुप कुछ रुपया ही देकर काम चला लेना चाहते है। आश्विन की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा,रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।   इस बार शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर 2022,रविवार को मनाई जायेगी इस पूर्णिमा का म

नवरात्रि विशेष :- माँ कात्यायनी के शक्ति का महत्त्व : मां दुर्गा के नौ रूपों में छठा रूप कात्यायनी देवी का है: पंकज झा शास्त्री

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  नवरात्रि विशेष :- माँ कात्यायनी के शक्ति का महत्त्व : मां दुर्गा के नौ रूपों में छठा रूप कात्यायनी देवी का है: पंकज झा शास्त्री जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट महर्षि कात्यायन ने देवी को अपनी कन्या माना था, तभी से उनका नाम 'कात्यायनी' पड़ गया। कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को अपनी सभी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति होती है प्राप्त अध्यात्म डेस्क दरभंगा\ मधुबनी\ समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 30 सितंबर, 2022 )। नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति देवी कात्यायनी की पूजा करने का विधान है। यजुर्वेद में प्रथम बार 'कात्यायनी' नाम का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए आदि शक्ति देवी के रूप में महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई थीं। माँ कात्यायनी, माता के षष्ठ स्वरूप कात्यायनी का है।  महर्षि कात्यायन ने देवी को अपनी कन्या माना था, तभी से उनका नाम 'कात्यायनी' पड़ गया। कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को अपनी सभी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है। कात्यायनी मां को दानवों

दुर्गा पुजा विशेष- स्कंद माता के पूजन का महत्व : दुर्गा के पंचम स्वरूप को स्कन्द माता के नाम से जाना जाता है : पंकज झा शास्त्री

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  दुर्गा पुजा विशेष- स्कंद माता के पूजन का महत्व : दुर्गा के पंचम स्वरूप को स्कन्द माता के नाम से जाना जाता है : पंकज झा शास्त्री जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता का पूजन करने से आपको उनका आशीर्वाद तो प्राप्त होता ही है, साथ ही बुध की  साकारात्मक ऊर्जा की भी होती हैं प्राप्ति : पंकज झा शास्त्री अध्यात्म डेस्क/दरभंगा/मधुबनी/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 30 सितंबर, 2022)। स्कंद माता का हिन्दू धर्म में तो विशेष महत्व बताया ही गया है, साथ ही ज्योतिष विज्ञान में भी विशेष स्थान प्राप्त है। बुध ग्रह को नियंत्रित करने वाली देवी होने के चलते देवी मां के संबंध में मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा-आराधना पूरे विधि विधान से करने पर जातक के बुध ग्रह से संबंधित सभी दोष और बुरे प्रभाव शून्य या फिर समाप्त हो जाते हैं। ऐसे में नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता का पूजन करने से आपको उनका आशीर्वाद तो प्राप्त होता ही है, साथ ही बुध की  साकारात्मक ऊर्जा की भी प्राप्ति होती है। माना जाता है कि देवी की कृपा से वंश आगे बढ़ता है और संतान संबधी सा

नवरात्र में कलश(घट) स्थापना का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्त्वपूर्ण स्थान : पंकज झा शास्त्री

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  नवरात्र में कलश(घट) स्थापना का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्त्वपूर्ण स्थान : पंकज झा शास्त्री जनक्रांति कार्यालय से पंकज झा शास्त्री अपने भीतर की ऊर्जा जगाना ही देवी उपासना का मुख्य प्रयोजन है। दुर्गा पूजा और नवरात्र मानसिक-शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक हैं : पंकज झा शास्त्री कलश(घट ) स्थापना शुभ मुहूर्त - 26 सितम्बर को प्रातः 06:02 से दि 07:31 तक,इसके उपरांत दि 09:03 से दि 02:59 तक सर्वोत्तम रहेगा। अध्यात्म डेस्क/दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( जनक्रांति हिंदी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 25 सितंबर, 2022 )। दुर्गा पुजा को लेकर तैयारी अंतिम चरण मे है। किसी भी शुभ कार्य एवं पूजा मे कलश का विशेष महत्त्व है विशेष कर जब दुर्गा पूजा मे इसका महत्त्व पूर्ण स्थान है। कलश का महत्त्व धार्मिक दृष्टि के साथ साथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्त्व बढ़ जाता है। शास्त्रों मे कहा गया है कि जिस प्रथम दिन दुर्गा पूजा मे घट स्थापना होती है उसी दिन के अनुसार माँ दुर्गा के आगमन वाहन निर्धारित होता है,इसबार घट स्थापना या कलश स्थापना सोमवार को हो रहा है यानि माता गज वाहन से आगमन कर रही है।  इसबार शारदीय नवरात्र 2

श्री श्री 108 नवाह यज्ञ का किया गया आयोजन, भक्तिमय बना संपूर्ण क्षेत्र

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  श्री श्री 108 नवाह यज्ञ का किया गया आयोजन, भक्तिमय बना संपूर्ण क्षेत्र जनक्रांति कार्यालय से राज्य ब्यूरो चीफ पिंकेश कुमार पप्पू की रिपोर्ट नवाह यज्ञ का पंचम वर्ष पूरा होने की खुशी में ग्रामीणों द्वारा डबल नवाह यज्ञ का किया गया आयोजन  हसनपुर विधानसभा विधायक प्रतिनिधि विभा देवी एवं कुंडल 1 पंचायत के नव निर्वाचित जनप्रतिनिधि निभा रहें हैं मुख्य भूमिका समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 15 सितंबर, 2022 )। समस्तीपुर जिले के सिंघिया प्रखंड के कुंडल 1 पंचायत के ग्राम मामूरपुर बोहरना के हनुमान मंदिर पर श्री श्री 108 नवाह यज्ञ जो 6 सितंबर से लेकर 16 सितंबर तक चलेगी। इस नवाह यज्ञ से संपूर्ण क्षेत्र भक्तिमय  हो रहा है। पंडित बुचो मिश्रा पुजारी रामशी यादव,जगदीश यादव,गोलू यादव, सकिंदर यादव, सुनील यादव सहित अन्य लोगों के द्वारा श्री राम जय राम जय जय राम के जयघोष से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। विदित हो कि यहां का नवाह यज्ञ पिछले 04 वर्षों से चर्चा का विषय बना हुआ है इस वर्ष नवाह यज्ञ का पंचम वर्ष पूरा होने की खुशी में ग्रामीणों द्वारा डबल नवाह यज्ञ का आयोजन किया

बरका भारी जितिया पाबैन विशेष : जिनका लम्बा समय स संतान नई भ रहल छइन्ह हुनका लेल जितिया व्रत एगो वरदानक जका अछी :पंकज झा शास्त्री

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  बरका भारी जितिया पाबैन विशेष : जिनका लम्बा समय स संतान नई भ रहल छइन्ह हुनका लेल जितिया व्रत एगो वरदानक जका अछी :पंकज झा शास्त्री जनक्रान्ति कार्यालय सं अहि व्रत में नहाय खाय के परंपरा होइत अछी कतेको राज्य में  अहि पाबइन के ‘जिउतिया’ सहो कहल  जाइत अछी : पंकज झा शास्त्री अध्यात्म डेस्क/दरभंगा/मधुबनी,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 15 सितंबर, 2022)। संतान के दिर्घायु हेतु कयल जाय वला कठोर व्रत जितिया,जे आश्विन मासक कृष्ण पक्ष मे मनाओल जायत अछी, अहि बेर मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार १७ सितम्बर क जितिया (जीमूतवाहन)व्रत दिन आ राइत राखाल जायत। १८ सितम्बर क व्रत के पारण होयत। अहि पर्व के शुरुआत सप्तमी तिथि क नहाय् खाय स शुरू होइत अछी जे १६ सितम्बर क होयत,अहि दिन महिला वर्गक् हेतु विशेष भोजन मरुआ आंटा के रोटी आ नुनी साग अथवा चुरा दही बहुत प्रसिद्द मानल गेल अछी। अष्टमी तिथि के दिन स्नान कय माताएं प्रदोष काल में जीमूत वाहन देवताक पूजा  करइत  छइथ् तथा तेल आ खैर चढ़ाबैथ छइथ बताओल जाइत अछी कि देव के दीप, धूप, अक्षत, रोली, लाल एवं पीयर रूई स सजाओल जाइत अछी आओर उपरांत हुनका

गणेशोत्सव पूजन समारोह विशेष: बुधवार के दिन गणेश पुजनोत्सव आरम्भ अति शुभ फलदाई : ✍🏻 पंकज झा शास्त्री

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  गणेशोत्सव पूजन समारोह विशेष: बुधवार के दिन गणेश पुजनोत्सव आरम्भ अति शुभ फलदाई : ✍🏻 पंकज झा शास्त्री जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट पंचांंग के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा के लिए प्रात:काल 10:27 से दोपहर 12:02 बजे के बीच सबसे उत्तम योग बन रहा है:पंकज झा शास्त्री अध्यात्म डेस्क/मधुबनी/दरभंगा/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 31 अगस्त,2022 )। मधुबनी निवासी पंकज झा शास्त्री की ज्योतिष शास्त्र विचार अनुसार गणेशोत्सव पूजन समारोह की शुभ मुहूर्त इत्यादि कब है और किस समय पूजन करना शुभ है। 👉🤳किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान श्री गणेश जी की पूजा से की जाती है, बल्कि किसी शुभ शुरुआत को ही श्री गणेश करना कहा जाता है. गणों के स्वामी होने के कारण जिन्हें देवाधिपति गणपति कहा जाता है, उनसे जुड़ा पावन पर्व इस साल भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी यानि 31 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा ।  इसी पावन तिथि से गणपति बप्पा के 10 दिनी उत्सव की शुरुआत होती है, जिसका समापन अनंत चतुर्दशी को होता है। जीवन से जुड़े कष्टों को दूर और सभी मनोकामनाओं को पलक झपकत