आई आर ई एफ अध्यक्ष सहित 13 मजदूर नेताओं पर उत्तर प्रदेश राज्य- सरकार द्वारा एफ.आई.आर.दर्ज किए जाने के खिलाफ रोषपूर्ण किया गया धरना प्रर्दशन

आई आर ई एफ अध्यक्ष सहित 13 मजदूर नेताओं पर उत्तर प्रदेश राज्य- सरकार द्वारा एफ.आई.आर.दर्ज किए जाने के खिलाफ रोषपूर्ण किया गया धरना प्रर्दशन

                   ECRU नेे किया प्रदर्शन

समस्तीपुर कार्यालय की रिपोर्ट 

मजदुर नेताओं पर दर्ज एफ०आई०आर०/ मुकदमा अविलंब वापस लो : -ECREU

देश के कारपोरेट पुंजीपतियों के इशारों पर केंद्र-सरकार द्वारा श्रम कानुनों में बदलाव,सार्वजनिक क्षेत्रों का नीजीकरण किया गया: रत्नेश वर्मा

समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 30 मई,2020 ) । मजदुर नेताओं पर दर्ज एफ०आई०आर०/ मुकदमा अविलंब वापस लो : -ECREU । पू्र्व मध्य रेल मंडलान्तर्गत समस्तीपुर रेल मंडल के रत्नेश वर्मा ,डिवीजनल सेक्रेटरी , ECREU , समस्तीपुर डिवीजन के नेतृत्व में ईस्ट सेंट्रल रेलवे इम्प्लाइज यूनियन की ओर से इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन एवं ऑल इंडिया सेन्ट्रल कॉउन्सिल ऑफ ट्रेड यूनियन के नेताओं डा० कमल (राष्ट्रीय सचिव, एक्टू व उपाध्यक्ष आई. आर. ई. एफ.),कॉमरेड मनोज पाण्डेय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ,एक्टू व अध्यक्ष आइ. आर. ई. एफ. सहित अन्य 13 मजदूर नेताओं पर उत्तर प्रदेश राज्य- सरकार द्वारा एफ.आई.आर.दर्ज किए जाने के खिलाफ रोषपूर्ण प्रर्दशन किया गया।सभी वक्ताओं ने एक सुर से स्पष्ट शब्दों में कहा कि लॉकडाउन की आड़ में सरकार कर्मचारियों एवं मजदूरों के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल रही है और मज़दूरों के गरिमा को समाप्त कर रही है।देश में पूंजीपतियों द्वारा भयावह परिस्थितियाँ पैदा की जा रही है।

 आखिर में 20 लाख करोड़ रुपए के विशाल आर्थिक पैकेज का परिणाम क्या हुआ? इतनी भारी-भरकम पैकेज के बावजूद रेलवे के कर्मचारियों एवम पेंशनरों के दो वर्षों के डी.ए. पर रोक क्यों लगाई गई..? विभिन्न प्रकार के भत्तों में क्यों कटौती की गई है..? श्रमिक विरोधी श्रम नीति क्यों लाई गई। सरकारी संपत्तियों-रेलवे,रक्षा उत्पादन इकाइयों का निजीकरण क्यों किया जा रहा है?रेलवे में कर्मचारियों की छँटनी करने की नीयत से 55 वर्ष उम्र अथवा 30 वर्ष सेवा कर चुके लोंगों की सेवा का पुनर्मूल्यांकन कराने का कार्य चल रहा है।NPS में सरकारी भागीदारी 14% से घटाकर 10% कर दी गयी है।इसी सबके लिए जब मजदूर नेताओं और संगठनों ने इसका विरोध किया तो उन पर एफ०आई० आर० दर्ज कर यू०पी० सरकार ने दमनात्मक कार्रवाई से डराने की कोशिश की है मगर हम उनसे डरने वाले नहीं हैं हम इसका जबरदस्त प्रतिरोध करेंगे।


डिवीजनल सेक्रेटरी श्री रत्नेश वर्मा ने बताया कि देश के कारपोरेट पुंजीपतियों के इशारों पर केंद्र-सरकार द्वारा श्रम कानुनों में बदलाव,सार्वजनिक क्षेत्रों का नीजीकरण, कर्मचारियों के मँहगाई भत्ते को जुलाई-2021 तक रोकने,12 घंटे की बंधुआ मजदूरी वाले श्रम कानुन लाने,NPS में सरकारी भागीदारी को कम कर देने एवम सेवानिवृत्ति से पहले हीं छँटनी करने की सरकार की नीयत के खिलाफ व कुछ अन्य माँगो को लेकर देशभर में  ऐक्टु सहित 10 राष्ट्रीय ट्रेड युनियन के आवाहृन पर 22 मई 2020 को पुरे देश में विरोध- दिवस पर कर्मचारी संगठनों द्वारा नारेबाजी किया गया , जो सरकार को नागवार लगा. इसी संदर्भ में इलाहाबाद में लाॅकडाउन का पुर्णतया पालन करते हुए ऐक्टु सहित एटक,सीटु इंटक,aituc, ठेका मजदुर, सफाई कर्मी,राज्य कर्मचारी केंद्रीय कर्मचारियों ने श्रम आयुक्त कार्यालय पर ज्ञापन दिया, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तानाशाही तरीके से बेवजह मजदुर नेताओं,जिसमें ऐक्टु के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व इंडियन रेलवे इम्पलाईज फेडरेशन( IREF) के राष्ट्रीय अध्यक्ष  काॅमरेड मनोज पांडेय , ऐक्टु के राष्ट्रीय सचिव 
व IREF के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डाॅ. कमल उसरी सहित तेरह मजदुर नेताओं पर मुकदमा दर्ज किया गया है।इस संदर्भ में प्रेस-विज्ञप्ति जारी करते हुए समस्तीपुर डिवीजन के डिवीजनल सेक्रेटरी श्री रत्नेश वर्मा ने कहा कि मजदुर विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध कर रहे मजदुर नेताओं पर बेवहज मुकदमा दर्ज कर यू.पी. सरकार घृणित राजनीति कर रही है,जिसका ईस्ट सेंट्रल रेलवे इम्पलाई युनियन कडे़ शब्दों में निंदा करती है। श्री वर्मा ने कहा कि देश भर में कोविद-19 लाॅकडाउन के चलते श्रमिकों/ मजदूरों का जीवन नर्क बन गया है।लोंगों की नौकरियां खतरे में है।श्रमिक/कामगार शहर/महानगरों से पलायन कर रहे है।कुल मिलाकर हालात यह है कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले मेहनतकश मजदूर ज्यादा बदहाली में जी रहे हैं। ऐसे में होना तो यह चाहिए कि केंद्र व राज्य सरकारें मजदूरों को हर संभव कोशिश कर उनका मदद करती,लेकिन राज्य और केंद्र सरकार पुंजीपतियों के इशारों पर कोरोना की आड़ में मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए बने उन श्रम कानूनों को खत्म कर रही है,और जब कोई मजदूर संगठन इन नीतियों का विरोध करता है तो उन्हें डराने/ धमकाने के लिए उन पर मुकदमा दर्ज कर उनके आवाज को दबाने का प्रयास किया जाता है।


श्री वर्मा ने सवाल किया  कि श्रम कानूनों को समाप्त करने का विरोध करना हमारे सांविधानिक अधिकारों (मौलिक अधिकार अनिच्छेद--14 से 28 ) में है , तो सरकार हमें उन अधिकारों से क्यों बंचित कर रही है। हम मजदूरों की एकता के बल पर उनके हक की माँग करते रहेंगे,ये हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।हम सरकार के सामने नहीं झुकेंगे।वैसे हम ये भी स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इलाहाबाद सहित पुरे देश में हुए यह कार्यक्रम पुरी तरह से मजदूरों/ कर्मचारियों द्वारा किये गये थे , इसलिए इसे राजनीतिक दृष्टि से देखकर कारवाई करना पुरी तरह से गलत है।हम माँग करते हैं कि यू.पी.सरकार इस मुकदमा को तुरंत वापस ले।

उपरोक्त जानकारी ईस्ट सेंट्रल रेलवे इम्पलाईज युनियन ( ECREU) समस्तीपुर डिवीजन , पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा वाट्सएप माध्यम से प्रेस को दिया गया । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

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