विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर विशेष... "आज आजादी के इतने वर्षों बाद भी सभी के लिए खाद्य सुरक्षा क्यों नहीं हो पाया..? : कवि विक्रम क्रांतिकारी

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर विशेष...

"आज आजादी के इतने वर्षों बाद भी सभी के लिए खाद्य सुरक्षा क्यों नहीं हो पाया..? : कवि विक्रम क्रांतिकारी 

कोविड -19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से आज विश्व के सभी व्यक्ति लगभग लड़ रहा है l

                                        कवि विक्रम क्रांतिकारी

7 जून 2020 यानी इस वर्ष विश्व खाद्य  सुरक्षा दिवस के दिन सभी अन्नदाता के प्रति कृतज्ञ होना है 

समस्तीपुर कार्यालय 

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 06 जून,2020 ) । इंसान बहुत मेहनत करता हैं रोटी ,कपड़ा और घर के लिए जो कि मनुष्य की मूलभूत जरूरतें हैं l जैसा कि हम जानते हैं कि पिछले वर्ष खाद्य  सुरक्षा दिवस का थीम 'खाद्य सुरक्षा सभी का व्यवसाय' था l जैसा कि हम जानते हैं कि कोविड -19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से आज विश्व के सभी व्यक्ति लगभग लड़ रहा है l इस वर्ष का हमारा उद्देश्य जो हमें कोविड -19 जैसी महामारी के वक्त भी हमारे तक भोजन पहुंचा रहे हैं उन योद्धाओं को सम्मानित करना होना चाहिए l जैसा कि हम जानते हैं संयुक्त राष्ट्र ने दो एजेंसियो जिसमें पहला है , खाद्य और कृषि संगठन और दूसरा विश्व स्वास्थ संगठन को पूरी दुनिया में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने का जिम्मेवारी सौंपी है l दोस्तों हमें 7 जून 2020 यानी इस वर्ष विश्व खाद्य  सुरक्षा दिवस के दिन सभी अन्नदाता के प्रति कृतज्ञ होना है l  जब भी हम खाना खाएं एक बार उस किसान और किसान के बच्चे के बारे में जरूर सोचे l   जैसा कि आप भी जानते हो इस वैश्विक महामारी में जब सभी लोग घरों में दुबके हैं l तब भी हमारा किसान खेतों में डटकर अनाज पैदा कर रहा है l

हमारे वास्तविक योद्धा अन्नदाता ही है लेकिन कृषि मंत्री जी दंभ तो भरते हैं कि किसी को इस वैश्विक महामारी में घबराने की जरूरत नहीं है अनाज पर्याप्त मात्रा में देश के पास है l लेकिन जिस अन्नदाता ने दिन-रात करके मेहनत किया उसके लिए एक शब्द नहीं बोलते आखिर क्यों? दोस्तों 7 जून को विश्व खाद्य दिवस मनाने का मकसद यही होता है ,कि दुनिया के  कोई भी व्यक्ति भूखे ना रहे लेकिन मैं देखता हूं जहां राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री और सभी सांसद महोदय रहते हैं देश के  राजधानी दिल्ली वहां पर भी जैसे ही हम मेट्रो से उतरते हैं, छोटे-छोटे बच्चे लगते हैं बोलने की भैया मुझे खाना खिला दो जबकि संविधान में सभी को रोटी ,कपड़ा ,मकान अनिवार्य रूप से देने की बात कही गई है लेकिन आज आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी हालात वही हैं जहां कुछ लोग ओवरन्यूट्रिशन से परेशान हैं तो वहीं कुछ लोग मालनूट्रिशन से परेशान हैं ,किसी को इतना खाने को है की उसको विभिन्न प्रकार की बीमारियां हैं ,वही किसी को खाने के लिए नहीं है कुपोषित होकर मर रहा है आखिर क्यों? आखिर खाद्य सुरक्षा कैसे हासिल किया जाए? सरकार का यह नैतिक जिम्मेदारी होती है कि सभी के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करना l लेकिन आज जिस प्रकार से मिलावट हर वस्तुओं में देखी जा रही है l आज व्यापार करने वाले लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो खाद्य पदार्थ का व्यापार कर रहे हैं वह सुरक्षित है इनका  नैतिक कर्तव्य भी है l दोस्तों खाद्य सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी हैं साथ ही सुरक्षित, पौष्टिक और पर्याप्त भोजन'अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है भूख जैसी समस्या को समाप्त कर देता है l इससे देश के स्वास्थ्य सुधरता है और साथ ही देश का बजट भी सुधरता है l दोस्तों पिछले वर्ष डब्ल्यूएचओ का रिपोर्ट आया था जिसमें कहा गया था कि 1 वर्ष में 4700 लोग दूषित खाना खाने से मर जाते हैं l वही एक रिपोर्ट के मुताबिक उल्टे -सीधे तरीके से खाना -खाने वाले खाद्य पदार्थों की वजह से पूरे देश में हर मिनट  मे 44 लोग बीमार पड़ते हैं और प्रतिदिन 44 लोग दूषित भोजन करने से मर जाते हैं आंकड़े चिंताजनक है लेकिन सच्चाई है l आज दोस्तों दुनिया भर के हर देश में छोटे से लेकर बड़े ,अमीर से लेकर गरीब खाद्य जनित बीमारियों से पीड़ित हैं l इसीलिए हम 7 जून को विश्व खाद्य दिवस मनाते हैं ताकि लोगों में जागरूकता लाया जा सके  और लोग उल्टे सीधे ना खाएं और कोई भी भूखा ना रहे जैसा कि हम जानते हैं हमारे खाद्य मंत्री भी पिछले दिनों दंभ भर रहे थे कि देश में खाद्य भंडारण की कमी नहीं है लेकिन जो अन्नदाता खेतों में डटकर दिन रात काम किया और कर रहा है उसके लिए एक शब्द नहीं बोलते जबकि असली योद्धा हमारा किसान ही है , जो सभी का पेट भरता है l दोस्तों विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस एक अभूतपूर्व अवसर है जो सरकार से उन प्रणालियों को मजबूत करने का आवाहन करता है जो सुरक्षित भोजन की गारंटी दे l  हमें सड़क किनारे या होटल में खाना खाने से बचने की जरूरत है नहीं तो असुरक्षित भोजन हमें बीमार कर सकता है ,और यह बीमारी कभी-कभी गंभीर रूप ले लेती है और इससे मृत्यु भी हो जाती है l विभिन्न प्रकार के बैक्ट्रिया, वायरस, परजीवी और रासायनिक खतरे न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए भी खतरा है l याद रखना भोजन का सीधा संबंध हमारी सेहत से होती है l मतलब जितना पौष्टिक भोजन होगा हमारी सेहत भी उतनी ही दुरुस्त होगी l आज जिस प्रकार से परंपरागत भारतीय खानपान के स्थान पर आधुनिक और पाश्चात्य शैली पर आधारित रेडी टू ईट, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ और साथ ही फास्ट फूड के चलन से हमारा पाचन तंत्र बुरी तरह से प्रभावित हो रही है यह चिंता का विषय है l देश में स्वास्थ्य संबंधित बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए हमें जागरूकता व्यापक रूप से लाने की जरूरत है l और एक आपसे मेरा अनुरोध है कि अपने डाइनिंग टेबल पर नमक का डिब्बा रखना हमेशा के लिए बंद कर दें ,और प्रयास करें कि घर का बना हुआ ही खाना खाएं और स्वस्थ रहकर देश को स्वस्थ करने में अपना योगदान दें l क्योंकि दोस्तों जब हम स्वस्थ होंगे तभी हमारा देश भी स्वस्थ होगा और जो भी वंचित तबका आपको दिखे अगर वह भूखा है तो अपने सामर्थ्य अनुसार उसका जरूर मदद करें l क्योंकि रोटी ,कपड़ा और मकान यह सभी का मूलभूत आवश्यकताएं हैं और यह जन्म लेते ही सभी का अधिकार भी होता है और यह हमारा नैतिक जवाबदेही भी है कि अगर कोई व्यक्ति मेरे आंखों के सामने भूखा दिखे तो उसको भरपेट भोजन कराना l याद रखना दोस्तों 1 दिन हम सब इसी मिट्टी में मिल जाएंगे सब मिट्टी मिट्टी हो जाएगा कोई यहां से बचके नहीं जा पाएगा l आगे पीछे सबको  इसी मिट्टी में मिलना हैं ,इसलिए जितना वंचित लोगों के लिए जरूरतमंदों के लिए आप कर सकते हैं जरूर करने का प्रयास करें l 
"दुनियाँ में एक-तिहाई भोजन का होता है नुक्सान, अन्न के अपव्यय की चिंता से क्यों है सब अनजान.. ?"
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया -अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता /मेंटर लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं-स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख l समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा 
प्रकाशित । 

Published by Rajesh kumar verma 

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