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होली.. ज्योतिष विचार ..... इस बार होली 18 या 19 ..?, लोग असमंजस में...पंकज झा शास्त्री

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  होली.. ज्योतिष विचार ..... इस बार होली 18 या 19 ..?, लोग असमंजस में...पंकज झा शास्त्री जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट होलिका दहन भद्रा रहित पूर्णिमा की रात में ही किया जाए। दिन में चतुर्दशी या प्रतिपदा में होलिका दहन निषेध है : पंकज झा शास्त्री दरभंगा/मधुबनी/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 11 मार्च, 2022) । होली इस बार 19 मार्च को मनाई जाएगी। वहीं, होलिका दहन 17 मार्च की रात्रि किया जाएगा। जानकारी के अनुसार ज्योतिषाचार्य और कर्मकांड के विद्वानों ने संशय को दूर करते हुए एक मत से 19 को ही होली मनाने का निर्णय लिया है।17 मार्च को सूर्योदय 06:03  पर और चतुर्दशी तिथि का मान दिन में 01:11तक, इसके पश्चात संपूर्ण दिन और रात्रि पूर्णिमा है। जो दूसरे दिन 18 मार्च को दिन में 01:02 तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि के पूर्वार्द्ध में भद्रा का निवास होता ही है। होलिका दहन के विषय में कहा गया है कि होलिका दहन भद्रा रहित पूर्णिमा की रात में ही किया जाए। दिन में चतुर्दशी या प्रतिपदा में होलिका दहन निषेध है। इसलिए इस वर्ष होलिका दहन 17 मार्च की रात्रि में 01 बजकर 11 मिनट के बाद औ

होली......रंगों का त्यौहार

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  होली......रंगों का त्यौहार   प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स" होली रंगों का त्योहार है, मन-बंधों का त्योहार है, शिष्ट आ-चरणों का त्योहार है, जीवन उत्कर्षों का त्योहार है,  मिलने-जुलने का त्योहार है, प्रेमानंद में आनंदमय होने का त्योहार है, भेद रहित होने का त्योहार है, अखिल सत्ता से एकाकार होने का त्योहार है ।।                                                                                                                                      होली गीत.. होली गीत गाओ मन-बसिया, साथ-साथ गाओ रंग- रसिया, कोयल गाए, पपीहरा गाए, राधा जी, उनकी सखियां गाए,आ भी जाओ मोरे वृन्दावन बसिया, होली गीत गाओ मन बसिया-३, गोकुल के नंद बाबा गाए, यशोदा मैया संग ग्वाल-बाल गाए, भक्त- राज सुदामा गाए, यमुना तट पर नंदी गाए, आ भी जाओ मोरे रंग रसिया, होरी गीत गाओ मन बसिया-२ गोकुल में द्वारपाल गाए, देवकी और सुभद्रा गाए, भैया भीम संग अर्जुन गाए, इन्द्रप्रस्थ से युद्धिष्ठिर गाए, आ भी जाओ मोरे नैनौं के बसिया, होरी गीत गाओ मन बसिया-३ हो$-हो$-हो$-हो$-हो$-हो$ होरी गीत गाओ मन बसिया-३ ।  'वत्स 'अर्पण-समर्