"अमेरिका का डब्ल्यूएचओ से नाता तोड़ने का कारण क्या है?"

"अमेरिका का डब्ल्यूएचओ से नाता तोड़ने का कारण क्या है?"

.                                                   वि विक्रम क्रांतिकारी

                                                 दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता

आखिर कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से सारे संबंधों को तोड़ दिया

दोस्तों पिछले महीने से चीन और अमेरिका के बीच में चल रहे शीत युद्ध जिसका कारण था कि कोरोना वायरस के कारण हो रही मौतों के लिए ट्रंप ने पूरी तरह से चीनी को जिम्मेवार ठहराया और डब्ल्यूएचओ को बोला कि चीन के इशारे पर यह काम कर रहा है l

समस्तीपुर कार्यालय 

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 30 मई,2020 ) । आखिर कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से सारे संबंधों को तोड़ दिया और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा करते हुए आरोप भी लगाया कि डब्ल्यूएचओ पूरी तरह से चीन के इशारे पर काम कर रहा है ,और बदलाव की प्रक्रिया शुरू करने में डब्ल्यूएचओ पूरी तरह से नाकाम रहा है, इसलिए हम विश्व स्वास्थ संगठन से अपने सारे संबंधों को आज  खत्म कर रहे हैं l दोस्तों पिछले महीने से चीन और अमेरिका के बीच में चल रहे शीत युद्ध जिसका कारण था कि कोरोना वायरस के कारण हो रही मौतों के लिए ट्रंप ने पूरी तरह से चीनी को जिम्मेवार ठहराया और डब्ल्यूएचओ को बोला कि चीन के इशारे पर यह काम कर रहा है l चीन और डब्ल्यूएचओ ने इस भयंकर वायरस के बारे में पहले दुनिया को सचेत नहीं किया जिसके कारण पूरा विश्व परेशानी में है | दोस्त ध्यान से देखें तो पहले कोरोना वायरस और अब हांगकांग को लेकर बिफरे अमेरिका ने चीन के खिलाफ नया मोर्चा खोला यह नया मोर्चा हांगकांग में प्रशासन के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों के अमेरिका आवाजाही पर पाबंदियां लागू करने के साथ ही कई रियासतों को खत्म करने की घोषणा की अमेरिकी राष्ट्रपति ने ,और जैसा हम जानते हैं कि चीन डब्ल्यूएचओ को केवल 4 करोड़ डॉलर का योगदान देता है वहीं अमेरिका प्रत्येक वर्ष 45 करोड़ डॉलर का योगदान देता है फिर भी विश्व स्वास्थ संगठन पर चीन का पूरा नियंत्रण है ,यह कहना एक हद तक अमेरिकी राष्ट्रपति का सही भी है कि जब विश्व स्वास्थ संगठन पूरे विश्व के भलाई के लिए बनाया गया है किसी भी तरह के जानलेवा महामारी के या किसी प्रकार की मेडिकल उपकरण की इनोवेशन में क्या-क्या पहल करना है यह विश्व संगठन का नैतिक जिम्मेदारी हैl दोस्तों चीन का यह जवाबदेही है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ कि बुहान से निकला वायरस बीजिंग या चीन के अन्य हिस्सों में जाने की बजाए यूरोप और अमेरिका भारत और अन्य देशों में तेजी से फैला दोस्त सबसे खराब हालात वर्तमान में अमेरिका का ही है l इसलिए दोस्तों चीन को दुनिया के आगे जवाब देना होगा और निष्पक्ष जांच के लिए सहयोग करना ही होगा यह मेरा भी विचार है l दोस्त ध्यान से सोचो अब यह मुद्दा स्वेदनशील हो चुका है l क्योंकि अब अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाली आर्थिक मदद रोक दी जो कि सबसे अधिक अमेरिका ही धन देता था ,डब्ल्यूएचओ को और अब इसके आगे की राह डब्ल्यूएचओ के लिए और भी जोखिम भरी ही साबित होने वाली है l यह जानना हमें जरूरी है कि चीन का कितना असर वैश्विक संगठन पर है ,और इसके पीछे क्या कारण है? दोस्त इन सब घटना को देखकर मुझे भी लगता है कि डब्ल्यूएचओ और चीन के बीच खास रिश्ते हैं l जैसा कि हमने देखा जनवरी के आखिर में डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रस एडहैनाम ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और वैश्विक महामारी से निपटने के लिए चीन की खूब तारीफ की. और तो और चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के कदमों और दवाइयों को  भी खूब सराहा जोकि इनके बीच में  साजिश नजर आती है इसलिए चीन को कटघरे में खड़ा करने की बहुत जरूरत है l दोस्तों अगर बात करें विश्व स्वास्थ संगठन की तो दुनिया भर में 194 सदस्य देश है इसके और सभी देशों को एक खास रकम सदस्यता राशि के रूप में सभी सदस्य को हर साल देना होता है और इस फंड को  असेस्ड फंड कहते हैंl और इसके अलावा जो भी दान  के तहत राशि आती है उसको वॉलंटरी फंड कहा जाता है ,दोस्त दुनिया भर से मिलने वाली इस रकम के  आधार पर जारी वित्तीय वर्ष में डब्ल्यूएचओ का कुल बजट करीब 2.4 अरब डॉलर का हैl 
दोस्तों 2018-19 मे अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ को 89.3 करोड़ डॉलर तक की वित्तीय सहायता अकेले दिया था l  और तो और आंकड़े कहते हैं कि डब्ल्यूएचओ को सबसे ज्यादा वित्तीय सहायता देने वाले अमेरिका है और टॉप टेन मददगारों की सूची में चीन का कोई नंबर नहीं है l इसलिए दोस्तों इन आंकड़ों को देखकर हम कह सकते हैं कि अमेरिका की नाराजगी जायज है और यह संगठन चीन का हिमायती कैसे हो सकता है l जिस देश में सबसे अधिक फंड दिया आखिर उसके साथ ऐसा क्यों?
मुझे लगता है कि भविष्य में ताइवान का मुद्दा चीन और डब्ल्यूएचओ दोनों के लिए बेहद संवेदनशील हो सकते हैं और अगर चीन ने निष्पक्ष जांच में सहयोग नहीं किया तो हालात और भी खराब हो सकते हैं l जिस तरह से राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के सीमा विवाद और दक्षिण चीन सागर के मतभेदों का मुद्दा उठाया और हांगकांग के बहाने भी चीन को घेरने का प्रयास कर रहे हैं l और ट्रंप ने चीन पर वादाखिलाफी धोखाधड़ी के आरोप लगा रहे हैं और कई प्रतिबंधों की घोषणा कर दी है और तो और इस कड़ी में ट्रंप ने चीन के कुछ लोगों को सुरक्षा खतरा बताते हुए उनके  अमेरिकी विश्वविद्यालय शोध संस्थाओं में आने पर भी रोक लगा दी है एवं चीनी कंपनियों के अमेरिका में वित्तीय कामकाज की जांच राष्ट्रपति के विशेष कार्य समूह को देने का भी फैसला सुनाया हांगकांग के मुद्दे पर चीन को कटघरे में खड़ा किया और प्रशासनिक लोगों की अमेरिका में आवाजाही पर रोक लगा दिया जो हांगकांग में दबाव की नीतियों को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं इसलिए कह सकते हैं कि यह शीत युद्ध बहुत ही भयानक भविष्य में स्वरूप ले सकता है l दोस्तों हम वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास करने वाले हैं पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं इसलिए आपके आसपास कोई भी वंचित परिवार दिखे व्यक्ति दिखे अपने सामर्थ्य अनुसार मदद करने के लिए जरूर आगे आए मेरा आप सभी से अनुरोध है l
कवि विक्रम क्रांतिकारी(विक्रम चौरसिया -अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहें व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं-स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख l समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma 

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