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🔥 ओ३म् 🔥 🌷गीता का वैदिक उपदेश🌷 🌷ईश्वर का स्वरुप🌷

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                                                        🔥 ओ३म् 🔥                   🌷गीता का वैदिक उपदेश🌷                                  🌷ईश्वर का स्वरुप🌷                                                     ✍️🌹गुलशन कुमार  जनक्रान्ति कार्यालय   समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 13 अगस्त, 2020 ) ।  (१) ईश्वर सर्वव्यापक है।सब और उसके हाथ तथा पैर हैं।(अर्थात् सब जगह उसकी सत्ता है)।वह सब जगह देखता है।-( गीता १३/१४)   (२) ईश्वर जन्म तथा मृत्यु से परे है।वह अवतार नहीं लेता।-( गीता ८/३)   (३) ईश्वर अत्यन्त सूक्ष्म होने से बाहर की आंख तथा त्वचा से जानने योग्य नहीं।ईश्वर न आता है और न ही कहीं जाता है।क्योंकि वह दूर तथा पास सब स्थानों पर विद्यमान है,पर निराकार होने से दिखाई नहीं देता।-( गीता १३/१५)    (४) हे अर्जुन ! यदि तू इस निराकार अत्यन्त सूक्ष्म और सर्वव्यापक ईश्वर को जानना चाहता है तो अपने ह्रदय में ही ध्यान करके जान सकता है।क्योंकि वह बाहर नहीं मिल सकता है वहीं मिलता है जहाँ आत्मा भी हो,दोनों का वास ह्रदय में ही है।-( गीता १८/३१)   (५) हे अर्जुन !

👉☝️🌷योग दर्शन का संक्षिप्त परिचय🌷 ☝️👈 ✍️☝️ Gulshan Kumar

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         👉☝️🌷योग दर्शन का संक्षिप्त परिचय🌷 ☝️👈                                 योगा साष्टांग दण्डवत प्राणायम्                                                                                     ✍️☝️ Gulshan Kumar Jankranti office Report Samastipur,Bihar ( Jankranti hindi news bulletin office 29 July,2020 ) !       वैदिक छह दर्जनों में योग दर्शन का अपना विशिष्ट स्थान है ।इस दर्शन में योग का वास्तविक स्वरूप,योग का फल,योग के क्रियात्मक उपाय, योग के भेद और योग में उपस्थित होने वाले बाधकों एवं उनके निवारण का विस्तृत विवेचन है ।    इस दर्शन के रचयिता महर्षि पतंजलि जी हैं।इसके सूत्रों की संख्या १९५ है ।योग दर्शन चार पादों में विभक्त है। प्रथम पाद में ५१ सुत्र है द्वितीय तथा तृतीय पाद में ५५-५५ सुत्र तथा अंतिम चतुर्थ पाद में ३४ सुत्र है । प्रथम पाद का नाम समाधि पाद है, द्वितीय का नाम साधन पाद है, तृतीय का नाम विभूति पाद और चतुर्थ का नाम कैवल्य पाद है। इनका संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है ।     (१) :   समाधिपाद  :  इस प्रथम पाद में मुख्य रूप से समाधि और उसके भेदों का वर्णन किया गया है।इ