"कोरोना के जंग में हमारा एकमात्र सहारा सादगी भरी जीवनशैली ही है " : कवि विक्रम क्रांतिकारी

"कोरोना के जंग में हमारा एकमात्र सहारा सादगी भरी  जीवनशैली ही है " : कवि विक्रम क्रांतिकारी 

समस्तीपुर कार्यालय 

कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता/मेंटर

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हो या फिर दुनिया में भारतीय दर्शन का डंका बजाने वाले हमारे आदर्श स्वामी विवेकानंद ऐसे ही और भी बहुत से विभूतियों ने सादगी को अपने जीवन में अपनाया और जनमानस को भी सदा जीवन उच्च विचार का संदेश दिया लेकिन आज की दुनिया में सादगी कही ना कही खोती जा रही है ।:-कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता/मेंटर

अक्सर मैं कहता हूं दोस्तों की जैसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद जैसे और भी विभूतियों ने सादगी को अपने जीवन में  अपनाया और सदा जीवन उच्च विचार का संदेश पूरे दुनिया को दिए वैसे आप भी अपने जीवन में सादगी को अपनाएं और अपने जीवन को सार्थक करें ।। 

कोविड-19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण जिंदगी की रफ्तार थमी तो ठहराव के इस दौर में सादगी को देखने का हमारा नजरिया भी बदलने लगा है।

आप गौर करना सदा खाना रहन -सहन जो पहले मुश्किल हुआ करता था खासकर महानगरों के लोगों के लिए लेकिन अब जाने -अनजाने में दिनचर्या का हिस्सा बनने लगा है। अब इस मुश्किल जिंदगी के बीच होने लगा है हम सभी को सादगी का एहसास ।

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 11 जुलाई,2020 ) । मेरे आत्मीय मित्रों हम देख रहे हैं कि आज के युग में इंसान ने बनावट की चादर अपने ऊपर ओढ़ लिया है। जिसके कारण ही आज सादगी चमक- दमक में गुम हो गई। ऐसे बहुत ही लोग हैं जो अपने जीवन में सादगी को अपनाएं और कामयाबी की लाखों सीढ़ियां चढ़ जाने के बावजूद दिखावे को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते हैं ।
ध्यान से देखें तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हो या फिर दुनिया में भारतीय दर्शन का डंका बजाने वाले हमारे आदर्श स्वामी विवेकानंद ऐसे ही और भी बहुत से विभूतियों ने सादगी को अपने जीवन में अपनाया और जनमानस को भी सदा जीवन उच्च विचार का संदेश दिया लेकिन आज की दुनिया में सादगी कही ना कही खोती जा रही है ।
 मित्रों सादगी भारतीय संस्कृति और समाज का सर्वोच्च मूल्य है ।
आज कोविड-19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण जिंदगी की रफ्तार थमी तो ठहराव के इस दौर में सादगी को देखने का हमारा नजरिया भी बदलने लगा है। आप गौर करना सदा खाना रहन -सहन जो पहले मुश्किल हुआ करता था खासकर महानगरों के लोगों के लिए लेकिन अब जाने -अनजाने में दिनचर्या का हिस्सा बनने लगा है। अब इस मुश्किल जिंदगी के बीच होने लगा है हम सभी को सादगी का एहसास ।
मेरे आत्मीय मित्रों जैसा कि हम जानते हैं कि हर साल 12 जुलाई को ही अमेरिका में सादगी दिवस मनाया जाता है जबकि हम भारतीयों की सादगी संस्कृति और समाज का सर्वोच्च मूल्य है । आज इस वैश्विककरण  के दौर में हम देखते हैं कि लोगों के निजी जीवन में सुबह से लेकर शाम तक काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाने की होड़ मची रहती है ,और सब यही कहते हैं कि समय नहीं है और हम तो देखते हैं कि आज के वक्त में यह जुमला सभी के जुबान पर रहता  है ।  ध्यान से देखें तो आज लोग अपने जीवन को बहुत ही जटिल बना लिए है , हम तो यह भी  अनुभव किए हैं कि लोग जीवन की सच्चाई से बहुत दूर जा रहे हैं और किसी भी इंसान को पहचानते हैं उसके लग्जरियस गाड़ियां और उसके चेहरे और उसका कपड़ा कैसा है चाहे इंसान कितना भी सच्चा हो उनको इससे मतलब नहीं है बल्कि बनावटी चिजे वह देखते हैं ।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि सादगी दिवस हम लोग 12 जुलाई को अमेरिका के मशहूर लेखक ,कवि ,पर्यावरणविद् ,इतिहासकार और दर्शनशास्त्री हेनरी डेविड थोरी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाते हैं। ये पूरे दुनिया को सादा जीवन जीने का संदेश दिए थे और सभी समस्याओं का हल भी सदा जीवन को ही बताया था । याद रखना मेरे बातों को दोस्त जब आप जटिल होंगे तब आपके प्रयास भी आपको बिचलित ही कर देंगे । वही जबकि हम जब सरल रहेंगे तो हमारा प्रयास भी केंद्रित रहेगा मेरा कहने का मतलब है कि एक एकाग्र रहेगा तभी हम सफलता सही मायने में पा सकते हैं। आप जरा सोच कर देखो अगर हम परफेक्ट रहने की दौड़ आज  अपनाते हैं और साथ ही खुद पर दबाव डालते रहने के लिए आदत जो हम अपने जीवन में अपना लिए हैं। क्या यह हमारे जीवन को आसान बनाया है या जटिल हमारे पास यही सबसे अच्छा वक्त है जब उसका हम आत्ममूल्यांकन कर सकें।
अगर आप सफलता की बुलंदियों को छूते हुए सादगी अपनाते हैं तो आप दूसरों के लिए आदर्श बन सकते हैं इसीलिए हम कहते हैं कि यदि अहं से दूर होना है तो सादगी अपनाइए ।

मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मेरे परिवार में सादगी को ही अपना धर्म पीढ़ी दर पीढ़ी मानते आ रहे हैं। मेरे दादाजी जब थे हम भाइयों को पूरे गांव घूम आया करते थे और कभी मुझे कभी मेरे छोटे भाई को अपने कंधे पर बैठाकर धोती कुर्ता पहन कर गांव में सभी से मिलाया करते थे । जो संस्कार बचपन में हमें घर से मिला आज मैं देश की राजधानी में रहने के बाद भी वही सादगी के साथ प्रतिदिन दातुन से मुंह धोना और हर एक जो बचपन में संस्कार के रूप में हमारे अंदर डाल दिया गया था इसका पालन करते हुए दिल्ली जैसे महानगरों में बहुत खुश रहता हूं।
दोस्तों आप कभी भी उन अपेक्षाओं के पीछे मत दौड़ना जो आपके मन के शांति को ही हर ले , जितना हो सके आप सरल बने रहे और आप जैसे हैं वैसे ही खुद को पूरी तरह से स्वीकार करें ! 
 एक इंटरव्यू में नृत्यांगना चंद्रन ने बताया कि कैसे वह और उनके पूरे परिवार ने कोविड 19 की जंग जीता है , यह बता रही थी इस दौरान चिकित्सक पेरासिटामोल के अलावा कुछ भी नहीं दे सकते थे। इसलिए हमने देसी दवाइयां खाई काढा पिया खानपान को बिल्कुल सामान्य रखा जो पोषक तत्वों से भरपूर हो साथ ही अनुशासन और योग , ध्यान जो हमारे जीवन का नियमित हिस्सा है वही काम आया और हम और हमारा परिवार स्वस्थ आज हो चुके हैं । आपको बता दे दोस्तों की इस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के जंग में मुझे लगता है कि हमारा एकमात्र सहारा सादगी भरी स्वस्थ जीवनशैली ही है ।
इस मुश्किल भरे समय का दोस्त सबक हम सब के यही है कि हम अपने जीवन को सहज सरल रखें नहीं तो जिंदगी के साथ हम न्याय नहीं कर पाएंगे ।
मेरे आत्मीय  मित्रों आपको एक माइंडसेट बनाना होगा मेरा कहने का मतलब है कि एक सोच की जरूरत है। फिर आप देखना आपकी औसत और आगे आने वाली जादुई जिंदगी में अंतर करने का माध्यम यही बनेगी।
लेकिन यह कितना उदास करने वाला बात है कि लोग  कभी अपने उस बेहतरीन संस्करण से मिल ही नहीं पाते है। क्योंकि लोग हम देखते हैं कि बहुत जल्दी ही हार मान लेते है। आप दोस्त  याद रखना आपसे प्यार करने वाले लोग आपको देख रहे हैं। इसलिए आपको उनके लिए एक ऐसा उदाहरण बनना है, जो अपना बेस्ट पाने की खातिर हर चीज को दांव पर लगा चुका है आपको मैं भी कहता हूं कि जरूर लड़ना चाहिए बेहतर जिंदगी के लिए लेकिन हार नहीं मानना चाहिए।
अगर आप सफलता की बुलंदियों को छूते हुए सादगी अपनाते हैं तो आप दूसरों के लिए आदर्श बन सकते हैं इसीलिए हम कहते हैं कि यदि अहं से दूर होना है तो सादगी अपनाइए ।
अक्सर मैं कहता हूं दोस्तों की जैसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद जैसे और भी विभूतियों ने सादगी को अपने जीवन में  अपनाया और सदा जीवन उच्च विचार का संदेश पूरे दुनिया को दिए वैसे आप भी अपने जीवन में सादगी को अपनाएं और अपने जीवन को सार्थक करें ।। 
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता/मेंटर लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे व  वंचित तबको के लिए आवाज उठाते रहते हैं-स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

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