जेहन में उठता है जब भी कोई सबाल , सच कहूं तब आता है तेरा ही ख्याल
जेहन में उठता है जब भी कोई सबाल ,
सच कहूं तब आता है तेरा ही ख्याल
बेगूसराय, बिहार
बेगूसराय/समस्तीपुर,बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 01 मई,20 )।
जेहन में उठता है जब भी कोई सवाल ,
सच कहूं तब आता है तेरा ही ख्याल ।
हाजिर जवाबी थी निर्णय होता सटीक
लाई लपेट कोई नहीं बैठता था फ़ीट ,
हाजिर जवाबी........
अब भी सबाल का हल तुमसे मिलता
जब गहन चिंतन दिल से तुम्हारा होता
हर सबाल का जवाब तो तुम ही थी ,
निगाहों उतरे सबाल का हल तुम ही थी
हर सबाल का.....
हंसी ऐसी थी जैसे फूलों की पंखुरियाँ.
साहस ऐसी की जैसे गरजती बिजुरियाँ
मिलनसार जैसे दरवाजे पर रुक जाते
दुआ सलाम प्रणाम कर सब झुक जाते
मिलनसार जैसे.........
हर एक सभी तुम्हारे प्रेम के कायल थे
दौड़ पड़े मौत सुनकर कलेजे घायल थे
बिना कहे अपने -अपने कर्म में व्यस्त
होश में रहा ना मैं भीतर से था पस्त ,
बिना कहे अपने......
क्षण में लगा अब सपना ही टूट गया
बिडंबना थी जो पल में ही छूट गया,
विश्वास ना कर सका जब बच्चे रोये
अभी अभी मेरे पास थी कैसे खोये.
विश्वास ना कर......
प्रमोद मेरे जीवन का ओ सपना था
लगता ऐसा ही है जो ना अपना था
पल में ही पलट गया सभी कुछ मेरा
बुझ गयी जलती दीपक हुआ अंधेरा
पल में ही.........
समझ में आई तब संतो की ओ वाणी
संसार रस्सी में सर्प की भ्रम भांति है
ये समस्त रिश्ते नाते पल भर के ही हैँ
स्वांसा बंद खेला ख़तम कलंदर ही हैँ
ये समस्त.....
तेरी याद में दिन रात अब आंसू बहता
तेरे दीये चार फूलों से मैं सुगंध पाता
यही देख -देख ऑंखें जब भर आती है
तब तेरी याद मुझे बहुत ही सताती है
यही देख -देख......
यही मेरी जीवन की अद्भुत कहानी है
कह नहीं सकता मुख से ये जुबानी है
जब से गयी है सब कुछ छूट ही गया
बिहार में अव्वल था उदासीन हो गया
जब से गयी....
कहाँ करोड़ों का घपला पकड़ कर था
पुरुस्कार की थी तुम्हें भी ओ कामना
आंदोलन के कोई भी मित्र काम आये
सेवा पुस्त में अंकित की सम्पुष्टि माना
प्रमोद कुमार सिन्हा के मूल आलेख समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा प्रकाशित । 01/05/20 ॥001॥
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