होली......रंगों का त्यौहार
होली......रंगों का त्यौहार
प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स"
होली रंगों का त्योहार है,
मन-बंधों का त्योहार है,
शिष्ट आ-चरणों का त्योहार है,
जीवन उत्कर्षों का त्योहार है,
मिलने-जुलने का त्योहार है,
प्रेमानंद में आनंदमय होने का त्योहार है,
भेद रहित होने का त्योहार है,
अखिल सत्ता से एकाकार होने का त्योहार है ।।
होली गीत..
होली गीत गाओ मन-बसिया,
साथ-साथ गाओ रंग- रसिया,
कोयल गाए, पपीहरा गाए,
राधा जी, उनकी सखियां गाए,आ भी जाओ मोरे वृन्दावन बसिया,
होली गीत गाओ मन बसिया-३,
गोकुल के नंद बाबा गाए,
यशोदा मैया संग ग्वाल-बाल गाए,
भक्त- राज सुदामा गाए,
यमुना तट पर नंदी गाए,
आ भी जाओ मोरे रंग रसिया,
होरी गीत गाओ मन बसिया-२
गोकुल में द्वारपाल गाए,
देवकी और सुभद्रा गाए,
भैया भीम संग अर्जुन गाए,
इन्द्रप्रस्थ से युद्धिष्ठिर गाए,
आ भी जाओ मोरे नैनौं के बसिया,
होरी गीत गाओ मन बसिया-३
हो$-हो$-हो$-हो$-हो$-हो$
होरी गीत गाओ मन बसिया-३ ।
'वत्स 'अर्पण-समर्पण का त्योहार है!
प्रवीण वत्स, रामचन्द्रपुर, समस्तीपुर
जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित व प्रसारित ।
Comments