"हिंदी -चीनी भाई- भाई नहीं अब वक्त आ गया है बाय-बाय कहने का" :कवि विक्रम क्रांतिकारी

"हिंदी -चीनी  भाई- भाई नहीं अब वक्त आ गया है बाय-बाय कहने का" :कवि विक्रम क्रांतिकारी 

हमारे देश में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का शुरुआत हो चुका है

                                         कवि विक्रम क्रांतिकारी

आए दिन नापाक हरकतें पड़ोसी चीन कर रहा है और नेपाल पाकिस्तान को भी भड़का रहा है ,ऐसे भाई का मुझे जरूरत नहीं है अब इसलिए हम सब चीन को बाय-बाय करते हैं आज से दोस्तों : कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया -अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता /मेंटर

भारत के लिए चुनौती सिर्फ चीन ही नहीं है बल्कि भारत के अंदर बैठे वे लोग भी चुनौती की तरह है जो खुद को तो चीन मामलों का विशेषज्ञ बताते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि यह लोग नीम हकीम विशेषज्ञ हैं जिन की सारी जानकारी आधी - अधूरी लगती है । ऐसा मैंने इसलिए बोला कि मै देखता हूंं  बहुत से लोग ऐसे भी है जो सेना में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

समस्तीपुर कार्यालय 

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 19 जून,2020 ) । हमारे देश में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का शुरुआत हो चुका है । आए दिन नापाक हरकतें पड़ोसी चीन कर रहा है और नेपाल पाकिस्तान को भी भड़का रहा है, ऐसे भाई का मुझे जरूरत नहीं है अब इसलिए हम सब चीन को बाय-बाय करते हैं आज से दोस्तों।
याद रखना दोस्तों हम कभी भी अपने देश की संप्रभुता और अखंडता से समझौता नहीं करेंगे । 
हम सबको मिलकर अब तोड़ना होगा चीन के नापाक इरादे को जिस प्रकार सोच रहा है चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ऐसी हरकतें करके चीन को इसका कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी तो उसका जवाब हमारे सेना ने दे दिया है l हम देख रहे हैं दोस्तों की अमेरिका -चीन शीत युद्ध भले ही अभी भविष्य के गर्भ में हो, लेकिन आज भारत और चीन शीत युद्ध शुरू हो चुका है l जो पिछले दिनों लद्दाख के मोर्चे पर चीन के अतिक्रमण से उपजा सैनिक गतिरोध किसी युद्ध का रूप धारण कर सकता है ।
चीन भले ही एक बड़ी ताकत हो लेकिन मेरे बात को याद रखना उसका कोई सच्चा मित्र नहीं है। आज हम देख रहे हैं कि दुनिया की तमाम देश बीजिंग पर से अपनी आर्थिक निर्भरता घटा रहे हैं ।
साथ ही हम यह भी देख रहे हैं कि विदेशी कंपनियां चीन से पलायन कर रही है और चीनी वस्तुओं का बहिष्कार आम जनता भी करना शुरू कर दिया है ।
अब जनता के साथ भारत सरकार के स्तर पर चीन को बाय-बाय करने की शुरुआत हो चुकी हैं । जैसा कि भारत सरकार ने संचार मंत्रालय के साथ-साथ प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया कि चीन के कंपनियों पर निर्भरता खत्म करें या बिल्कुल कम करें। वैसे ही अलग-अलग हिस्सों में चीनी वस्तुओं को लेकर और चीन को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुका है। 
दोस्तों मेरे अनुसार चीन के लिए भारत का बाजार हमेशा के लिए बंद हो साथ ही चीन की कंपनियों को भारत में मिले सभी कॉन्ट्रैक्ट तत्काल रद्द किया जाए और भविष्य में भी चीन की कंपनियों को कोई भी कॉन्ट्रैक्ट ना दिया जाए। क्योंकि चीन की कंपनियां इसका खूब फायदा उठा रही है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि जब सीमा पर चीन अपनी नापाक हरकतें कर रहा है तो हम क्यों चीन को अपना भाई माने और उसको कॉन्ट्रैक्ट दें ।।
ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि जब चीन दुश्मन के तौर पर खुलकर हमारे सामने आ गया है तो फिर उसके साथ किसी तरह के हमे संबंध और व्यापार बढ़ाने की क्या जरूरत है?
दोस्तों हम सच कह रहे हैं कि अब हिंदी -चीनी भाई- भाई नहीं बल्कि बाय-बाय कहने का वक्त आ गया है। अगर हम चाइनीज चीजों की जगह पर किसी भारतीय या किसी दूसरे विदेशी समान का इस्तेमाल करना शुरू कर दें, तो इससे बड़ा फर्क आ सकता है क्योंकि भारत एक बड़ा बाजार है चीन के लिए और क्यों नहीं भारत सरकार ही इस पर हमेशा के लिए बैन लगा दे हमारे देश में चीन की कोई वस्तु आ ही नहीं सके ।
 चलो मान लेते हैं कि हम इन चाइनीज वस्तुओं को अचानक अपनी जिंदगी से बाहर नहीं कर सकते तो क्या हमें ये काम धीरे-धीरे और आने वाले कुछ वर्षों में नहीं कर सकते  हैं?
क्या आज हम एक ऐसा इकोसिस्टम नहीं बना सकते हैं , जिसमें चीन के लिए कोई जगह ही ना हो.. ??
हम अपनी सेना से यह मांग करते रहते हैं कि वो चीन के सैनिकों को उनके घर में घुसकर मारे और हमारी सेना ऐसा करने में पूरी तरह सक्षम है जैसा कि अभी करके दिखाया लेकिन सवाल यह है मेरा की एक राष्ट्र के जागरूक नागरिक के तौर पर हम क्या कर सकते हैं..  ?? 
आप सभी से मेरा एक सवाल है कि क्या आप अपने घरों में अपने परिवारों के साथ बैठकर चाय पीते हुए खून -खराबे का सिर्फ लाइव टेलीकास्ट देखते रहेंगे या फिर आप भी एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में चीन के खिलाफ इस लड़ाई में एक महत्वपूर्ण रोल निभाना चाहते हैं.. ??
जिस प्रकार से पिछले दिन भारत और चीन के सैनिकों के बीच धक्का-मुक्की हुई उसमें आपने देखा होगा कि सीमा पर अपनी  1 इंच जमीन की रक्षा के लिए किस प्रकार से हमारे देश के बहादुर सेना के जवान लड़ते रहे इसी दौरान हमारे 20 जवानों ने गलवान घाटी में शहादत दे दी । याद रखना मेरे बात को दोस्तों हमारे देश के जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और देश के लिए हमें गर्व है कि हमारे देश के जवान मारते -मारते अपनी जान गवाई है। जितने हमारे सैनिक शहीद हुए हैं उतना ही नापाक हरकत करने वाला चीन के भी सैनिक मारे गए हैं ।
मुझे लगता है दोस्तों की भारत के लिए चुनौती सिर्फ चीन ही नहीं है बल्कि भारत के अंदर बैठे वे लोग भी चुनौती की तरह है जो खुद को तो चीन मामलों का विशेषज्ञ बताते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि यह लोग नीम हकीम विशेषज्ञ हैं जिन की सारी जानकारी आधी - अधूरी लगती है । ऐसा मैंने इसलिए बोला कि मै देखता हूंं  बहुत से लोग ऐसे भी है जो सेना में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। मेरा कहने का मतलब है कि जिन लोगों ने कभी रण को बीच में ही छोड़ दिया था वह लोग टीवी और सोशल मीडिया पर सेना की रणनीति पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। 
दोस्तों अब हमें रणनीति बनाकर चीन के वस्तुओं के बहिष्कार के साथ ही चीन को हमेशा के लिए बाय-बाय करने की जरूरत है। जिससे कि हम चीन के नापाक इरादे को ध्वस्त कर सकें ।
ध्यान से देखें तो दोस्तों वास्तव में भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति और हमारा सुरक्षा काफी हद तक इस बात पर निर्भर होगा कि हम चीन के साथ सैनिक गतिरोध से किस तरह से निपटते हैं ।
आज हमें बहुत जरूरत है कि देश की सभी राजनैतिक पार्टियां एकजुटता दिखाएं और साथ ही देश के हर एक नागरिक चीन को मुंह तोड़ जवाब दें और उसके वस्तुओं का बहिष्कार अपने स्तर पर जरूर करें ।।
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया -अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता /मेंटर 
लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे व वंचित के लिए आवज उठाते रहते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख । समस्तीपुर कार्यालय से राजेेेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

Comments

Popular posts from this blog

महज सोलह दिनों में छह रेल सिग्नल-कर्मचारी कार्य करते हुए हो गए रन-ओवर

पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों को ब्लड फ़ोर्स टीम के सदस्यों द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग द्वारा किया गया आयोजित