सरसंघचालक मोहन भागवत जी का चिंतन मौलिक रूप में हिंदू राष्ट्र की ओर कदम बढाया भारत
सरसंघचालक मोहन भागवत जी का चिंतन मौलिक रूप में हिंदू राष्ट्र की ओर कदम बढाया भारत जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट लेखक अवनीश त्यागी प्रांत संयोजक, भारतीय प्रज्ञान परिषद प्रज्ञा प्रवाह मेरठ प्रांत संघ प्रमुख परम् पूज्य मोहन जी भागवत द्वारा बोले गया मुख्य चिंतन मनन करने योग्य है। लखनऊ, उत्तरप्रदेश ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 07 जुलाई,2021)। आदरणीय सर संघचालकजी ने अपने चिंतन में "तथाकथित अल्पसंख्यक" शब्द इस्तेमाल किया! उन्होंने कहा की,कि देश के विरोध में अगर कोई हिन्दू बोलता है तब हिंदू ही उसका विरोध करता है, लेकिन मुस्लिम समाज से किसी ने किसी मुस्लिम का विरोध किया हो ऐसा मैने कभी नहीं देखा है! उन्होंने बढ़ती जनसंख्या और जनसंख्या नियंत्रण नहीं होने पर चिंता प्रकट की। संघ के प्रति मुस्लिमों के मध्य भ्रामक भय पैदा करने पर शंकित नहीं होने के लिए आदरणीय मोहन भागवत जी ने कहा, कि मुस्लिम के मध्य एक ऐसा डर बनाया गया है, कि संघ मुसलमानों को खा जायेगा, दूसरा एक ओर डर, कि भारत के हिंदू राष्ट्र होने पर उनका इस्लाम खतरे में पड़ जायेगा। लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होने हिंदू की प्रकृति