हमारे देश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन फिर भी यह राष्ट्रीय समस्या नहीं बन पाती है : संजय कुमार

 हमारे देश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन फिर भी यह राष्ट्रीय समस्या नहीं बन पाती है : संजय कुमार


जनक्रांति कार्यालय संवाद सूत्र की रिपोर्ट


ये दरवाजा खोलो तो खुलता ही नहीं,इसे तोड़ने का जतन कर रहा हूँ : संजय कुमार

समाचार डेस्क, भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 11 अप्रैल, 2022)। हमारे देश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। लेकिन फिर भी यह राष्ट्रीय समस्या नहीं बन पाती है, क्योंकि सत्ता संरक्षित मीडिया लोगों को ऐसे बेफिजूल के मुद्दों में उलझाकर रखना चाहती है।

जिसका अगर निराकरण भी हो गया तो देश के मध्यमवर्गीय परिवारों के हालात में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा।

हमने कोरोना, पार्ट-2 के दौरान देखा है की स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में कैसे लाखों लोगों ने दम तोड़ा है। हमने उस गंगा में लोगों को अपने परिजनों के लाशों को प्रवाहित करनेवाली तस्वीर भी देखी है, जिसको स्वच्छ करने के नाम पर मौजूदा सरकार ने बकायदा एक मंत्रालय बनाकर देश के करोड़ों- खरबों रुपया फूँक डाला था।

हम आज भी देख रहे हैं की कैसे देश की सबसे किफ़ायती एवं बड़ी परिवहन व्यवस्था भारतीय रेल, जो देश की सबसे बड़ी रोजगार देनेवाली संस्थान भी है, को कैसे धीरे- धीरे निजी एजेंसियों के हवाले किया जा रहा है।

अब तो स्थिति और भी वीभत्स होती जा रही है, क्योंकि जिस भारतीय सेना के नाम पर हम खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, वहाँ से भी अब ये खबरें आने लगी है की भारतीय सेना में कुछ निर्धारित अवधि के लिए ही अनुबंध के आधार पर युवाओं की बहाली की जाएगी। जरा सोचिए, देश के उन करोड़ों युवाओं के बारे में जो बीते कई वर्षों से अपने छोटे शहर, गाँव अथवा कस्बे के मैदान में केवल इसलिए दौड़ लगाते हैं, शारीरिक फिटनेस पर ध्यान देते हैं, क्योंकि उन्हें सेना में भर्ती होना है।

उनके पास पैसा नहीं है की पटना अथवा कोटा में रहकर महंगे कोचिंग क्लास में नामांकन कराकर दूसरा जॉब ले सकें। इसलिए वे सेना में भर्ती होकर न केवल अपने ऊपर लगे बेरोजगारी के ठप्पे को मिटाना चाहते हैं, अपितु देश की सेवा भी करना चाहते हैं।

लेकिन बीते कई वर्षों से जिस प्रकार केंद्र सरकार, सेना भर्ती बहाली पर कुंडली मारकर  बैठी है, यह न केवल देशसेवा करनेवाले करोड़ों युवाओं के साथ अन्याय है, अपितु उन गरीब परिवारों के प्रति भी सौतेला व्यवहार को ही दर्शाता है, जिनकी आर्थिक हालात मौजूदा दौर में बद से बदतर हो गयी है।


हालांकि, इस बीच देश के युवा वर्ग आंदोलन की भूमिका में आने लगे हैं। हमने यूपी चुनाव में भी देखा है की सेना भर्ती बहाली की मांग को लेकर युवाओं ने चुनाव प्रचार करने आए कई केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष बेबाकी से अपनी बात रखी है।

10 अप्रैल 2022 को बिहार के समस्तीपुर जिला मुख्यालय में भी बिना कोई बैनर तले युवाओं के एक हुजूम ने कुछ घंटों तक शहर के मुख्य पथ को जाम कर दिया। ये सैकड़ों युवा नितदिन अपने शहर के मध्य में स्थित पटेल मैदान में जाकर सेना भर्ती को लेकर तैयारी करते हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया एकदम से रुकी हुई होने के कारण अब ये लोग हताश हो चुके हैं।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा संवाद सूत्र पत्रकार संजय कुमार की रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित।

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