"हथिनी के साथ पढ़े-लिखे जानवर ने अत्याचार क्यों किया... ? : विक्रम क्रांतिकारी

"हथिनी के साथ पढ़े-लिखे जानवर ने अत्याचार क्यों किया... ? : विक्रम क्रांतिकारी  
                           
                                                 कवि विक्रम क्रांतिकारी          
                                 दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता /मेंटर
    
पिछले सप्ताह केरल में कुछ इंसानों ने एक भूखी और गर्भवती हथिनी को जलते हुए पटाखों से भरा अनानास खिला दिया और उस हथिनी की तड़प -तड़प कर मृत्यु हो गई.
     
दुख की बात है कि केरल भारत के सबसे अधिक साक्षर राज्यों में आता है l  जहां 90% लोग पढ़ना -लिखना जानते हैं ,लेकिन इन पढ़े लिखो ने यह प्रमाण दे दिया कि पढ़े -लिखे इंसान भी किस हद तक गिर सकते हैं  l  
  
 हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि एक गर्भवती महिला या कोई भी जीव को चोट पहुंचाना सबसे बड़ा पाप है,     

क्योंकि ऐसा करक ना सिर्फ एक मां को चोट पहुंचाते हैं बल्कि उसके अजन्मे बच्चे को भी क्षति पहुंचाते हैं l 

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट      

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 04 जून 2020 ) । पिछले सप्ताह केरल में कुछ इंसानों ने एक भूखी और गर्भवती हथिनी को जलते हुए पटाखों से भरा अनानास खिला दिया और उस हथिनी की तड़प -तड़प कर मृत्यु हो गई. दोस्तो बहुत ही दुख की बात है कि केरल भारत के सबसे अधिक साक्षर राज्यों में आता है l जहां 90% लोग पढ़ना -लिखना जानते हैं ,लेकिन इन पढ़े लिखो ने यह प्रमाण दे दिया कि पढ़े -लिखे इंसान भी किस हद तक गिर सकते हैं  l  यहां हाथी को अलग -अलग पर्व त्योहारों में पूजा जाता है l ऐसा नहीं है कि यहां ही पूजा जाता है सभी जगह पूजे जाते हैं हाथी लेकिन केरल में सबसे अधिक जानवरों के साथ अत्याचार होता है l हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि एक गर्भवती महिला या कोई भी जीव को चोट पहुंचाना सबसे बड़ा पाप है, क्योंकि ऐसा करक ना सिर्फ एक मां को चोट पहुंचाते हैं बल्कि उसके अजन्मे बच्चे को भी क्षति पहुंचाते हैं l दोस्तों दुख के साथ लिख रहा हूं कि ताकि जागरूकता आ सके हमारे में इंसानियत आ सके जैसा पिछले सप्ताह केरल में लोगों ने पाप किया और यह साबित भी कर दिया कि इंसान, इंसान की योनि में पैदा होकर भी जानवरों जैसा बर्ताव आए दिन करता रहता बल्कि हम कह सकते हैं कि जानवरों में इनसे ज्यादा इंसानियत है l जिस हथिनी को चोट पहुंचाया गया था वह पूरे 10 दिनों तक भटकती रही लेकिन और  उसके मुंह बुरी तरीके से जल गई थी फिर भी  हथिनी किसी को भी चोट नहीं पहुंचाई अंतिम में नदी में जाकर दो-तीन दिनों तक पानी पीकर किसी तरह जीने का प्रयास किया लेकिन अंतिम में अपनी प्राण त्याग दी , तो आप सोच सकते हैं इंसान और जानवर में कितना भेदभाव है l दोस्तों अगर किसी देश की महानता का अंदाजा लगाना हो तो यह देखिए कि वहां के लोग जानवरों के साथ कैसा बर्ताव करते हैं..? इसी प्रकार अगर किसी व्यक्ति को आंकना हो तो यह देखो आप की वह अपने से कमजोर लोगों के प्रति कैसा व्यवहार कर रहा है l दोस्तों दुख के साथ लिख रहा हूं कि आज इंसान इन दोनों पैमानों पर मेरे नजरों से फेल होता हुआ नजर आ रहा है, सभी ऐसे नहीं हैं लेकिन अधिकतर अपने स्वार्थ के लिए अपने से कमजोर और बेजुबानो के साथ ऐसी घटिया बर्ताव करते हैं l दोस्तों ऐसे इंसानों को मैं राक्षस बोलता हूं l क्योंकि जानवर कभी भी किसी इंसान को चोट नहीं पहुंचाता जब तक उसके साथ छेड़खानी ना किया जाए इस हथिनी के साथ छेड़खानी करने के बाद भी मानवता और जानवर के बीच के इंसानियत को सामने रख दी है l दोस्त यह विडंबना है कि जब कोई इंसान अमानवीय व्यवहार करता है तो हम उसे जानवर कहते हैं लेकिन सच यह है कि जानवर क्रूरता नहीं करते वह सिर्फ तभी उग्र होते हैं जब उनके अस्तित्व पर खतरा होता है इसीलिए मैं जानवर को इंसान से ज्यादा इज्जत देता हूं वही जानवरों के साथ ऐसा व्यवहार करने वालों को राक्षस कहता हूं l दोस्तों ध्यान से सोचो यह गर्भवती हथिनी का जीभ और जबड़ा बुरी तरह जख्मी हो गया उसके दांत टूट गए l सोच कर देखो दर्द और भूख से तड़पती हथिनी पूरे गांव में भटकती रही, लेकिन किसी ने इसकी मदद नहीं की. सोच के देखो दर्द से बेहाल होने के बावजूद इस मादा हाथी ने किसी को चोट नहीं पहुंचाई और शांत बनी रही सोच कर देखो इसमें कितना इंसानियत थी l आखिर इंसान इतना गिरता क्यों जा रहा है? दोस्तों हथिनी घायल होने के बावजूद भी भलाई से भरी हुई थी इसीलिए किसी इंसान को चोट नहीं पहुंचाई वहीं आज इंसान कितना गिरता जा रहा है l सोच कर देखो हम सब भी मां के गर्भ से ही पैदा होते हैं उसी प्रकार इस हथिनी को बच्चे को जन्म देने के लिए करीब 22 महीने की गर्भावस्था से गुजरना पड़ता है l अगर इंसानों ने यह अमानवीय  हरकत ना की होती तो कुछ महीने बाद यह बच्चा इस दुनिया में आता जैसे हम सब इस दुनिया में आए हैं l पिछले वर्ष थाईलैंड में एक मादा हाथी ने एक इंसान की जान बचाई थी लेकिन आज इंसानों ने इस बेजुबान हथनी का जान ले लिया l दोस्तों अफसोस यह है कि भारत में कानून भी जानवरों कि ज्यादा मदद नहीं करते हालांकि जानवर को नुकसान पहुंचाना  या  उसे मारना  ,मारना  अपराध की श्रेणी में आता है, लेकिन बहुत कम लोगों को सजा मिलती है, दोस्तों वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत जानवरों को मारने पर 3 वर्ष की सजा और ₹25000 तक का जुर्माना हो सकता है ,और दोबारा ऐसा करने पर 7 साल की सजा हो सकती है लेकिन लचर कानून व्यवस्था के कारण कम लोगों को ही सजा मिल पाती है l जैसा कि हम जानते हैं भारतीय संविधान के आर्टिकल 51ए(जी) में कहा गया है कि जानवरों के प्रति दया दिखाना भारत के लोगों का मूल कर्तव्य है l  लेकिन मैं देखता हूं आप भी सोचिए इस मूल कर्तव्य को भारत में कितने लोग निभाते हैं l दोस्तों आंकड़ों के अनुसार करीब एक दशक पहले भारत में हाथियों की संख्या 10 लाख से ज्यादा हुआ करते थी , लेकिन आज इनकी संख्या घटते -घटते आज  27 हजार  से कम हो गई है l और दोस्तों हाथियों की मौत के मामले में केरल भारत का सबसे बदनाम राज्य जहां 3 दिन में 1हाथी  मारा जाता है l जहां धर्म और राजनीति में इस को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है जो कि बहुत ही दुख का बात है l दोस्तों केरल में हुई इस घटना से मैं बहुत दुखी हूं l  और आप भी कह  सकते हैं कि जानवर कम जंगली हैं, बल्कि इंसान कम इंसान है. मतलब मेरा कहने का प्राकृतिक रूप से हिंसक और जंगली होने के बावजूद जानवर  सिर्फ अपनी रक्षा में आक्रमक होते हैं जबकि इंसान क्रूरता  की सारी हदें पार करके इंसानियत के स्तर से नीचे गिर रहा है l दोस्तों हथिनी 3 दिन तक पानी में खड़ी रही और किसी को अपने पास नहीं आने दिया मुझे लगता है की शायद वह पूछ रही थी कि हमें जानवर कहने वालों क्या तुम सच में इंसान हो..?  कवि विक्रम क्रांतिकारी(विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता /मेंटर  लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित ।  Published by Rajesh kumar verma

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