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👉✍️🗣️"विधा ददाति विनयं"..🙏🏿

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                  👉✍️🗣️"विधा ददाति विनयं"..🙏🏿            👉✍️🗣️"विधा ददाति विनय"..🙏🏿 ✍️🗣️गुलशन कुमार  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 16 अक्टूबर, 2020 ) । 🌷 " विद्या ददाति विनयं  " के अनुसार विद्यावान को विनम्र और विनयशील होना चाहिए, अहंकारी और शेखीबाज़ नही। यदि विद्या पाकर भी विनम्रता धारण नही की जाती तो विद्या प्राप्त करना निष्फल ही रहा। विद्यावान जितना ज्ञान प्राप्त करता है उतना ही वह यह समझता है कि वह बहुत कम जानता है और बहुत कुछ जानना बाक़ी है जो अपने को बुद्धिमान समझे वह मूर्ख है । " विद्या ददाति विनयं " के अनुसार विद्या से विनम्रता प्राप्त होती है ।विद्या विद् धातु से बना शब्द है जिसका अर्थ होता है ज्ञान, जानना । विनम्रता से कार्य की सिद्धि होती है, अहंकार का नाश और यश की प्राप्ति होती हैं, ज्ञान से बुद्धिबल बढ़ता है, बुद्धिबल से मनुष्य की कार्य क्षमता बढ़ती है ।बुद्धिबल के बिना मनुष्य मूढ़ होता है अयोग्य होता है । विद्या और बुद्धि के बिना धन का भी उचित उपयोग नही हो सकता इसलिए विद्या और बुद्धि धन से भी