हमसे दूर दूर क्यों नजर आती हो तुम , नज़रें झुका कर गुजर जाती हो तुम ,

हमसे दूर दूर क्यों नजर आती हो तुम , 
नज़रें झुका कर गुजर जाती हो तुम , 

प्रमोद कुमार सिन्हा 

बेगूसराय, बिहार 

बेगूसराय, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 08 जुलाई,2020 ) ।

हमसे दूर दूर क्यों नजर आती हो तुम , 
नज़रें झुका कर गुजर जाती हो तुम , 
मुझे देख क्यों मुस्कुराती हो जानेमन , 
खिला हुआ फूल  नजर आती हो तुम , 
हमसे दूर दूर........ ।
चाहता हूँ और नज़दीक हो जाऊ मैं , 
दिल घबराता दूर ना चली जाओ तुम , 
शकुन चैन मिलता है तुम्हें देखकर , 
छत पर खड़ी जब दिख जाती हो तुम, 
हमसे दूर दूर...... ।
ऑंखें मिलाती हो मिलने से घबराती हो 
तिरछी नजर से कटार चलाती हो तुम , 
हिरणी सी चाल और पतली कमर है
हसरतें तमन्ना में बड़ी खूबसूरत हो तुम 
हमसे दूर दूर.......। 
ऐ हुस्न की मलिका क्या तारीफ करूँ , 
शब्द नहीं गुले गुलज़ार लगती हो तुम, 
बांहों में भर लेने की जी चाहताहै तुझे 
वाकई संगमरमर की एक मूरत हो तुम....।

02...

बहारों के थे जो सपने फूल बन खिलेंगे
नज़रें बिछाये सनम हम फिर मिलेंगे, 

बहारों के थे जो सपने फूल बन खिलेंगे
नज़रें बिछाये सनम हम फिर मिलेंगे, 
फिजाओं से पूछो घटाओं से तू पूछ लो 
हबायें तुम्हें सब कुछ हज़ार बार कहेगी 
विश्वाश ना हो गर नज़ारों से तू पूछ लो 
अब जो मिलोगी फिर हम जुदा ना होंगे 
बहारों के थे जो........ 
मेरी आरजू मेरे जीवन की मीत है  तू 
मोहब्बतें दास्तान मेरे दिल की प्रीत तू 
सज़दा रब से जो तेरे लिये मैंने की है 
जनम जनम साथ हो अलविदा ना होंगे 
बहारों के थे जो...... 
तुम्हीं मेरे दिल के तुम्हीं साथी सपनों के 
मंज़ूर  खुदा हो पाक मुहब्बत अपनों के 
मंज़िलें मेरी तू इसे बेबफाई ना समझो 
हरजाई ना होंगे हम कभी दगा ना देंगे....!

समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रमोद कुमार सिन्हा की रिपोर्ट प्रकाशित ।

Published by Rajesh kumar verma

Comments

Popular posts from this blog

महज सोलह दिनों में छह रेल सिग्नल-कर्मचारी कार्य करते हुए हो गए रन-ओवर

पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों को ब्लड फ़ोर्स टीम के सदस्यों द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग द्वारा किया गया आयोजित