"सावधान हो जाओ चीन यह 1962 वाला भारत नहीं है":कवि विक्रम क्रांतिकारी

"सावधान हो जाओ चीन यह 1962 वाला भारत नहीं है":कवि विक्रम क्रांतिकारी 

    कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतर्राष्ट्रीय        चिंतन)दिल्ली  विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता/मेंटर

फिर चीन ने 1962 के बाद सबसे बड़ा विश्वासघात किया क्योंकि पिछले दिनों चीन ने इस इलाके से हटने का वादा किया था लेकिन चीन ने फिर वादा अपना तोड़ दिया है

हमारे भारत के 20 सैनिक शहीद तो हुए हैं, उतना ही करीब चीन का भी नुकसान हुआ है

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 17 जून,2020 ) । फिर चीन ने 1962 के बाद सबसे बड़ा विश्वासघात किया क्योंकि पिछले दिनों चीन ने इस इलाके से हटने का वादा किया था लेकिन चीन ने फिर वादा अपना तोड़ दिया है l जो गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुआ है उसमें हमारे भारत के 20 सैनिक शहीद तो हुए हैं, उतना ही करीब चीन का भी नुकसान हुआ है l दोस्तों आज वैश्विक महामारी कोरोना के आतंक से सभी देश परेशान है जो कि चीन के बुहान शहर से ही यह पूरे विश्व में फैला लेकिन अब सीमा विवाद को लेकर अपनी हरकतें चीन करना शुरू कर दिया है
दोस्तों जिस इलाके में चीन निर्माण ने यह निर्माण किया था उस इलाके तक चीन की सेना सड़क के रास्ते आसानी से पहुंच सकती है. जबकि भारत के सैनिको को गलवान नदी पार करके वहां तक पहुंचना होता है, यह इलाका वैसे भी ऐसा है कि ऊंचाई से फिसलने का और नीचे गिरने का डर हमेशा रहता है l जैसा कि रिपोर्ट आया है कि पिछले दिनों भारत के 3 सैनिकों की जान गलवान नदी में गिरने से ही हो गई थी l दोस्तों हमारी सेना और सरकार के साथ साथ हम भारत के लोग अब चुप नहीं बैठने वाले हैं l क्योंकि यह हम भारत के 135 करोड़ लोगों के सम्मान और राष्ट्रभक्ति का सवाल है इसलिए हम सब चीन को मुंह तोड़ जवाब देंगे l 
सोच कर देखो भारत और चीन के झड़प में कितने चीनी सैनिक मारे गए हैं इसका आंकड़ा भी अभी तक चीन ने नहीं दिया है वैसे भी जो चीन कोरोना वायरस से मारे गए लोगों का कभी भी सही आंकड़ा नहीं दे पाया वह सैनिकों की मौत पर सही आंकड़ा कैसे देगा l
दोस्तों जो भी हो हम देखते हैं कि चीन अपने नुकसान की बात को स्वीकार नहीं करना चाहता है सोचता है कि दुनिया के सामने खुद को कमजोर कैसे साबित करें लेकिन याद रखना दोस्तों चीन को यह बात अब समझ में आ गया है कि 2020 का भारत 1962 वाला भारत अब नहीं है l 
 दोस्तों हम देख रहे हैं कि भारत और चीन के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच गए हैं और चीन अपनी हरकतों से बाज  नहीं आ रहा है l इसलिए अब हमें इस घटना पर पूरी तरीके से जांच करने की जरूरत है l  क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि चीन पूरी करवाई पूरी तैयारी के साथ की है. अब हम भारतीयों को भी जांच करके चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की जरूरत है जैसा कि हमारे बहादुर सैनिकों ने करके दिखाया l और अब भारत को भी आक्रमक रुख अपनाकर एलएसी के पास चीन के किसी इलाके पर अतिक्रमण कर लेना चाहिए जिससे चीन समझौते के टेबल पर आने के लिए मजबूर हो जाए l एक बात और भारत चीन के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन तैयार करें अब क्योंकि आज चीन के खिलाफ कोरोना वायरस के कारण दुनिया के सभी देश नाराज हैं ,पूरी दुनिया में देखा जाए तो दुनिया के गिने-चुने देश चीन के साथ खड़ा है और ऐसे में अगर भारत चीन के दोस्तों की संख्या कम कर दे तो चीन के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा और चीन अलग-थलग हों जाने पर इतना शक्तिशाली नहीं होगा कि भारत से आंखें मिला सकें l इन सब में भी सबसे महत्वपूर्ण बात है मेरी नजरों से की जो कि सबसे मुश्किल काम मुझे लग रहा है वह है भारत की सभी राजनैतिक पार्टियां इस मुद्दे पर एकजुट हो ताकि किसी भी दूसरे देश को भारत की अंखडता पर सवाल उठाने का मौका ही ना मिले लेकिन हम देखते हैं कि भारत की राजनैतिक पार्टियां ऐसे मुद्दे पर एकता दिखाने का प्रयास ही नहीं करती जो कि बहुत ही चिंता का विषय है l वहीं पिछले दिनों जैसा कि हमने देखा आरक्षण के मुद्दे पर सभी पार्टियां एक हो गई l लेकिन जब भारत में सीमा विवाद की बात हो चाहे वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की बात हो या अन्य कोई मुद्दा हो वहां पर राजनैतिक पार्टियां एकता कभी नहीं दिखाती है जो की बहुत ही दुख की बात है अखंड भारत में l
गौर से देखें तो आज पूरी दुनिया भारत की जवाबी कार्रवाई का इंतजार ही कर रही है, अगर भारत चाहे तो सर्जिकल स्ट्राइक करके अपने सम्मान को बनाए रख सकता है. ठीक उसी प्रकार से जैसे हमने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में एयर स्ट्राइक करके पाकिस्तान को जवाब दिया था l
मेरे बात से आपको हैरानी होगी कि जिस गलवान घाटी में चीन अपना अधिकार जता रहा है, उस गलवान घाटी का नाम लद्दाख के गुलाम रसूल गलवान के नाम पर पड़ा है। इतिहास उठाकर देखें तो वर्ष 1880 से 1913 के बीच गुलाम रसूल गलवान ने ब्रिटिश भू वैज्ञानिकों को लद्दाख और अक्साई चीन के कई इलाकों के बारे में जानकारी दिए थे l जिसके बाद गलवान नदी और गलवान घाटी का नाम उनके ही नाम पर रखा गया अब आप सोचिए जिस भारतीय व्यक्ति के नाम पर यह घाटी है, उस पर अब चीन अपना कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है यह कहां का औचित्य है हमें अब चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की जरूरत है l 
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतर्राष्ट्रीय चिंतन)
दिल्ली  विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता/मेंटर लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबको लिए आवाज उठाते रहते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित। समस्तीपुर कार्यालय से राजेेेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

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