पहले प्रशासन ने रोजी रोटी छीनी, अब प्रकृति ने सर से छत छीनी

पहले प्रशासन ने रोजी रोटी छीनी, अब प्रकृति ने सर से छत छीनी

               छत विहीन हुऐ मजदूर की दर्द

स्पेशल रिपोर्ट मथुरा उत्तर प्रदेश ब्यूरो डॉ केशव आचार्य गोस्वामी की रिपोर्ट

मथुरा,उत्तरप्रदेश ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 30 मई,2020 )। प्रकृति का प्रकोप जब आता है तो गरीब लोगों की कराह निकलते लेकिन सुनने वाला कोई नही होता है । जिसका जीता जागता उदाहरण बीती रात देखने को मिला । जब एक बुजुर्ग दम्पति परिवार जिसकी रोजी रोटी प्रशासन की विकास की योजना के चलते छीनी हुई थी । कल आये भयंकर आंधी तूफान से बचने के लिए अपने घर के अंदर महफूज समझ रहा था । लेकिन पड़ोसी की दीवार छत पर गिरने से छत भरभरा कर ढ़ह गई । जिससे अब घर  विहीन हो गया है ।

प्राप्त विवरण के अनुसार जनपद के राधाकुंड कस्बे के समीप ओंकार नाथ दुबे अपनी पत्नी के साथ रहते हैं, जो एक छोटी से चाय की दुकान चलाकर अपना जीवन यापन करते थे । परन्तु एनजीटी के आदेश पर रोड निर्माण कार्य के चलते चाय की दुकान हाथ से समाप्त हो गई और बेरोजगार हो गए फिर यह लॉक डाउन लागू हो गया । जिसमें जैसे तैसे जीवन चल रहा था, परन्तु प्रकृति को तो कुछ और ही मंजूर था । जिसके चलते जीवन भर की कमाई से एक छोटा सा घर बनाया था । बीती रात्रि को भयंकर आंधी तूफान से बचने को अपने घर के अंदर थे ।

तभी ईंट पत्थर गिरने लगे तो दुबे भाग कर बाहर निकले जब तक कुछ समझ पाते तब तक  पड़ोसी गरीब दास महाराज के मकान की दीवाल ओंकार नाथ दुबे की छत पर गिर गई । जिस कारण दुबे की पूरी छत भरभराकर गिर गई ।  उक्त घटना में एक यही बात ठीक रही कि कोई शारीरिक  नुकसान नहींं हुआ । लेकिन दुबे का पूरा घर मलबे में तब्दील हो गया। गरीब बुजुर्ग दम्पति का तभी से रो रो कर बुरा हाल है और टकटकी लगाए राह देख रहे हैं कि कोई मददगार साबित होता है या नही । लेकिन समाचार लिखे जाने तक कोई हाथ बढ़ाकर आगे आने को तैयार नहींं हुआ है।

 गरीब बुजर्ग दम्पति के उजड़े आशियाने के सम्बन्ध में जब तहसील प्रशासन से वार्ता की गई तो क्षेत्रीय लेखपाल पवन कुमार ने बताया कि सूचना मिलने पर मेरे द्वारा निरीक्षण कर रिपोर्ट उपजिलाधिकारी व तहसीलदार साहब को देदी गई है यथा सम्भव मदद कराई जाएगी। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा डॉ० केशव आचार्य गोस्वामी की स्पेशल रिपोर्ट प्रकाशित।

Published by Rajesh kumar verma 

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