जांच के पेंच में 25 वर्षों से फंसा है न्याय, 25 वर्षों से दर-दर की ठोकरें खा रहा न्याय के लिए पीड़ित सीताराम

 जांच के पेंच में 25 वर्षों से फंसा है न्याय, 25 वर्षों से दर-दर की ठोकरें खा रहा न्याय के लिए पीड़ित सीताराम

जनक्रांति कार्यालय से यशवंत कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

          न्याय की आस में भटक रहा पीड़ित सीताराम 

समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय १५  मार्च, २०२१ )। समस्तीपुर जिला के खानपुर प्रखंड क्षेत्र के हरिहरपुर खेढी गांव निवासी सीताराम चौधरी पिछले 25 वर्षों से न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है, इस दौरान पिछले 25 वर्षों में वह कई बार पुलिस महानिदेशक, प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, अनुमंडल पदाधिकारी सहित बिहार सरकार के कई मंत्री, उपमुख्यमंत्री  एवम मुख्यमंत्री तक अपने ऊपर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया मसीना शाखा द्वारा लगाए गए गलत आरोपों की शिकायत कर जांच उपरांत विधि सम्मत न्याय के लिए गुहार लगाकर थक हार चुके हैं लेकिन न्याय के लिए वह अभी भी आस लगाए टकटकी लगाकर बैठे हैं।इन आला अधिकारियों एंव जनप्रतिनिधियों को दिए आवेदन में बताया है कि वर्ष 1997 में प्रधानमंत्री रोजगार योजना अंतर्गत उन्हे मसीना स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज मंजूर हुआ था। जिसमें सीताराम चौधरी  द्वारा नगद 8 हजार 5 सौ रूपये प्राप्त किये गये। 12 अगस्त 1997 को बैंक द्वारा जगदंबा ट्रेडर्स मुसरी घरारी के नाम अकाउंट पेयी ड्राफ्ट संख्या 015822 में जगदम्बा ट्रेडर्स के नाम पर ₹27800 निर्गत किया गया। जिस ड्राफ्ट के अकाउंट पेयी होने के कारण उक्त जगदंबा ट्रेडर्स मुसरीघरारी के मालिक द्वारा ड्राफ्ट वापस करते हुए दिए गए बिल्डिंग मटेरियल के सामानों के बदले सीताराम चौधरी से नगद राशि दिनांक 14 अक्टूबर 1997 को पत्रांक 22 के तहत ₹27800 नगद प्राप्त कर लिया।जिसका बिल वाउचर भी सीताराम चौधरी द्वारा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को समर्पित किया गया। इसके बाद उक्त ड्राफ्ट को तत्कालीन बैंक प्रबंधक को सीताराम चौधरी द्वारा वापस कर दिया गया। जिसके बाद तत्कालीन बैंक प्रबंधक ने दूसरा ड्राफ्ट मिल जाने की बात बताई परंतु आज तक दूसरा ड्राफ्ट नहीं मिला।सीताराम चौधरी ने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया कि उक्त ड्राफ्ट को कोऑपरेटिव बैंक समस्तीपुर शाखा से मिली भगत कर जालसाजी कर उन दिनों बैंक के दलाल रहे पवन कुमार झा द्वारा जगदंबा ट्रेडर्स के नाम से फर्जी खाता खोलकर भुगतान प्राप्त कर लिया गया और मुझे उक्त ड्राफ्ट की राशि 27800 का कर्जदार बना दिया गया। इस मामले की जानकारी होने पर सीताराम चौधरी द्वारा तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी से भी शिकायत की गई। जिसके आलोक में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पटना कार्यालय द्वारा जारी बैंक के पत्रांक 4359 दिनांक 13 जुलाई 2006 के तहत विभागीय जांच होने की जानकारी मिली परंतु जांच नहीं होने की स्थिति में पुण: सीताराम चौधरी द्वारा जिला समाहर्ता समस्तीपुर को आवेदन दिया गया, उक्त मामले में जन शिकायत कोषांग के पत्रांक 2668 दिनांक 13 मार्च 2011 के तहत जांच कराई जा रही थी। इसी बीच मसीना स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा सीताराम चौधरी के विरुद्ध न्यायालय में गैर जमानती नीलम वाद पत्र जारी करवा दिया गया।यह भी बताया गया कि जब 11 जुलाई 2011 को तत्कालीन सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शाखा मसीना के प्रबंधक से सूचना के अधिकार के तहत छह सूचना मांगी गई तो तत्कालीन शाखा प्रबंधक द्वारा एक सूचना सही, तीन सूचना गलत व दो सूचना की जानकारी  आज तक नहीं दी गई। सीताराम चौधरी ने बताया कि हाल में भी पुलिस महानिदेशक पटना बिहार के कार्यालय में उक्त मामले की जांच को लेकर गुहार लगाई गई है,जिसका टोकन संख्या 201712290005 है लेकिन देखना है कि अब मुझे न्याय के लिए और कितने वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से संवाद सूत्र यशवंत कुमार चौधरी की रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

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