"आत्महत्या करने के कारण क्या होते हैं ऐसी गंभीर समस्या का समाधान क्या है.. ?" : कवि विक्रम क्रांतिकारी

"आत्महत्या करने के कारण क्या होते हैं ऐसी गंभीर समस्या का समाधान क्या है.. ?" : कवि विक्रम क्रांतिकारी

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट 

आत्महत्या का किसी व्यक्ति की संपन्नता य़ा विपनन्ता से कोई संबंध नहीं है

कभी किसी गरीब किसान तो कभी कोई छात्र परीक्षा में अव्वल नहीं आने के कारण आत्महत्या कर लिया :  कवि विक्रम क्रांतिकारी(विक्रम चौरसिया -अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता /मेंटर 

अब तो हद हो गया पिछले कुछ दिनों में हमारे बॉलीवुड के दिग्गजों के मौत से हम उबर भी नहीं पाए थे कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिए l  आखिर क्यों.. ?

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 16 जून,2020 ) । हम देख रहे हैं की आत्महत्या का किसी व्यक्ति की संपन्नता य़ा विपनन्ता से कोई संबंध नहीं है l आज हम देख रहे हैं कि हर आयु वर्ग और अमीर से लेकर गरीब सभी लोगो मे आत्महत्या जैसी कायराना मामला हमें आए दिन देखने को मिल रहे हैं ।
दोस्तों याद रखना किसी भी समस्या का समाधान मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि आत्महत्या हो ही नहीं सकती जब जिंदगी ही नहीं रही तो फिर समस्या का समाधान कैसे होगा ।आए दिन देखने को मिलता है कि कभी किसी गरीब किसान तो कभी कोई छात्र परीक्षा में अव्वल नहीं आने के कारण आत्महत्या कर लिया । 
अब तो हद हो गया पिछले कुछ दिनों में हमारे बॉलीवुड के दिग्गजों के मौत से हम उबर भी नहीं पाए थे कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिए l  आखिर क्यों.. ?
जैसा कि शुरुआती जो छानबीन चल रही है उसके अनुसार अभिनेता सुशांत पिछले कुछ माह से डिप्रेशन में चल रहे थे जिसका वह इलाज भी करवा रहे थे लेकिन रविवार को फंदे पर लटककर अपने जीवन लीला को समाप्त कर लिया । आज हमें देखने को ऐसी खबरें मिलती रहती है कि तनाव व अवसाद के कारण कभी कोई किसान तो कभी कोई छात्र ने आत्महत्या कर ली । चिकित्सा विज्ञान की पत्रिका द लासेंट के मुताबिक युवाओं में आज आत्महत्या की दर भारत में सबसे अधिक है । वही एनसीआरबी के अनुसार भी भारत में आत्महत्या की दर लगातार बढ़ रही है । अगर ध्यान से देखें तो 2016 में 9,478 तो वर्ष 2017 मे 9,905 और 2018 मे 10,159 छात्रों ने आत्महत्या किया था l आज दोस्तों टीवी संस्कृति के कारण परस्पर संवाद कम हो रहा है, और आज माता-पिता दोनों अपने बिजनेस और जॉब में होने के कारण बच्चों से बात करने का भी समय नहीं मिल  मिल पा रहा है l दोस्तों जैसे ही हम आत्महत्या का नाम सुनते हैं आंखों के सामने मौत का एक भयावह मंजर खड़ा हो जाता है ।याद रखना दोस्तों हर आत्महत्या के पीछे कोई वजह जरुर होती है । सोचो जरा अगर किसी को किसी समस्या के हल ना मिले तो आत्महत्या कर ले तो यह सोचने वाली बात है कि क्या मर जाने से उसका हल हो जाएगा l और तो और थोड़ी देर के लिए मान लेते हैं कि हल मिल भी जाता है उस समस्या का तो क्या उस क्षण के सुख को भोगने के लिए हम मौजूद रहेंगे.. ? सोच कर देखो क्या अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का समस्या हल हो गया अगर हो भी जाएगा तो क्या वह उस वक्त के सुख को भोग पाएंगे जिसके लिए उन्होंने आत्महत्या जैसा कायराना रास्ते को अपनाएं है ।
दोस्तों हमारे जीवन में स्ट्रेस भी मेरे अनुसार दो प्रकार का होता है, याद रखना जो स्ट्रेस हमे आगे बढ़ने के लिए अपने कैरियर और जीवन में प्रेरित करें उसे हम पॉजिटिव स्ट्रेस कहते हैं । लेकिन वही इसका दूसरा प्रकार है डिस्ट्रेस जो हमारे शरीर में कई प्रकार की बीमारियां पैदा करता है तनाव पैदा करता है जिसके कारण शारीरिक और मानसिक समस्याएं पैदा होने लगती है । मेरे अनुसार इससे बचने का सबसे उत्तम प्रयास होना चाहिए कि प्रतिदिन 5 मिनट सुबह और शाम को 5:00 मिनट आप जहां भी हैं खुलकर पागलों जैसा हंसने का प्रयास करें इससे आपके शरीर में एक जादू सा ऊर्जा पैदा होगा यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव रहा है अपने बुरे समय के दौरान इसीलिए आज भी मैं इस नियम को नियमित रूप से अपने जीवन में करता हूं कहीं भी रहता हूं और तनावमुक्त रहता हूं ।
दोस्तों आज हम देख रहे हैं कि हमारी जीवन शैली तनावपूर्ण हो गई है l लोगों के पास काम की अधिकता है , और समुचित रूप से विश्राम नहीं कर पा रहे हैं हम देख रहे हैं कि ऐसे परिवारों की संख्या काफी बड़ी है जहां शांति ही नहीं है । आज घरों का माहौल ही खराब है मैं देख रहा हूं कि जब  लॉकडाउन किया गया वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से निपटने के लिए तो  एनसीआरबी का रिपोर्ट और महिला आयोग का भी रिपोर्ट आया कि पहले की अपेक्षा घरेलू हिंसा ज्यादा बढ़ गए हैं । जब से लोग घरों में कैद हो गए हैं। मुझे दोस्तों समझ में नहीं आता है की जब आज लोगों के पास समय नहीं है किसी अपनों से प्यार करने के लिए अपने बच्चों को वक़्त देने के लिए अपने परिवार को वक्त देने के लिए तो कहां से यह वक्त लाते हैं नफरत करने के लिए यह बातें अक्सर मै लोगों से पूछता रहता हूं । बहुत दुखी होता जब देखता हूं लोग प्यार ना देकर किसी को नफरत देते हैं प्रताड़ित करते हैं तो क्या रखा है इस जीवन में सब 1 दिन मिट्टी- मिट्टी हो जाएगा । कोई आगे मिट्टी में मिलेगा कोई पीछे मिलेगा लेकिन सब मिलेंगे इसलिए जो ईश्वर ने हमें जीवन दिया है तो इसको एक दूसरे के साथ प्यार से जिए और इस ईश्वर रूपी शरीर को ऐसे ही मिट्टी में ना मिला दे।
आज मुझे लगता है डिप्रेशन का मूलता कारण वैश्वीकरण है जो आज सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया भी अपना भूमिका प्रमुखता से निभा रहा है जो तमाम लोगों के दिमाग पर गलत असर छोड़ रहा है ।
जो इंसान जिस दुनिया को कभी देखा नहीं उस दुनिया को भी देखने की इच्छा इन सोशल मीडिया के कारण बलवती होती जा रही है l जैसे कि किसी ने कहा कि मैंने लंदन कभी नहीं देखा तो  क्यों नहीं मैं वहां जाऊं... ?
वैश्वीकरण के दौर में सभी लोग एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं जैसे कि पड़ोसी के बच्चे ने आईएएस में टॉप किया तो मेरा बच्चा क्यों नहीं करेगा वह भी जाएगा दिल्ली के मुखर्जी नगर तैयारी करेगा बिना बच्चे की इच्छा को जाने हुए आज पेरेंट्स बच्चे को भेज देते हैं । और अगर पेरेंट्स की बात करें तो वह सोचते हैं कि देखो पड़ोसी शर्मा जी का शानदार कार है मेरे पास भी ऐसा होना चाहिए इसके लिए वह ऋण लेते हैं और आर्थिक बदहाली के दौर से गुजरने लगते हैं और फिर धीरे-धीरे डिप्रेशन से ग्रस्त हो जाते हैं और अंतिम में खुद को फांसी के फंदे में लटका लेते हैं ।
दोस्तों मेरा अनुरोध है कि आत्महत्या जैसे कायराना विचारों से बचने के लिए शारीरिक मानसिक स्तर पर हमें मजबूत होना होगा जैसे कि हमें समय पर सोना होगा समय पर उठना होगा और नियमित रूप से व्यायाम साथ ही संतुलित पौष्टिक आहार ग्रहण करने का आदत अपने जीवन में डालें और शराब धूम्रपान जैसी बुराइयों से खुद को बचाना होगा और जितना हो सके हमेशा खुश मिजाज ही बनकर रहें और जैसा कि मैंने पहले बताया प्रतिदिन 5 मिनट पागलों के जैसा हंसने का प्रयास जरूर करें ।
दोस्तों अगर किसी परीक्षा में कोई फेल हो गया तो इसका मतलब यह नहीं कि हर बार फेल ही होगा और जितना हो सके हंसने के साथ-साथ अपने विचारों को लिखने का भी  प्रयास करें ।  हमें समस्या के बारे में ज्यादा विचार नहीं करना है बल्कि उसके समाधान के बारे में सोचना है और साथ ही अपने परिवार के लिए भी वक्त निकाले उनके साथ बातें करें और उनकी कोई समस्या है तो सुलझाने में उनकी भरपूर मदद करें इसी प्रकार अपने परिजनों और दोस्तों के लिए भी  समय निकालें l ऐसा करने से जहां हम एक दूसरे के  समस्या को समझ सकेंगे वहीं आपसी प्रेम भी बढ़ेगा 
 कवि विक्रम क्रांतिकारी(विक्रम चौरसिया -अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता /मेंटर लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहें व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

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