"भारत की संस्कार कोरोना वायरस के सामने दीवार बन गई " : कवि विक्रम क्रांतिकारी

"भारत की संस्कार कोरोना वायरस के सामने दीवार बन गई  " : कवि विक्रम क्रांतिकारी 

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट 

                                             कवि विक्रम क्रांतिकारी 


नई दिल्ली, भारत  (जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 07 जून, 2020 ) ! हम जानते हैं कि किसी भी महामारी को हराने में सबसे बड़ा योगदान विज्ञान का होता है. लेकिन देखा गया है कि विज्ञान को जब परंपराओं और संस्कार का साथ मिलता है ,तो ऐसी महामारियो से  लड़ने में थोड़ा आसान हो जाता है l आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस के आतंक से परेशान हैं. लेकिन अपने भारत की कुछ परंपराएं और संस्कार कोरोना वायरस के सामने दीवार बनकर खड़ा है l दोस्तों आज पूरी दुनिया नमस्कार को अपना रही है ,यह हम देख रहे हैं l दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं भारतीय संस्कार और परंपराओं की जिसको हमें फिर से जीवित करना होगा l जो हजारों वर्षों से स्वस्थ जीवन की सीख देती आई है. जिन परंपराओं से हमने हाथ धो लिया है आज उन परंपराओं से हाथ मिलाने का समय है l हमारे भारतीय परंपराओं में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखने के लिए बोला जाता है ,इससे बहुत से बीमारियां दूर हो जाती है l हमें स्वच्छता सिर्फ अपने घर की नहीं करना है l बल्कि अपने शरीर और मन की भी करना होगा l  हमेशा सकारात्मक सोचना होगा l हम देखते आए हैं बचपन से ही  की किसी अनुष्ठान या पूजा के दौरान बार-बार जल से हाथ की शुद्धि कराई जाती है . साथ ही मंत्र का उच्चारण करते समय भी जल डाले जाते हैं और इस दौरान मंत्र पढ़ा जाता है स्वस्ति वाचन इसका मतलब है कल्याण हो, यानी शुद्धिकरण के दौरान जल का इस्तेमाल करते हुए, हम संसार के कल्याण की कामना करते हैं l  इसलिए दोस्तों मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि इस वैश्विक  महामारी में जो भी वंचित तबका आपकी आंखों से दिखे तो जरूर अपने सामर्थ्य अनुसार उसका मदद करने के लिए हाथ बढ़ाएं l क्योंकि इस दुनिया से इंसान कुछ भी अपने साथ लेकर नहीं जाता हैं  l सब इसी मिट्टी में एक दिन मिल जाता है ,हम सब इसी मिट्टी में मिल जाएंगे कोई आगे कोई पीछे सब मिट्टी -मिट्टी हो जाएगा l
एक बात और आज हमें अपने परिवार को समय देने की जरूरत है ,दोस्तों सोशल नेटवर्किंग के दौर में हजारों दोस्त बन जाते हैं लेकिन इस वर्चुअल दोस्ती और रिश्तो के चक्कर में हम अपने परिवार और समाज को पूरा समय नहीं दे पा रहे हैं l जिसके कारण आज रिश्तो में दरारे आ रही l दोस्तों किसी भी प्रकार के रोग को सिर्फ दवाएं नहीं बल्कि आपकी इच्छा शक्ति और साथ ही आपके नजदीकी रिश्ते आपके परिवार के साथ खुशियां और उनके साथ समय बिताने से भी मन शांत और संतुलित होने के साथ-साथ बहुत से बीमारियां अपने आप ठीक हो जाती है l दोस्तों आप घर पर रहने को मजबूर हैं तो योगा ,मेडिटेशन और कसरत को अपने दिनचर्या में शामिल जरूर करें. इससे आपका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर तो होगा ही साथ ही इस संकट की घड़ी में आप मजबूती के साथ चुनौतियों का सामना भी करेंगे l दोस्तों अपरिग्रह को त्याग दें मतलब उतना ही संसाधन जमा करें जितना आपको और आपके परिवार को जरूरत और अपने परिवार को समय दें साथ ही अपरिग्रह विचारों और वस्तुओं का त्याग करें l
दोस्त हम जानते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 14 में सभी के  बराबरी की बात कही गई ,और रामचरितमानस में भी कहा गया है की जल, अग्नि ,आकाश,और वायु इन पांच तत्वों से मिलकर हमारा शरीर का निर्माण हुआ है l लेकिन दोस्तों आज इतना भेदभाव है कि 90% संपत्ति पर 10% लोगों का कब्जा है, वहीं दूसरी तरफ 10% संपत्ति पर 90% किसी तरह गुजारा -बसर कर रहे हैंl "दोस्तों गांधी जी भी कहे हैं कि पृथ्वी के पास हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए तो संसाधन हैं, लेकिन लालच को पूरा करने के लिए नहीं है l 
दोस्तों हमने शुरू से ही पर्यावरण की पूजा की है सूर्य, नदी, पर्वत पेड़ और यह सब हमारे लिए पूजनीय है l वैदिक परंपरा से लेकर आधुनिक काल तक देख लो आप हमारे शरीर और जीवन से प्राकृतिक का गहरा रिश्ता रहा है l दुनिया का कोई ऐसा सभ्यता नहीं है जिसने अपने ग्रह को मां का दर्जा दिया हो , ऐसी कोई संस्कृति नहीं है जिसमें भोजन से पहले मंत्र पढ़ा जाता है और कहा जाता है कि ईश्वर हमें बुराइयों से मुक्त करें l लेकिन हम करते हैं खुद पर गर्व है l दोस्तों आज जलवायु परिवर्तन को सेमिनार और भाषणों का विषय बना कर छोड़ दिया गया है, इसी का कारण है कि प्राकृत समय-समय पर अपने तरीके से पर्यावरण को सुधारने का अभियान शुरु कर देती है l लेकिन अब हमें कमर कसना होगा और अपने प्राकृत के साथ तालमेल बनाकर चलना होगा यह हम सबका नैतिक जवाबदेही है l नहीं तो आने वाला हमारा भविष्य हमसे सवाल करेगा और हमारे पास कोई जवाब नहीं होगा l
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतर्राष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता /मेंटर  लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं ।-स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित। 

published by Rajesh Kumar verma 

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