लॉकडाउन में बिहार के विद्यार्थियों खासतौर से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है: मनोवैज्ञानिक चिकित्सक डॉ० मनोज कुमार

लॉकडाउन में बिहार के विद्यार्थियों खासतौर से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है: मनोवैज्ञानिक चिकित्सक डॉ० मनोज कुमार


समस्तीपुर कार्यालय 

डॉ० मनोज कुमार से बच्चों के स्वास्थ्य पर खास बातचीत  जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन के प्रधान सम्पादक राजेश कुमार वर्मा के साथ

पटना, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 29 जून,2020 )। लॉकडाउन में बिहार के विद्यार्थियों खासतौर से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है।इस संदर्भ में जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन के प्रधान सम्पादक राजेश कुमार वर्मा समस्तीपुर ने किया बातचीत ।

प्रख्यात मनोवैज्ञानिक(मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ) डॉ॰ मनोज कुमार से प्रस्तुत है साझात्कार के प्रमुख अंश:-
सबसे पहला सवाल ::- 


1-लॉकडाउन और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आप क्या कहना चाहेंगे..??

@जवाब-इस बंदी के हालात में बच्चों के कोमल मन आहत हुए हैं। बच्चे अपने स्वभाव के अनुकूल व्यवहार नहीं कर पा रहें जिससे उनमें एक अनावश्यक दबाव बढा है। मसलन खेलकूद आदि में प्रतिबंध होने से उनका शारीरिक और मानसिक विकास रूक सा गया है। उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति सीमित हो गयी हैं जिस कारण उनके व्यवहार में उदासी देखने को मिल रही है।

2- लॉकडाउन में बच्चों के मानसिक मनोदशा में क्या बदलाव आयें हैं..??

@जवाब-बच्चों में इस समय उनके मूड में उतार चढ़ाव देखने को मिल रहें ।व्यस्को की तुलना में बच्चों में खुद पर नियंत्रण कम होता है। ऐसे हालात में उनके अंत:मन में उनकी भावनाएँ हमेशा शांत नही रह सकती।नतीजतन वह वातावरण से समायोजन नही कर पाते और बैचैनी,धबङहाट को बढा लेते हैं। ऐसे हालात में उनमें सुरक्षित होने का एहसास न होना या असुरक्षित खुद को मान लेना उनके लिए आसान होता है। नतीजतन इसके परिणामस्वरूप मूड की दशा बिगङने लगती है।

3-कैसे-कैसे केसेज मिल रहें हैं और हमें क्या करना चाहिए..?? 

@जवाब- बिहार सरकार के लिए कार्य करते हुए मैने बच्चों और युवाओं के लिए बहुत से सकारात्मक कार्य किए।सरकार को भी मेरे द्वारा उनके अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी की वकालत भी बच्चों के लिए मेरे द्वारा करायी गयी है। इस महामारी में भी मेरी पहल पर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए सही समय पर उचित कदम उठाने की मांग की गयी है।बंदी के हालात में भी मेरे साथ वरीय मनोचिकित्सकों व मनोवैज्ञानिकों का एक दल बिहार के बच्चों में उनके मानसिक बदलाव को समझने के साथ उपयुक्त माध्यम द्वारा उनकी मदद भी कर रहा है।

4-आप और आपकी टीम कैसे इन बच्चों का मदद कर रही..??

@जवाब-बच्चों की मदद के लिए विशेषज्ञों का दल अलग-अलग समय निर्धारित कर जो संभव माध्यम हैं उसकी सहायता से बच्चों तक पहुँच रही है और उनके मनोदशा में इस महामारी से जो विषाद उपजे हैं उसका मूल्यांकन कर उचित चिकित्सा मुहैया करा रही।चिकित्सक दल बच्चों में आने वाले व्यवहार में परिवर्तन का अध्ययन के साथ उसपर शोध भी कर रही है ताकि महामारी के बाद गंभीर रूप से आहत बच्चों का पुनर्वास भी करा सके।

 5-बच्चों के माता-पिता के व्यवहार का असर बच्चों पर कैसे पङता है..??

@जवाब-लौकडाउन में माता-पिता के व्यवहार का अनुसरण बच्चे भी करने लगते हैं। मसलन अगर बच्चों के सामने आर्थिक उपार्जन से संबंधित या कोई कठिन दौर की बात की जाती है तो बच्चे एक अनिश्चितता मन में  पाल लेते हैं जिस वजह से बच्चे का सार्वभौमिक विकास रूकने लगता है।

06- ज्यादातर बच्चे खेलकूद से वंचित हैं तो ऐसी दशा में बच्चों की मनोदशा कैसे संरक्षित की जा सकती हैं..??

@जवाब-मौजूदा समय में बच्चों के खेलकूद या उनके शारीरिक क्रियाकलापों पर जोर देना आवश्यक हो गया है ।अगर हम चाहे तो जहां है वही कुछ बच्चों से जुड़े शारीरिक एक्टिविटी को करा सकते हैं।

07-बच्चों में अवसाद के क्या-क्या लक्षण हैं और इसका क्या निवारण है।

@जवाब-बच्चों का समान्य दिनचर्या प्रभावित होने लगता है। एक किस्म की उदासी उन्हें घेर लेती हैं और बच्चे कम खाना,लोगों से बात नही करना और बहुत बार तो बच्चे मरने की बात करने लगते हैं। साथ ही बहुत तरह के शारीरिक और मानसिक लक्षण उभरते हैं जिसे बच्चे समझ नही पाते ।

08-कुछ बच्चों को इस लौकडाउन में संभालना मुश्किल क्यो हो रहा।क्या अवसाद से इत्तर भी कोई समस्या इनमें आपने देखा..??

@जवाब-बच्चे अभी अपनी नियमित रूटीन में नही है। जिससे उनका मन और शरीर समायोजित नही हो पा रहा।अवसाद के आलावा बच्चों में अभी साइकोसोमेटिक समस्याएँ बढ रही हैं। जिनमें समस्या का कोई ठोस आधार नही होता और बच्चे घबङाहट और बैचैनी से जूझते रहते हैं।

9-बच्चे की मुस्कुराहट हर माता-पिता के लिए एक मरहम हैं लेकिन इतने प्रयास के बावजूद वह बच्चों को खुश नही रख पा रहें ..??

@जवाब-दरासल वर्तमान परिस्थितियों में वयस्कों को भी तालमेल बिठाने में काफी दिक्कते उठानी पङ रही।बच्चे की बात तो काफी नाजुक है।


10- बच्चों को इस महामारी में मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए क्या कदम उठाना लाजिमी होगा..??

@जवाब-अभी के दौर में बच्चों के मन में बहुत सारी उलझणे बैठ गयी है। वह समझ नही पा रहें की अचानक सबकुछ बदला -बदला सा क्यो है। ऐसे हालात में अलग-अलग समस्याओं का सिलसिला भी बच्चों में हो सकता है। समय हैं कि उनसे व्यक्तिगत तौर पर उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया जाये और उनके अंदर द्वद को समाप्त वैज्ञानिक तरीके से किये जाये।

11-ज्यादातर बच्चों में अभी पढाई को लेकर दुविधा है। इसे कैसे दूर करें..??

@जवाब -पढाई को लेकर दुविधा इसलिए भी हैं की न चाहते हुए भी बच्चों तक बहुत सारी नकारात्मक तथ्यों ने डेरा जमा लिया है और बाहरी वातावरण में खुद को एडजस्ट नही कर पा रहें ।


12-आपको क्या लगता है की इस माहमारी के बाद बच्चों में जो बदलाव आयेगें या आ रहें उसके लिए विधालय स्तर पर कोई योजना बनाकर कार्य करने की आवश्यकता होगी..??

@जवाब-सबसे जरूरी होगा की बच्चों में इस महामारी से उपजे विषाद को अभी ही दूर किये जाये नही तो बच्चों के साथ उत्तराघातीय अवसाद भी उनके दिमाग पर असर करता रहेगा।इसके लिए मानसिक स्वास्थ्य योजना काफी लाभदायक होगीं।

13- बच्चों को कैसे समान्य व्यवहार की तरफ प्रेरित करें..??

@जवाब-बच्चों को समान्य व्यवहार की ओर मोङने  के लिए उनमें व्यवहारिक तौर पर बदलाव लाये जाये।उनकी चिंतन व नजरिये को बदलने में मदद दिये जायें।

14- बच्चों के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए क्या करें..??

@जवाब--सबसे पहले उनकी रोजमर्रा की आदतें व व्याप्त तनावों का निपटारा करवाये जायें।संवाद स्थापित करें।

15-और अंतिम सवाल की बच्चों को कैसे समझें की उन्हें उनके मानसिक स्वास्थ्य पर मदद की दरकार है। इसपर अपनी राय दें ..??

@जवाब-जब कोई बच्चा अपने व्यवहार से खुद के लिए और दुसरे के लिए परेशानी का सबब बन रहा और वह अपना भी जाने-अनजाने नुकसान कर रहा है। ऐसे हालात में उनको मदद की दरकार होती है।

समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा से पटना के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक चिकित्सक मनोज कुमार से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर की गई बातचीत पर आधारित सबाल जबाब प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma 

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