" संकल्प लेते हैं की बालश्रम जैसी सामाजिक बुराई को मिटा के रहेंगे " : कवि विक्रम क्रांतिकारी "नन्हे हाथों में ईट नही किताबें दो… बाल मजदूरी को हमेशा के लिए ख़त्म करना है आओ साथ दो..02 "" ।।।

" संकल्प लेते हैं की बालश्रम जैसी सामाजिक बुराई को मिटा के रहेंगे " : कवि विक्रम क्रांतिकारी

आज आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे देश में इतना गरीबी है कि आज भी 152 मिलियन बच्चे मजदूरी करते हैं l यह आईएलओ के आंकड़ों के मुताबिक बता रहा हूं l जिसमें से 10 में से 7 बच्चे खेतों में काम करते हैं l

"नन्हे हाथों में ईट नही किताबें दो… बाल मजदूरी को हमेशा के लिए ख़त्म करना है आओ साथ दो..02  "" ।।।

                                      कवि विक्रम क्रांतिकारी

                       (अंतर्राष्ट्रीय चिंतक) 

       दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता /मेंटर 

यह हमारा नैतिक जवाबदेही है कि बच्चे फील्ड में नहीं बल्कि अपने सपनों पर काम करें l

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट 

न ई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 11 जून,2020 ) । यह हमारा नैतिक जवाबदेही है कि बच्चे फील्ड में नहीं बल्कि अपने सपनों पर काम करें l  इसके लिए सरकार के साथ-साथ हमें भी ऐसे वंचित बच्चों को प्रेरित करने की जरूरत है ,साथ ही ऐसे वंचित बच्चों को जो किसी मजबूरी के कारण अपने सपनों पर काम ना करके बल्कि अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए दिन- रात फील्ड में काम करते हैं l दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं कि आज आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे देश में इतना गरीबी है कि आज भी 152 मिलियन बच्चे मजदूरी करते हैं l यह आईएलओ के आंकड़ों के मुताबिक बता रहा हूं l जिसमें से 10 में से 7 बच्चे खेतों में काम करते हैं l जो आंकड़ा आईएलओ ने दिया है यह तो सभी को दिखाई दे रहा है कि इतने बच्चे मजदूरी करते हैं l जबकि हकीकत में बहुत से बच्चों का आंकड़ा दर्ज ही नहीं हो पाता है l दोस्तों हम बाल श्रम निषेध दिवस प्रत्येक वर्ष 12 जून को मनाते हैं l इसकी शुरुआत वर्ष 2012 में हुई थी जिसका मुख्य उद्देश्य बाल मजदूरी को पूरे विश्व से हमेशा के लिए खत्म करना है l 'दोस्तों यह जो बच्चे मजबूरी के कारण किसी होटलों में किसी कारखानों में मजदूरी कर रहे हैं आखिर यह किसके बच्चे हैं? यह बच्चे पढ़ाई और खेलने कूदने के उम्र मे अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए किसी होटल और फैक्ट्री में मजदूरी करने को विवश हो जाते हैं l दोस्तों अगर इंसान इन बच्चों को भी अपने बच्चे जैसा समझे और उसको अपने सामर्थ्य अनुसार पढ़ने - लिखने के लिए प्रेरित करते हुए मदद करने का  प्रयास करें तो ये वंचित बच्चे देश के समावेशी विकास में अग्रणी भूमिका निभाएंगे l आप सब से मेरा निवेदन है कि जहां भी बच्चा काम करता हुआ दिखे उसे प्रेरित करें और अपने सामर्थ्य अनुसार उसका मदद करें ना की उसके बचपना को आप बर्बाद करो। यह बातें मैं इसलिए दावे के साथ बोल रहा हूं कि मैं मुखर्जी नगर रहते हैं बहुत ही नजदीक से देखा जो पढ़े-लिखे लोग हैं वह कैसे दूसरे के बच्चों के साथ बर्ताव करते हैं यहां तक कि आईएएस की तैयारी कर रहे हैं उनका ऑप्शनल भी समाजशास्त्र होता है लेकिन बच्चों के साथ बहुत बुरा बर्ताव करते हैं , मैंने बहुत बार विरोध किया क्योंकि मैंने खुद बचपन से ऐसी परिस्थितियों को देखा समझा और अभी भी उन वंचित बच्चों के उत्थान के लिए काम कर रहा हूं l आज 211 मिलियन से अधिक युवा बेरोजगार है, इसके बावजूद भी आखिर 152 मिलियन बच्चे मजदूरी क्यों कर रहे हैं? दोस्तों याद रखना चाइल्ड लेबर समाज के लिए बहुत ही खतरनाक है l क्योंकि यह छोटा बच्चा जो किसी  होटलों में या कारखानों में काम कर रहा है ,उस बच्चे की समावेशी विकास में रुकावट होगी जिससे देश के विकास में भी बाधा होगीl क्योंकि कहा जाता है किसी भी देश की विकास में वहां के युवाओ का प्रमुख भूमिका होती है l
आज पूरी दुनिया में बालश्रम की समस्या एक चुनौती बनती जा रही है l सभी देशों द्वारा बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाने के लिए समय-समय पर विभिन्न प्रकार के कदम उठाए जाते हैं l लेकिन सभी देशों के द्वारा प्रयास किए जाने के बाद स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है जो की चिंता का विषय है l 
हाल के आंकड़े देख कर मैं और चिंतित हुआ हूं कि खतरनाक श्रम में शामिल 5 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या आज बढ़कर 19 मिलियन से अधिक हो चुकी है l दोस्तों इन वंचित बच्चों से उनकी मासूमियत छीन ली जा रही है और उनका बचपन एवं भविष्य जिसका उन्हें हक है वह भी छीन लिया जा रहा है l एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के आधे से अधिक बच्चों को गरीबी, संघर्ष और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव का खतरा देखा जा रहा है l यह बच्चे शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल व भोजन जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से भी वंचित हो जाते हैं जो कि मैंने काफी करीब से ऐसे वंचित बच्चों को देखा और उनके साथ समय भी  बिताता आ रहा हूं l वैसे दोस्तों बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है ,यह वैश्विक घटना है जो पूरे विश्व में बच्चों से काम लिया जाता है जिनको भुगतान भी कभी-कभी नहीं किया जाता है l यह सच है कि हमारे भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों की विभिन्न धाराएं बनाया गया है, जैसे कि 14 साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा फैक्ट्री या होटल में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा और साथ ही किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त नहीं किया जाएगा l जैसा कि हम जानते हैं कि संविधान जैसे ही लागू हुआ उसके 10 वर्ष के भीतर ही राज्य 14 वर्ष तक की उम्र के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देगे कानून बनाया गया , साथ ही इस पर संघीय और राज्य सरकारें दोनों कानून बना सकती हैं l

फाईल फोटो शेयर बच्पन की तस्वीरे एक महान वैज्ञानिक की

ऐसा कानून होने के बाद भी आखिर 152 मिलियन बच्चे क्यों मजबूर हैं मजदूरी करने को ? दोस्तों मुझे लगता है कि बालश्रम का मूल समस्या आज आजादी के इतने वर्षों के बाद भी निर्धनता और अशिक्षा है l याद रखना दोस्तों जब तक देश में भुखमरी रहेगी तथा देश के नागरिक शिक्षित नहीं होंगे तब तक इस प्रकार की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रहेगी l अगर हम ध्यान से देखें तो जो प्रवासी मजदूर हजारों किलोमीटर अपने गांव की तरफ लौट रहे थे या अभी भी लौट रहे हैं कह सकते हैं उनमें भी बहुत से छोटे-छोटे बच्चे थे जो देश की राजधानी और देश की आर्थिक राजधानी से लेकर अलग-अलग शहरों में जाकर किसी कंपनियों और फैक्ट्रियों में काम करते थे उनमें अधिकतर बच्चे अन्नदाता का भी थे l दोस्तों संविधान के अनुच्छेद 14 सभी की बराबरी की बात कहता हैं l लेकिन अपने देश की बात करे  तो यहां कहीं से भी आपको बराबरी नहीं दिखेगा अगर हम पूरे देश के संपत्ति को ही देखें तो इस पर 10% लोगों का 90% संपत्ति पर किसी न किसी प्रकार से कब्जा है और वही 10% संपत्ति पर 90% लोग किसी तरह गुजर -बसर कर रहे हैं l हमें बालश्रम की समस्या के समाधान के लिए प्रशासनिक, सामाजिक तथा व्यक्तिगत सभी स्तरों पर प्रयास करने की जरूरत है ताकि हम अपने भविष्य को बचा सके l 
बच्चों को दुर्व्यापार करके एक राज्य से दूसरे राज्य में लाए जा रहे हैं और तो और सीमा पार ट्रैफिकिंग के जरिए पड़ोसी देशों नेपाल और बांग्लादेश से भी भारत में हजारों की संख्या में बच्चे लाए जा रहे हैं ,और इनके साथ जबरदस्ती बाल मजदूरी, गुलामी और बाल वेश्यावृत्ति के लिए इनको खरीदा और बेचा जा रहा है और आप हैरान हो जाएंगे मेरे बातों से की इन बच्चों की कीमत जानवरों से भी कम होता है l 
हम देखते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों में छोटे स्तर पर होटल, घरों और फैक्ट्री में काम कर या अलग-अलग व्यवसाय में मजदूरी कर हजारों बच्चे अपने बचपन को तिलांजलि दे रहे हैं l जिनको ना ही कोई कानून का पता है और ना ही पेट पालने का कोई और तरीका है इनके पास l दोस्तों मैं अक्सर इन वंचित बच्चों के लिए लड़ता रहता हूं l देश की राजधानी दिल्ली में रहते हुए भी मैंने देखा जहां देश के प्रधानमंत्री से लेकर सभी सांसद महोदय यही रहते हैं इनके बगल में ही यह बच्चे काम करते हुए देखे जाते हैं l मैं अपने सामर्थ्य अनुसार आवाज उठाने का भरसक प्रयास करता रहता हूं लेकिन हर एक नागरिक को यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि कोई भी बच्चा वंचित दिखे उसको अपने अनुसार मदद करें अगर आप खुद छात्र हैं और अपने पेरेंट्स पर निर्भर हैं किसी वंचित बच्चे को कुछ पैसे से खरीदी जाने वाली वस्तु ना दे सके तो कम से कम अपने 24 घंटे में 10 मिनट ही उन वंचित बच्चों को अपना समय देकर उनको पढ़ा सकते हैं उनके साथ दो बातें कर सकते हैं हंस खेल सकते हैं l लेकिन मैं देखता हूं जो आईएएस की तैयारी करते हैं जिनकी समाजशास्त्र ऑप्शनल पेपर होता है l वह भी उन वंचित बच्चों के साथ बहुत ही बुरे तरीके से व्यवहार करते हैं जोकि बहुत ही गलत है मैं अक्सर ऐसे लोगों के खिलाफ आवाज उठाता रहता हूं और डांटता भी रहता हूँ l दोस्तों अगर कोई बच्चा अपने और अपने परिवार के पेट पालने के लिए मजबूरी में कहीं काम कर रहा है तो कम से कम उसके साथ अच्छा बर्ताव तो करें वह भी किसी मां के पेट से आपके जैसे ही 9 माह रहकर आया है जैसेकि आपको मां ने जन्म दिया है अगर यहां आकर किसी गरीब परिवार में जन्म लिया तो उस बच्चे का क्या गलती है इसलिए दोस्तों अपने अंदर इंसानियत लाते हुए ऐसे किसी भी बच्चे को जिनको आपकी मदद की जरूरत हो जरूर करने का प्रयास करें और हम सब मिलकर कसम खाते हैं कि बाल श्रम जैसी सामाजिक बुराई को हमेशा के लिए मिटा देंगे तभी हमारा देश असल मायने में समावेशी रूप से विकसित होगा l 
"नन्हे हाथों में ईट नही किताबें दो… बाल मजदूरी को हमेशा के लिए ख़त्म करना है आओ साथ दो -02 "" ।।।
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतर्राष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता /मेंटर लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित लोगों के लिए आवाज उठाते रहते हैं l -स्वरचित , मौलिक व अप्रकाशित  लेख । 
समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । ##Published by Rajesh kumar verma

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