""आखिर अन्नदाता का शोषण कब तक होता रहेगा"" :कवि विक्रम क्रांतिकारी

""आखिर अन्नदाता का शोषण कब तक होता रहेगा""

            कवि विक्रम क्रांतिकारी 

आज कोविड- 19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते हो रहे नुकसान से किसानों को आखिर कैसे बचाया जाए...?
 
                      Writer  Kavi Vikram Krantikari


दोस्तों कई मंडियों में देखा गया कि किसान का प्याज 1.5 रुपए किलो  की दर से खरीदकर 20 से  25 रुपए प्रति किलो बेचा जा रहा है दोस्तों किसानों के फसल और सब्जी बिचौलिया सस्ते दाम में किसानों से लेकर महंगी दाम  में बेच रहे हैं 


आखिर कब तक किसानों का शोषण होगा दोस्तों इस वैश्विक महामारी में भी अन्नदाता ही अपने खेतों में डटे हुए हैं सभी के पेट भरने के लिए अन्नदाता ही अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाएंगे लेकिन बिचौलिया किसानों के कमर को तोड़ रहे हैं 


नई दिल्ली, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 13 मई,20 ) ।  आज कोविड- 19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते हो रहे नुकसान से किसानों को आखिर कैसे बचाया जाए? क्या कदम उठाया जाना चाहिए जिससे कृषि संकट से किसानों को बचाया जा सके? दोस्तों कई मंडियों में देखा गया कि किसान का प्याज 1.5 रुपए किलो  की दर से खरीदकर 20 से  25 रुपए प्रति किलो बेचा जा रहा है दोस्तों किसानों के फसल और सब्जी बिचौलिया सस्ते दाम में किसानों से लेकर महंगी दाम  में बेच रहे हैं आखिर कब तक किसानों का शोषण होगा दोस्तों इस वैश्विक महामारी में भी अन्नदाता ही अपने खेतों में डटे हुए हैं सभी के पेट भरने के लिए अन्नदाता ही अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाएंगे लेकिन बिचौलिया किसानों के कमर को तोड़ रहे हैं इस पर ध्यान देने की जरूरत है वैसे भी दोस्तों लॉकडाउन के कारण बहुत से किसानों की टमाटर अंगूर और गेहूं की फसलें खेतों में ही सड़ने  लगे हैं दोस्तों ध्यान नहीं दिया गया तो संकट और बढ़ सकती है आगे, इस वक्त मजदूर मिलना बहुत ही मुश्किल है और किसान अपने पूरे परिवार के साथ दिन-रात लगकर काट भी रहा है फसल तो बेचने की कोई व्यवस्था नहीं है दोस्तों किसान एक तरफ इस महामारी के बीच खेतों में दिन- रात मेहनत कर रहे हैं चिंता कर रहे हैं कि देश में कोई भी भूखा ना सोए वही सरकार इनके सुरक्षा कानून बनाने की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है दोस्तों मैं खुद दर्दे जमीन पुत्र हूं देखता हूं कैसे किसान धरती माता का सीना चीर कर देश के भंडारण अन्ना के उत्पादन से भरते हैं  आज उस किसान को समय और बाजार की मर्जी पर छोड़ दिया गया है इस समय देश में अनाज की आपूर्ति का नहीं बल्कि मांग का संकट है दोस्तों किसान लंबे समय से प्राकृतिक आपदा जैसे असमय बारिश ओलावृष्टि तेज तूफान से संकट का सामना करता रहा है और वही इस वक्त लॉकडाउन से देश के सब्जी फल दूध मुर्गी पालक मत्स्य पालक मधुमक्खी पालन किसान भयानक आर्थिक चुनौती से लड़ रहे हैं ग्रामीण क्षेत्रों में भंडारण का कोई व्यवस्था नहीं है सब्जी और फलों को सस्ते में लेकर बिचौलिए मांगी में बेच रहे हैं जैसा कि पिछले दिनों कहीं-कहीं ₹1 से भी कम कीमत में प्याज -टमाटर लेकर बिचौलियों  ने 20 -30 रुपए किलो बेचा दोस्तों देश के हिंदुस्तान यानी जो गांव में रहते हैं कृषक उनके तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो इंडिया यानी जो विकसित है महानगरों में रहता है वह कैसे अपना पेट भरेगा जब किसान ही आए दिन फंदे पर लटकते रहेंगे उनके मेहनत का वाजिब दाम नहीं मिलने पर और कर्ज लगातार बढ़ते रहने से दोस्तों जिन किसानों को उम्मीद रबी की फसल से थी उसके भी दाम बाजार में नहीं मिल पा रहे हैं चना गेहूं सरसों तमाम फसलें समर्थन मूल से नीचे बिक रही है । 

दोस्तों भविष्य में इसके नतीजे और गंभीर हो सकते हैं व्यापार और परिवहन एक सिक्के के दो पहलू हैं किसी एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती वहीं पिछले दिनों मध्य प्रदेश की एक मंडी में गेहूं बेचने गए किसानो  पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिसमें एक किसान का मृत्यु हो गई आखिर किसानों के लिए सुरक्षा कानून क्यों नहीं बनाया जा रहा है? दोस्तों आज तक किसी की भी सरकार रही हो आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी किसानों को उसके हाल पर छोड़ कर सरकार ने आज तक इस कर्मयोद्धा की कोई खबर नहीं ली देश के खाद्य मंत्री सीना ठोक कर कहते हैं कि महामारी के चलते घबराने की जरूरत नहीं है देश के पास 1 साल तक का अग्रिम भंडारण लगभग 64.6 मिलियन टन अनाज के रूप में जमा है खाद्य मंत्री जिन किसानों के दम पर इस खाद्य सुरक्षा को हासिल करने का दम भरते हैं वह उन किसानों का जिक्र तक नहीं करती जब पूरी दुनिया महामारी से डरकर पंगु बनी घर में बैठी है वही किसान जान हथेली पर रखकर देश के लिए अनाज उत्पादन में लगे हैं किसान एक ऐसा कर्म योद्धा है जिसके दम पर आज भारत कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है देश में अगर अनाज के भंडारण ना होते तो कोरोना वायरस से ज्यादा भूख से मौत होती दोस्तों इस आपदा के असली अदृश्य हीरो किसान है किसान सच्चे कर्म योद्धा है जो उत्पादन को बारिश सूखा बाढ़ तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी उत्पादन को जारी रखते हैं इसलिए हम कह  सकते हैं कि सभी का पेट भरने वाला अन्नदाता ईश्वर का स्वरूप है इसके लिए सुरक्षा कानून बनाया जाए...
कवि  विक्रम क्रांतिकारी(विक्रम चौरसिया -अंतर्राष्ट्रीय चिंतक)
दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं-स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma 

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