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*Nice lines for Sr. Citizens* "जीने की असली उम्र....✍️

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                          *Nice lines for Sr. Citizens*                         "जीने की असली उम्र....✍️ ✍️अभिषेक कुमार श्रीवास्तव             समस्तीपुर ,बिहार               *Nice lines for Sr. Citizens*                         "जीने की असली उम्र....✍️ समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिंदी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 25 सितंबर, 2020 ) ।  ```जीने की असली उम्र तो साठ है. बुढ़ापे में ही असली ठाठ है,     ना बचपन का होमवर्क,       ना जवानी का संघर्ष,      ना 40 की परेशानियां,  बेफिक्रे दिन और सुहानी रात है,   जीने की असली उम्र तो साठ है,    बुढ़ापे में ही असली ठाठ है,        ना स्कूल की जल्दी,      ना ऑफिस की किट किट,          ना बस की लाइन,      ना ट्रैफिक का झमेला,       सुबह रामदेव का योगा,          दिनभर खुली धूप,        दोस्तों यारों के साथ    राजनीति पर चर्चा आम है,    जीने की असली उम्र तो साठ है,   बुढ़ापे में ही असली ठाठ है,     ना मम्मी डैडी की डांट,  ना ऑफिस में बॉस की फटकार       पोते-पोतियों के खेल,            बेटे-बहू का प्यार,        इज्जत से

जिंदगी ही एक इम्तिहान है, पास या फेल इसकी पहचान है, ।...

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  जिंदगी ही एक इम्तिहान है,  पास या फेल इसकी पहचान है, ।... जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट                                                                        ✍️प्रमोद कुमार सिन्हा                                            बेगूसराय, बिहार बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 27 अगस्त,2020 ) ।  जिंदगी ही एक इम्तिहान है ,  पास या फेल इसकी पहचान है  ,  निरंतर संघर्ष होता ही रहता है  ,  संघर्ष से उबरना ही जान है  ,  जिंदगी ही एक........  पग - पग पर कभी रुलाती है  ,  कभी असफलता दिखलाती है ,  सफलता असफलता भंवर बिच ,  राह भी अनेक दिखलाती है  ,  इसी के लिये सभी कुर्बान हैँ  ,  जिंदगी ही एक.......  सोचा भी ना होगा दुर्दिन होगा  ,  हर कदम हर पल मुश्किल होगा  ,  मंज़िलें पाना ना आसान होगा  ,  उबर कर आगे बढ़ना घमासान होगा  ,  लो यही तो एक अरमान है  ,  जिंदगी ही एक.......  बातों में छलांग लगाना अच्छा है  ,  चलकर पहुंचना कितना सच्चा है  ,  पथ विकट कंकरीली कच्चा है  ,  कहते सभी हैँ अभी तो बच्चा है ,  बचपन में सभी को कुछ अरमान है  ,  जिंदगी ही  एक.........  जिंदगी ना मस्ती

दो पल की जिंदगी दो पल का है तू मेहमान , दो पल में ही बीत जायेगा सब तेरा अरमान..

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दो पल की जिंदगी दो पल का है तू मेहमान  ,  दो पल में ही बीत जायेगा सब तेरा अरमान..!                              @Pramod kumar sinha                             Begusarai,Bihar Begusarai,Bihar ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 15 जुलाई,2020 )  दो पल की जिंदगी दो पल का है तू मेहमान  ,  दो पल में ही बीत जायेगा सब तेरा अरमान..!   दो पल का है सारे रिश्ते नाते रहेगा  सिर्फ याद  ,  दो पल का सुख चैन फिर मौत का है फरमान  ,  दो पल की है.........। दो पल के लिये ही मानव तूने पाल लिया अहम्  ,  खाक में सुपुर्द हो जायेगा दो पल में सारा वहम  ,  दो पल में ही तस्बीर तेरा टंग ही जायेगा दीबारों पर ,  सच्चाई अच्छाई चले संग तेरे बुरे कर्मों से अब सहम  ,  दो पल की.........।। संसार चला चली का बस दो पल का ही खेला है  ,  संचित प्रारब्ध और क्रियमाण कर्म का ही झमेला है  ,  दो पल में ही सब कर्मों को समेट यहाँ से है जाना ,  बाजार सब सजा धजा दो पल रंगारंग का मेला है  ,  दो पल की............ ।। अब तो बिचार ले प्रमोद दो पल में तुम्हें क्या है करना ,  मझधार में नैया तेरी डूबना या उस पार उतरना है  ,  दो पल खू

कोई कोई नजर में बहुत भा जाती है , दिल से उतर नसतर में समा जाती है ..!

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             कोई कोई नजर में बहुत भा जाती है ,              दिल से उतर नसतर में समा जाती है ..!                                   Pramod kumar sinha                         Begusarai,Bihar बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 14 जुलाई, 2020 ) । कोई कोई नजर में बहुत भा जाती है ,  दिल से उतर नसतर में समा जाती है ,  कोई कोई नजर में बहुत भा जाती है ,  दिल से उतर नसतर में समा जाती है ,  देखे बिना सोना खाना पीना हराम है ,  एक झलक देखूँ शकुन मिल जाती है,  कोई कोई नजर.......... । काले गोरे खूबसूरती का है भेद नहीं ,  ऊंच नीच का होता कोई है खेद नहीं,   मोहब्बत है खुदा की हसीन तोहफा. ,  नज़रें नज़रें दिल दिल मिल जाती है ,  कोई कोई नजर......।  लैला मजनूँ में कैसी समानता थी  ,  हीर राँझा में कितनी विषमता थी ,  प्रेम तो प्रेम है जात पात की बू नहीं ,  मन ही मन भा दीप जला जाती है ,  कोई कोई नजर.........। दुनियां कहती है बहुत कह लेने दो,  हमें अपने वादे पर भी चल लेने दो ,  अच्छों को बुरा कहना ये आदत है,  बाद में यही दुनियां भुला जाती है.....।। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कु

हमसे दूर दूर क्यों नजर आती हो तुम , नज़रें झुका कर गुजर जाती हो तुम ,

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हमसे दूर दूर क्यों नजर आती हो तुम ,  नज़रें झुका कर गुजर जाती हो तुम ,  प्रमोद कुमार सिन्हा  बेगूसराय, बिहार  बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 08 जुलाई,2020 ) । हमसे दूर दूर क्यों नजर आती हो तुम ,  नज़रें झुका कर गुजर जाती हो तुम ,  मुझे देख क्यों मुस्कुराती हो जानेमन ,  खिला हुआ फूल  नजर आती हो तुम ,  हमसे दूर दूर........ । चाहता हूँ और नज़दीक हो जाऊ मैं ,  दिल घबराता दूर ना चली जाओ तुम ,  शकुन चैन मिलता है तुम्हें देखकर ,  छत पर खड़ी जब दिख जाती हो तुम,  हमसे दूर दूर...... । ऑंखें मिलाती हो मिलने से घबराती हो  तिरछी नजर से कटार चलाती हो तुम ,  हिरणी सी चाल और पतली कमर है हसरतें तमन्ना में बड़ी खूबसूरत हो तुम  हमसे दूर दूर.......।  ऐ हुस्न की मलिका क्या तारीफ करूँ ,  शब्द नहीं गुले गुलज़ार लगती हो तुम,  बांहों में भर लेने की जी चाहताहै तुझे  वाकई संगमरमर की एक मूरत हो तुम....। 02... बहारों के थे जो सपने फूल बन खिलेंगे नज़रें बिछाये सनम हम फिर मिलेंगे,  बहारों के थे जो सपने फूल बन खिलेंगे नज़रें बिछाये सनम हम फिर मिलेंगे,  फिजाओं से पूछो घटाओं से तू पूछ लो 

मेरे प्यार का तुम अब इम्तिहान ना लो, यकीन ना हो गर तो खुदा से पूछ लो..!!

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मेरे प्यार का तुम अब इम्तिहान ना लो,  यकीन ना हो गर तो खुदा से पूछ लो..!! प्रमोद कुमार सिन्हा  बेगूसराय, बिहार  बेगूसराय, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 04 जुलाई,2020 ) ।  मेरे प्यार का तुम अब इम्तिहान ना लो,  यकीन ना हो गर तो खुदा से पूछ लो ,  मोहब्बत में इजाजत ना होती खुदा की  कदम ना बढ़ते इतना दिल से जान लो ,  मेरे प्यार का तुम.........  गर इनायत ना होती शिकायत ना होती  हाले बयां दिल से ये शराफत ना होती ,  हम कहीं और भटक झटक रहे होते ,  तुम्हें पास आने की हिमाकत ना होती ,  मेरे प्यार का तुम......  शुक्र है की मैं बेबफा ना तुमसे की है ,  तेरे लिये मन्नतें खुदा से जो मैंने की है ,  दिल की धड़कन मेरी आबाज तुम हो, वही बफा की उम्मीद हमनें भी की है,  मेरे प्यार का तुम......  दिल में है अरमान आश लिये तुम पर ,  कश्में बफा की तुम मुझे पहचान लो ,  ऐसा ना हो भीड़ में खो जाओ कहीं,  दिल से दिल की बात प्रमोद मान लो,  मेरे प्यार की. ।।। ..................................................................... कभी ना कभी हम तुम फिर मिलेंगे ,  शिकबे शिकायतें हम मिल दूर करेंगे , 

अब तो राहें जुदा जुदा हो गई., हम कहीं खो गए तुम कहीं खो गई.,

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अब तो राहें जुदा जुदा हो गई.,   हम कहीं खो गए तुम कहीं खो गई.,        प्रमोद कुमार सिन्हा             जेपी सेनानी       बेगूसराय, बिहार बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 28 जून,2020 ) ।  अब तो राहें जुदा जुदा हो गई.,   हम कहीं खो गए तुम कहीं खो गई.,  अब तो राहें जुदा जुदा हो गई.,   हम कहीं खो गए तुम कहीं खो गई.,   तनहाई अब रास आने लगी.,   तुम्हारी याद दिल से जाने लगी.,   आशा था चमन में फूल भी खेलेंगे.,   कभी ना कभी हम गले मिलेंगे.,   अब हर याद तुम्हारी बिछड़ने लगी  तन्हाई अब रास आने लगी.,   जाने किस मुकाम पर गले मिले थे.,   सपने संजोए दिल खिले हुए थे  मुस्कान पर हम फिदा हो गए.,   अरमान लिए ही विदा हो गए.,   आंसू भी सूख गए हैं आंखों से.,   सूनापन अब ना बोझिल लगती है.,   बेदर्दी सॉन्ग मुझे भाने लगी है.,   तनहाई अब रास मुझे आने लगी है.,।। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा  जेपी सेनानी प्रमोद कुमार सिन्हा की रचना प्रकाशित । Published by Rajesh kumar Verma 

🕊️🦅परिंदा ' तोताराम'🕊️🦅

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                                🕊️🦅परिंदा ' तोताराम'🕊️🦅                                                    प्रवीण प्रसाद सिंह"वत्स"                               समस्तीपुर, बिहार समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 24 जून,3020 ) ।  🕊️🦅परिंदा ' तोताराम'🕊️🦅                                                                                    मैं उङना चाहता हूं, खुले व्योम में, बिना किसी झंझावात के, मुझपर बंदिश लगाया मानव के पुरखों ने, सीमा,क्षेत्र, भाषा,देश, के नाम पर, जाति, मजहब, गोष्ठी,पंथ, के नाम पर, दल,वर्ग, ऊंच-नीच, नस्लवाद का कहर बरपाकर, उग्रवाद,आतंकवाद, वंशवाद का हवाला देकर, डिप्लोमा-डिग्री, ओहदे-तोहफे का प्रलोभन देकर, जमीन-जायदाद,कानुन-कचहरी का चक्कर लगाकर, कभी दोस्त-दुश्मन, स्वदेशी-विदेशी का ढिंढोरा पीटकर,  मेरी मौलिकता अब मुझे लौटा दे, मैं थका-हारा हूं दरिंदों की दरिंदगी से,                           मैं पिंजरा का परिंदा ' तोताराम' हूं! मैं उङना चाहता हूं खुले व्योम में! समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमा

जिंदगी में मुश्किलें तमाम हैँ , फिर भी इन ओठों पर मुस्कान है

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जिंदगी में मुश्किलें तमाम हैँ , फिर भी इन ओठों पर मुस्कान है   प्रमोद कुमार सिन्हा  बेगूसराय, बिहार  बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 24 जून,2020 ) । जिंदगी में मुश्किलें तमाम हैँ , फिर भी इन ओठों पर मुस्कान है  ,  जीना जब हर हाल में है  , फिर मुस्कुराकर जीने में क्या नुकसान है ,  बुजदिल होते हैँ जो  , रो रोकर जीवन अपना व्यतीत करते हैँ  ,  बरे से बरे संकट में भी , हंसकर जीवन जीनेवाले इंसान हैँ  ,  जिंदगी में मुश्किलें..........  नदियों की धारा पत्थरों से टकराकर ही  , आगे आगे रास्ता पकड़ती है  ,  पत्थरों के अहम् चकनाचूर करके ही  ,  धारा सरपट निकलती है  ,  हौसले बुलंद होते हैँ जिनके , पग बढ़ाने में करते नहीं कोताही ,  मंजिलें अति सुलभ होते हैँ उनको  , जो लक्ष्य के लिये कुर्बान हैँ  ,  जिंदगी में मुश्किलें...........  दुख आना और जाना होता है हरदम , जानकर भी हम परेशान हैँ  ,  इस जग में ही मिलते हैँ कोई  साधु  , और कोई कोई शैतान भी हैँ  ,        जीना उसका जीना है जगत में  , जिसने जीने का है मर्म जान लिया  ,  होती हैँ चर्चाएं उनकी पग पग पर  , और

'मां'से मिलता हूं बिछुङ जाता हूं, दर्द ए दिल होता जो दूर जाता हूं

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 'मां'से मिलता हूं बिछुङ जाता हूं,  दर्द ए दिल होता जो दूर जाता हूं प्रवीण वत्स समस्तीपुर, बिहार 'मां'से मिलता हूं बिछुङ जाता हूं,  दर्द ए दिल होता जो दूर जाता हूं।  गम की दुनिया में आता-जाता हूं, हंसने-हंसाने से दूर चला जाता हूं। 'पिता' के साये से दूर-दूर पाता हूं, 'परमपिता' को याद करते जाता हूं। डांट-डपट मार अब कहां खाता हूं? बेफिक्र होकर कहां कहीं जाता हूं। जिन्दगी में  जिंदादिली दिखाता हूं,  ममतामई के पास चला जाता हूं‌‌‌। दूर-दूर रहकर भी  पास पाता हूं, 'वत्स' खुश है आशिर्वाद पाता हूं ।।                              प्रवीण प्रसाद सिंह"वत्स" समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा  प्रवीण वत्स, समस्तीपुर, बिहार की रचना  प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

गलवान घाटी शहादत देश भूल ना पायेगा, घड़ी हर पल शूल की भांति दिल में चुभायेगा !

गलवान घाटी शहादत देश भूल ना पायेगा,  घड़ी हर पल शूल की भांति दिल में चुभायेगा ! Pramod kumar Sinha  Begusarai,Bihar बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 21जून,2020 ) । गलवान घाटी शहादत देश भूल ना पायेगा  घड़ी हर पल शूल की भांति दिल में चुभायेगा ,  कायरता बबर्रता की सीमा पार कर चुका चीन ,  बदला बिना भारत चैन कैसे अब पायेगा  , गलवान घाटी....  लठमार को लठमार की तरह पेश होना  चाहिए  ,  चीन को भी अब  मुकम्मल जबाब चाहिए ,  संसार भारत की जवाब की प्रतीक्षा में है ,  सबक ऐसा मिलेगा दुश्मन कभी भूल ना पायेगा ,  गलवान घाटी .......!  हमारी सहन शक्ति को कायरता समझ बैठा है  ,  इसी दम पर हमला कर रगड़ा ठान  बैठा है ,  ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैँ हम ,  शांति सन्देश हमारा , अब क्रांति नजर आएगा.  गलवान घाटी...... ! अपनी सीमा में घुसपैठियों को सबक जो सिखाएंगे  ,  मरते मरते भी मार मार कर जौहर अब दिखाएंगे  ,  हम बुजदिल नहीं सिंह के औलाद -फौलाद हैँ.  हमसे टकराने बाला बच कर जा नहीं पायेगा .  गलवान घाटी....... ! एक बार फिर हम इतिहास रच दुनियां को दिखाएंगे  ,  भारत की गरिमा को वि

21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण के अवसर पर गीत.... जिस दिन सूर्य चाॅंद के पीछे ही छिप जाए नज़र वास्तविक कोरोना तो नभ में आए..?

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21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण के अवसर पर  गीत.... जिस दिन सूर्य चाॅंद के पीछे ही छिप जाए नज़र वास्तविक कोरोना तो नभ में आए..? उपमेन्द्र सक्सेना एड       कुमुद -निवास'  301, कुॅंवरपुर, बरेली बरेली, उत्तरप्रदेश ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 20 जून,2020 ) ।  जिस दिन सूर्य चाॅंद के पीछे ही छिप जाए  नज़र वास्तविक कोरोना तो नभ में आए।  सूर्य ग्रहण में केवल परत बाहरी दिखती  गोलाई में बाहर निकली ज्वाला टिकती  आगे- पीछे चन्द्र ग्रहण की गाथा लिखती  युग के हाथों जीवन की परिभाषा बिकती   सूर्य ग्रहण जब मुख्य भूमिका यहाॅं निभाए  नज़र वास्तविक कोरोना तो नभ में आए।  सूर्य देव की पूजा से हमको मिलता बल  बन किरीट कोरोना जीवन को दे सम्बल  फिर क्यों लोग यहाॅं पर करते हैं इतना छल  निकल न पाए इससे आज समस्या का हल  पूजनीय जो बना हुआ वह हमको भाए  नजर वास्तविक कोरोना तो नभ में आए। भेड़ -बकरियाॅं समझ यहाॅं पर जिनको हाॅंका  छले गए जो लोग करेंगे कब तक फाॅंका  किसी धूर्त ने जब मानव के मन में झाॅंका  एक वायरस को भी सूर्य देव से ऑंंका  नकली कोरोना क्यों अब धरती पर छाए  नज़र वास्तविक कोरोना

भारत ने लिया अब ठान, ब्यर्थ न जायेगा बलिदान

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                  👊'भारत' ने लिया है ठान 👊                         भारत ने लिया अब ठान,                       ब्यर्थ न जायेगा बलिदान                                                                                     प्रवीण प्रसाद सिंह"वत्स"                                                                   समस्तीपुर, बिहार      समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 19 जून,2020 ) ।  भारत ने लिया अब ठान, ब्यर्थ न जायेगा बलिदान माँ भारती के वीर शहीदों, तुमको लक्ख लक्ख है प्रणाम !              'भारत' ने लिया अब ठान----2 गिलवान ,पैंगोंग ' भारत'की शान, अक्साई के लिये अब लेंगे प्राण, एल.ए सी पर आज खङे हैं जवान, सीना ताने जय जवान! जय जवान!जय जवान!                        'भारत' ने लिया अब ठान------2 ड्रैगन क्यों बना है अनजान, साँप है तू कोरोना की खान,  विश्व-मानवता का हत्यारा, जानता सम्पूर्ण शकल जहान,                       ' भारत' ने लिया है अब ठान----2 बहिष्कार करो चाइना सामान,  होलिका दहन अब करो सामान, स्वदेशी क

😊 ..फेकु नीकु होंगे तङीपार 😎

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                            😊 ..फेकु नीकु होंगे तङीपार 😎 अबकी बार, सौ मे दरार, फेकु-नीकु,होंगे तङीपार,                                       @Praveen prasad singh"vatsh"                                                Samastipur,bihar   समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 11 जून,2020 ) ।        अबकी बार, सौ मे दरार, फेकु-नीकु,होंगे तङीपार,  मजदूर-किसान मे,हाहाकार, हत्या. लूट, और बालात्कार, भ्रष्टाचार, अत्याचार,बेरोजगार, लाँकडाउन ओर कोरोना महामार, विफल,विफल,विफल, सरकार, पंचायतो का किया, बँटाधार, शिक्षा/शिक्षक को किया लाचार, बुद्धि वादी बदलो सरकार, मँहगाई से हैं फटे हाल बेकार, प्राउटिस्टो की है हुँकार ! अबकी बार सौ मे दरार, फेकु-नीकु बिहार से तङीपार।। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रवीण प्रसाद सिंह"वत्स"की काव्य प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

👾खुद को बचाना👾 आ गया 'कोरोना', आ गया' कोरोना', शहर शहर घुमकर आ गया 'कोरोना',

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                        👾खुद को बचाना👾 आ गया 'कोरोना', आ गया' कोरोना', शहर शहर  घुमकर आ गया 'कोरोना',                                            प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स"                                                    समस्तीपुर, बिहार    समस्तीपुर,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 25 मई,20 )। आ गया 'कोरोना', आ गया' कोरोना', शहर शहर  घुमकर आ गया 'कोरोना' । आ गया 'कोरोना', आ गया' कोरोना', शहर शहर  घुमकर आ गया 'कोरोना'। गांव में अब आ गया' कोरोना', साबुन, मास्क ,सेनेटाइजर उपयोग मे लाना, दो गज की दूरी से है खुद को बचाना,  कमरा मे जाने से पहले बाथरूम है जाना, खाना खाने से पहले हाथ मुँह खुद का धोना, परदेशी बाबू का हेल्थ चेकअप कराना, बुढे -बच्चों को अभी बाजार न घुमाना , दिल्ली, मुम्बई,गुजरात में हाँटस्पाट 'कोरोना', लाखों लाख मे छा रहा कोरोना, 'वत्स'आ गया कोरोना, आ गया कोरोना! 👹👾👻 समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रवीण प्रसाद सिं

घरौंदा जो था एक सपनों का , आज वह हमसे टूट गया,

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घरौंदा जो था एक सपनों का ,              आज वह हमसे टूट गया,                                            प्रमोद कुमार सिन्हा  बे गूसराय, बिहार घरौंदा जो था एक सपनों का ,              आज वह हमसे टूट गया, प्याला में जो थोड़ा चाय था,            मुँह तक आते आते छूट गया, घरौंदा जो था एक.......... इसके लिये अश्क़ क्या बहाना,            अश्क़ भी गालों तक लुढ़क, नीचे आ भी ना पाया था,            बीच में ही कैसे सूख गया, घरौंदा जो था एक........ कब तक उसका शोक मनाता,              जो मेरा कभी था ही नहीं, सपना तो सपना ही था,              ऑंखें खूली सपना टूट गया, घरौंदा जो था एक......... प्रमोद कैसे कैसे सपने,              सजाया ही क्यों था जीवन, रह गया जो पुरा अधूरा,              जो टूट गया सो छूट गया. घरौंदा जो था एक...... एक ना एक दिन टूटना है,               सपना सच नहीं हो सकते, जो सच हो सकते हैँ जीवन,              ओ सपना नहीं हो सकते.                  समस्तीपुर कार्यालय को प्रमोद कुमार सिन्हा द्वारा  प्रकाशन हेतु समर्पित किया गया । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित