प्रकृति का कहर मजबूरी है
प्रकृति का कहर मजबूरी है
यहाँ पर सब कुछ बदल गया,
हर जगह इंसान बदल गया !
प्रमोद कुमार सिन्हा
बेगूसराय, बिहार
यहाँ पर सब कुछ बदल गया,
हर जगह इंसान बदल गया !
समस्तीपुर कार्यालय
बेगूसराय/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 02 जून,2020 )।
यहाँ पर सब कुछ बदल गया,
हर जगह इंसान बदल गया !
नियत ही नहीं ईमान बदल गया ,
उबाऊ खर्चीली न्याय बदल गया
हाक़िम का फरमान बदल गया !!
झूठ बोलने का अरमान बदल गया ,
सारा जमाना अस्त -व्यस्त हो गया !!!
पर हमारे नेता जरा भी नहीं बदले ,
कपड़ा वही है, कुर्सी नहीं बदली !
गिरगिट का उनका ढंग नहीं बदला,
झूठ का उनका तरंग नहीं बदला,
प्रजा लुभाने का षड़यंत्र नहीं बदला,
वोट लेने का प्रसंग नहीं बदला, !!
पर कुर्सी पकड़ते ही उनका रंग बदल गया,
रहन सहन परिवार पोशाक बदल गया,
महल पर महल गाड़ी भी बदल गया ।।
लेकिन फटेहाल जनता नहीं बदली,
गरीब और गरीब होता गया,
पैरों से चप्पल खिसक गये,।
तन पर वस्त्र चीथड़े में बदल गये,
घर झोपड़ी में बदल गये, ।।
अमीरों और गरीबों के शिक्षा बदल गये,
दोनों के स्वास्थ्य चिकित्सा बदल गये, ।।।
थोड़े पैसे से ईमान खरीद लिए ,
दारू और पैसे से वोट खरीद लिये, ।
मुफ्त में सरकारी जमीन खरीद लिये ,
बैंक के बैंक खरीद लिये ,
जनता के पैसे हड़प लिये ।।
सरकारी मशीनरी के जागीर बन गये,
कर के रूप में जनता के खून चूस लिये
देश को गिरबी रख दिऐ,
नकली को असली में बदल दीये ।।
सब कुछ तो बदल ही गया, ;
हवा नहीं बदला,
पानी नहीं बदला,
आसमान नहीं बदला,
मौसम नहीं बदला ॥
लेकिन ये सब थोड़ा भी बदल गये,
तो दुनियां ही बदल जाएगी,
इसलिए कुछ बदलाउंं भी ज़रूरी है,
प्रकृति का कहर मजबूरी है ।।।
समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रमोद कुमार सिन्हा की स्वरचित काव्य प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma
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