दर्द दोस्त का
दर्द दोस्त का जनक्रांति कार्यालय से रचनाकार प्रमोद कुमार सिन्हा दर्द दोस्त का कहाँ तुम हो कहाँ हम हैँ , रिटायरमेंट की ये दूरियाँ से , कितना मज़बूर हैँ हम , संगे दिल साथ साथ गुजरते थे , वो भी पल क्या थे , क्या बतायें क्या सुनायें हम , अब दूर दूर हो गये हैँ , खत का जमाना नहीं , मोबाइल ही हो गये हम , मन नहीं मानता था , रोज रोज मिलते थे , अब कैसा समय है गुम हो गये हम , फोन की घंटीयाँ गुनगुनाती रहती है, मित्रों की परवाह नहीं है, पोते -पोतियों में मशगुल हो गये हम , किसको सुनायें ये शिकवे , किसको कहें ये हक़ीक़त , नाम दोस्ती का अशकों से धुल गये हम जमाने की है यही कहानी , बोल गया सब कुछ लिख गया हूँ , दोस्तों के नाम खत लिख गये हम । जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय से प्रमोद कुमार सिन्हा बेगूसराय की रचना प्रकाशित व प्रसारित।