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भक्ति अच्छी, अंधभक्ति भक्ति की पराकाष्ठा लेकिन राष्ट्रभक्ति सर्वोत्तम - अजीत सिन्हा

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  भक्ति अच्छी, अंधभक्ति भक्ति की पराकाष्ठा लेकिन राष्ट्रभक्ति सर्वोत्तम - अजीत सिन्हा जनक्रांति कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा  अंध भक्ति भक्ति की पराकाष्ठा होती है जिसमें व्यक्ति पूरी तरह से समर्पित होता है और यहां सवाल - जवाब का कोई स्थान नहीं होता है : अजीत सिन्हा  समाचार डेेेस्क/राँची,झारखण्ड ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 12 सितंबर, 2021 ) । भक्ति आस्था की प्रतीक होती है और यह अच्छी है जिस पर कोई सवाल नहीं उठाई जाती है और आस्था या तो स्वयं के अध्ययन - अध्यापन या ज्येष्ठों, गुरूजनों, संतों के दिखाये मार्ग पर चलने से आलोकित होती है। अंध भक्ति भक्ति की पराकाष्ठा होती है जिसमें व्यक्ति पूरी तरह से समर्पित होता है और यहां सवाल - जवाब का कोई स्थान नहीं होता है और अंध भक्त अपने श्रेष्ठों, नेतृत्वकर्ता की आज्ञा का अनुसरण करते हुए पूरी तरह से समर्पित होता है और मेरी समझ से लोगों को व्यक्ति के प्रति कभी भी अंधभक्ति नहीं करनी चाहिए और अंध भक्ति का स्थान केवल प्रभु, देवों - देवियों के श्री चरणों में होनी चाहिये क्योंकि उदर या पेट से जन्म लेने वाले अंध भक्ति के लायक नहीं होते

बैंकों को निजीकरण करने की साजिश रचने वाले मोदी सरकार अंधभक्तों कहते है कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया :- अजीत कुमार सिंह

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बैंकों को निजीकरण करने की साजिश रचने वाले मोदी सरकार अंधभक्तों कहते है कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया :- अजीत कुमार सिंह  समस्तीपुर कार्यालय  समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 23 जुलाई,2020 ) । बैंकों को निजीकरण करने की साजिश रचने वाले मोदी सरकार अंधभक्तों को कहते है कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया । शिवाजीनगर के प्रखंड कांग्रेस कमिटी महासचिव सह सोशल मीडिया प्रभारी अजीत कुमार सिंह ने प्रेस ब्यान जारी करते हुऐ कहा की केन्द्र की मोदी सरकार बैंकों की निजीकरण की साजिश रची और नीजिकरण करते है । वहीं हमारे कांग्रेस कमिटी के पूर्व प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी  ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण करवाया था और मोदी जी बैंकों का निजीकरण कर रहे हैं । वहीं अंध भक्तों बोलते हैं कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया । जनमानस को इसपर गहन विचार करने की आवश्यकता है । उपरोक्त जानकारी हमारे प्रेस को अजीत कुमार सिंह महासचिव प्रखंड कांग्रेस कमेटी शिवाजीनगर जिला प्रभारी सोशल मीडिया लखीसराय ने वाट्सएप माध्यम से दिया । समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रका

🌷 सृष्टि―संवत् 🌷 गुलशन कुमार

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                    🌷 सृष्टि―संवत् 🌷                                          गुलशन कुमार    👉🐍पृथ्वी राज को अपने मस्तक पर लिए बासुकी🐍👈 समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 22 जुलाई,2020 ) ।     वैवस्वत मन्वन्तर चल रहा है। वैवस्वत मन्वन्तर के अट्ठाईसवें कलियुग का प्रथम चरण व्यतीत हो रहा है। अर्थात् इस सातवें मन्वन्तर की सत्ताईस चतुर्युगियां व्यतीत हो चुकी हैं। अट्ठाईसवीं चतुर्युगी के सत, त्रेता, द्वापर युग बीत चुके हैं। कलियुग के ५१२१ वर्ष बीत चुके हैं, विक्रम संवत् २०७७ में, कलियुग का ५१२१ वाँ वर्ष चल रहा है, और वर्त्तमान वर्ष  सहित कलियुग के ४,२६,८७९ वर्ष भोगने शेष हैं।    समय की यह गणना इस प्रकार है। एक सृष्टि काल में चौदह मन्वन्तर भोग के होते हैं। छह मन्वन्तर बीत चुके हैं, यह सातवां चल रहा है। प्रत्येक मन्वन्तर में इकहत्तर चतुर्युगियों का समय है। एक चतुर्युगी में चार युग हैं।    सतयुग में  ―  १७,२८,००० वर्ष त्रेतायुग में  ―  १२,९६,००० वर्ष द्वापरयुग में  ―  ८,६४,०० वर्ष कलियुग में  ―  ४,३२,००० वर्ष 👇 एक चतुर्युगी में कुल ― ४३,२०,००० वर्ष वर

🌷अंधविश्वास 🌷

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                                    🌷अंधविश्वास 🌷                           🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🕉️🙏 समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 20 जुलाई, 2020 ) ।                           🌷🍃आपका दिन शुभ हो🌷🍃 दिनांक  - - २० जुलाई २०२० दिन  - -  सोमवार  तिथि  - - अमावस्या  नक्षत्र  - -  पुनर्वसु  पक्ष  - - कृष्ण  माह  - - श्रावण  ऋतु  - - वर्षा  सूर्य  - - दक्षिणायण  सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२१ कलयुगाब्द  - - ५१२१ विक्रम संवत्  - - २०७७ शक संवत्  - - १९४२ दयानंदाब्द  - - १९६                                                   🌾🥀🌾🥀🌾🥀🌾🥀🌾🥀🌾                                                        🔥 ओ३म् 🔥                            🌷अंधविश्वास 🌷   अंधविश्वास वह बीमारी है जिससे हमनें अतीत में इतना कुछ गवांया। इसकी पूर्ति करने में पता नहीं हमें कितने वर्ष और लगेंगे। हम जब इतिहास उठाते है भारत की अनेकों हार का कारण जानना चाहते तो उसमें सबसे बड़ा कारण हमेशा अंधविश्वास के रूप में सामने पाते हैं। याद कीजिए सोमनाथ के मंदिर का इतिहास जब सोमनाथ