Posts

Showing posts with the label रचना-वफादार चौकीदार गद्दार

वफादार - चौकीदार गद्दार...? ************************

Image
  वफादार - चौकीदार गद्दार...? ************************ रचनाकार : प्रमोद कुमार सिन्हा, बेगूसराय                                               प्रमोद कुमार सिन्हा वफादार - चौकीदार - गद्दार...? ************************ व्यस्त हैं, मस्त हैं, पूर्ण रूपेण अलमस्त हैं , पर पप्पू जी वतन का ना सरपरस्त हैँं, जो परिवार -समाज - वतन का ना हुआ, जनता की नज़रों में वो असली गद्दार है , समाज - वतन की खातिर जो सोता नहीं , शीर्ष पर ले जाता वो ही चौकीदार है , तेरा उसका तुलना फिट नहीं कहीं पर , कहाँ राजा भोज कहाँ गंगुआ तेली , जैसे ऊँट के शिर लगता तेल चमेली , दुनिया देख जिस पर शीश नवाती है, सरपरस्त है वतन का वही पहरेदार है , समझता नहीं था पप्पू कहते क्यों है, समझा जाना वो घोटाले का सरदार है , घर का भेदी लंका ढाहे किया है वही तूने, मिल - बैठ नहीं गैरों को आमंत्रित किया है तूने, यह कैसा सौगात जैसे जयचंद नें दिया था  , गौरी भी था एक जिसने मुगलों को बुलबाया था , हू - बहू है तू बता क्यों? बचकाना हरकत दिखाया है , या अपनी अव्वल बुद्धि का शोध बताया है , माफ नहीं करेगी तुझे जनता अब , चाहे तू जितना भी जोर लगा ले ,