भारत में वर्ष 1952 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था ' उसके बाद वर्ष-1963 ' वर्ष-1973 और वर्ष-2002 के बाद परिसीमन आयोग का गठन नही..? : मो० अकबर अली

 भारत में वर्ष 1952 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था ' उसके बाद वर्ष-1963 ' वर्ष-1973 और वर्ष-2002 के बाद परिसीमन आयोग का गठन नही..? : मो० अकबर अली 

बिहार में पंचायती चुनाव से पहले परिसीमन ' वार्ड से लेकर पंचायत तक-परिसीमन मानक तय करें-चुनाव आयोग  

 जनक्रान्ति कार्यालय रिपोर्ट     

पटना, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 13 जनवरी, 2021 ) । देश में पंचायती राज व्यवस्था-लोकतंत्र की प्रथम पाठशाला है ' नेतृत्व क्षमता उभरने एवं निखरने में पंचायती राज संस्थाएं मददगार साबित हो रही है। पंचायती राज व्यवस्था विकेंद्रीकृत लोकतांत्रिक  सत्ता व्यवस्था की नींव है ' यह व्यवस्था जितनी मजबूत होगी ' उतना ही भारतीय लोकतंत्र हमारा मजबूत होगा। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए ' पंचायती राज व्यवस्था को पारदर्शी एवं सुदृढ़ होना आवश्यक है ' केंद्र-राज्य सरकार की बहुत सारे विकास एवं कल्याणकारी योजना का धरातल पर उतारने का काम पंचायती राज के जिम्मे है। परिसीमन का अर्थ होता है " सीमा का निर्धारण " किसी भी राज्य की लोकसभा और विधानसभा चुनाव क्षेत्रों की सीमाओं के निर्धारण को ही परिसीमन कहा जाता हैं। जिसका  सरल शब्दों में अर्थ है कि-किसी राज्य के बहुत सारे गाँवों-कस्बों और शहरों को एक इकाई मान या राजनीतिक क्षेत्र-(निर्वाचन क्षेत्र) मानकर पूरी राज्यों को इसी तरह बहुत सारे इकाई को बाँट कर परिसीमन तैयार करने का प्रावधान है। बिहार पंचायत राज अधिनियम-2006 में कहां गया है कि-सरकार किसी भी सामान्य या विशेष आदेश के अधीन-जिला दंडाधिकारी जिला गजट में अधिसूचना निकाल कर-किसी स्थानीय क्षेत्र को जिससे कोई गाँव या निकटस्थ गाँव के समूह या उसका कोई भाग होगा--को ग्राम पंचायत राज  घोषित कर सकेगा। सरकार वैसे क्षेत्र को ग्राम पंचायत क्षेत्र घोषित करेगी-जिसकी क्षेत्र की संख्या 7000 हजार के निकटतम होगी। बिहार सरकार के द्वारा ग्राम पंचायतों के गठन पर-25 वर्षों तक रोक लगाने का असर बडी आबादी वाली ग्राम पंचायतों के पर पडे़गा ' ग्राम पंचायतों को राज्य-व-केंद्र सरकार के द्वारा विकास के बहुत सारे मदों में अनुदान राशि दी जाती है। हमारा जनतंत्र इस बुनियादी धारणा पर आधारित है कि-शासन के प्रत्येक स्तर पर-जनता अधिक से अधिक शासन कार्यों में हाथ बढाये और अपने पर शासन करने की उत्तरदायित्व स्वयं प्राप्त करें। दुसरे शब्दों में ग्रामीण भारत के लिए ' ग्राम पंचायती राज ही एक मात्र उपयुक्त योजना है ' ग्राम पंचायतें ही हमारे राष्ट्रीय जीवन का रीढ है ' जिसमें गणतंत्र के सारे गुण पायें जातें है ' प्रजातंत्र की सार्थकता विकेंद्रीकरण में है ' यदि शक्तियां विकेंद्रीकृत हो-तो जनता की सहभागिता में वृद्धि होगी और स्थानीय समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर हो जाएगा। उपरोक्त वक्तव्य जय हिंद जय भारत ' जय संविधान ' के साथ मोहम्मद अकबर अली ' प्रदेश महासचिव (अल्पसंख्यक) बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल ने कार्यालय को दिया। 


जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक /सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित । 

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