" धर्म तो एक हीं सच्चा जगत को प्यार देवें हम" : सुरेन्द्र कुमार सचिव जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र


" धर्म तो एक हीं सच्चा जगत को प्यार देवें हम" : सुरेन्द्र कुमार सचिव जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र

आज देश महासंकट में है। एक ओर कोरोना की मार, दूसरी ओर रोज़ी-रोटी का हाहाकार। ऊपर से चीन हमलावर। सरकारें पस्त हैं : सुरेन्द्र कुमार

समस्तीपुर कार्यालय 

समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 29 जून,2020 ) ।  आज देश महासंकट में है। एक ओर कोरोना की मार, दूसरी ओर रोज़ी-रोटी का हाहाकार। ऊपर से चीन हमलावर। सरकारें पस्त हैं, हाथ खड़े कर चुकी हैं। राजनीतिक पार्टियां व्यस्त हैं, संकट से लड़ने में नहीं, एक दूसरे से लड़ने में। आमजन भगवान भरोसे है। ऐसे में किसी को तो खड़ा होना होगा जनता के साथ, जनता के मुद्दों को उठाने के लिए। इसके लिए अब बेरहम, बेशर्म सरकार का और इंतज़ार नहीं करेंगे हम। एक दूसरे का हाथ पकड़कर देश को इस महासंकट से उबारने के इस महाअभियान को आगे लेकर जाएॅगे। 

राष्ट्र धर्म के लिए 'सामाजिक सरोकार सेवा' करेंगे हमलोग। गाँव-गांव, बस्ती-बस्ती जायेंगे, जनता को खबर देंगे, सरकारों की खबर लेंगे। इस महाअभियान में सामाजिक सरोकार में रूची रखने वाले सहयोगी साथी चुने हुए गाँव और बस्ती में जायेंगे। अगर कोरोना के कारण वहाॅ जाना संभव न हो तो फोन से सारा काम करेंगे। वे उस गाँव या बस्ती के लोगों को:

* समझाएंगे: महामारी से निपटने और स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी देंगे।

* सुनेंगे: दर्ज़ करेंगे कि महामारी, बेकारी, भूख की क्या स्थिति है।

* सुलझाएंगे: समस्या की सूचना प्रशासन को देंगे, हल करेंगे।

* सीखेंगे: रोज़ी-रोटी के संकट का स्थानीय समाधान खोजेंगे।

* साथी बनाएंगे: स्थानीय सहयोगी जोड़ेंगे जो आगे जिम्मेवारी संभाल सकें।

ये तो उद्देश्य हुए, मगर यह हम कहाँ करेंगे? हमें करना क्या होगा?

हम अपने इलाके में कुछ ऐसे गाँव या शहर में जरूरतमंद, वंचित लोगों की बस्ती का चयन करेंगे जहाँ हमारा कुछ संपर्क है। 

हम दो या तीन साथियों के साथ वहाॅ जायेंगे और गाँव या बस्ती में कुछ लोगों के साथ बातचीत करेंगे। 

* उन्हें कोरोना वायरस के बारे बुनियादी जानकारी देंगे, जरुरत हो तो इससे बचने के तरीके और नजदीकी स्वास्थ्य सेवा की सूचना भी देंगे। यह सब सूचना पहले से हमारे पास होगी। 

* गांव में स्वास्थ्य सेवा, राशन की सुविधा, मनरेगा या रोजगार की स्थिति और लोगों की आर्थिक हालत के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। जो सवाल पूछने हैं और उनका उत्तर कैसे दर्ज करना है उसके फॉर्म हमारे पास बना बनाया होगा। 

* इन मुद्दों पर उनकी समस्या सुलझाने में अगर कुछ मदद कर सकें (सरकारी विभाग के पास शिकायत भेजना, ऑफिसर से संपर्क करवाना) तो हम वहीं पर करेंगे। इसके लिए हम पहले से हीं तैयार होकर जायेंगे। 

* उन्हें अपना पर्चा देंगे, इस राष्ट्रीय संकट पर अपना विचार उन्हें बताएँगे। अगर वो सहमत हों तो उनसे सात सूत्रों पर उनकी सहमति लेंगे, उनका पर्चा उनके पास छोड़ेंगे।

* लोगों के पूछेंगे कि उनके अनुसार उनकी क्या-क्या मुख्य समस्याएॅ हैं, उसका क्या समाधान उनकी नज़र में है। इसका भी एक फॉर्म होगा। 

* गाँव में कुछ लोगों को अपना साथी बनाकर आएंगे, ताकि उनसे हमारा संपर्क बना रहे और आगे से वो हमें सूचना देते रहें। कोशिश करेंगे कि गांव या बस्ती में एक अभियानी साथियों का व्हाट्सप्प ग्रुप बन जाये। 

हम आने वाले दिनों में ट्रेनिंग आयोजित करेंगे। इसे हम ऑनलाइन ज़ूम या फेसबुक के जरिये कर लेंगे। इसके लिए आपको 2-3 घंटे रखने पड़ेंगे। 

कोरोना के कारण अगर हम गांव या बस्ती में ना जा सकें तो?

अगर हम मास्क और दूरी बनाये रखने की पूरी सावधानी बरतें तो ऐसा कोई खतरा नहीं है। फिर भी संभव है कि कुछ जगह हम न जा पाएं। ऐसे में वहाॅ यही सारा काम फोन के जरिये करना होगा। 

इससे क्या हासिल होगा..?

* कुछ स्थानीय समस्याओं का तत्काल समाधान होगा।

* हम स्थानीय समस्याओं को अधिकारियों और मीडिया को बताएँगे तो सरकार पर दबाव पड़ेगा।

* जब सारी सूचना को इकठ्ठा करके मीडिया के जरिये देश के सामने रखेंगे तो जमीनी समस्याओं की तरफ ध्यान जायेगा।  

* आम जनता की बेबसी का एहसास टूटेगा और राष्ट्रीय संकल्प जागेगा। देश में ऐसी मुसीबत का सामना करने की एक नयी शक्ति पैदा होगी। 

इस सबके लिए आपको तय करना है कि आप सहयोगी या समर्पित स्वयंसेवक कुछ भी बन सकते हैं। 

* सहयोगी: आप 100 दिन तक रोज 3-4 घंटे देंगे, या सप्ताह में दो पूरे दिन देंगे। 

* समर्पित स्वयंसेवक: आप 100 दिन सब कुछ छोड़ कर देश के लिए समर्पित करेंगे, रोज कम से कम 8 घंटे, सप्ताह में 6 दिन देंगे। 

अगर ट्रेनिंग या कुछ अनुभव के बाद आप अपना समय घटाना या बढ़ाना चाहते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं। कोई कानूनी बंदिश नहीं है। अगर आप समय से बता देंगे तो हमें आसानी हो जाएगी। 

मुझे इस काम के बदले कुछ मानदेय मिलेगा? इसमें होने वाला खर्चा कौन उठाएगा..?

यह सेवा का काम है। इसके बदले कोई पैसा नहीं मिलेगा। इस राष्ट्रीय संकट में बस एक हीं सवाल है कि हम देश और समाज को क्या दे सकते हैं?

हमारी अपेक्षा यही है कि इस काम के कारण आपका जो नुकसान होगा उसे भी आप खुद हीं सहन करेंगे। इस अभियान के जो कार्यालय के खर्चे होंगे वो सहयोगी संस्था व्यवस्था करेगा। लेकिन आने-जाने और जो छोटे-मोटे खर्चे होंगे वो आप खुद हीं उठाएंगे। अगर आप उसकी व्यवस्था खुद न कर सकें तो स्थानीय टीम में कोई दूसरा साथी आपका सहयोग कर सकता है। लेकिन महाअभियान के नाम पर अकारण कोई चंदा इकठ्ठा नहीं किया जायेगा।

सामाजिक सरोकार सेवा के पूरा होने पर आपको एक प्रसस्ति पत्र दिया जायेगा जो यह बताएगा कि आपने कितने दिन या कितने घंटे यह सेवा की, आपने इसमें क्या काम किया, आपने इसके लिए क्या ट्रेनिंग ली। 

क्या हम सिर्फ आलोचना हीं कर रहे हैं, या हमारे पास कोई विकल्प भी है? हम सरकार से क्या मांग कर रहे हैं?

हमने सरकार के सामने यह सात सूत्री योजना रखी है, जिसे प्रसिद्ध  समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों नें मिलकर बनाया है। 

1. हर घर का स्वास्थ्य सर्वे कर कोरोना के हर मरीज की पहचान हो, फ्री टेस्ट हो, क्वारेंटाइन से वेंटीलेटर तक पूरा फ्री इलाज हो।  

2. आने वाले एक साल तक हर राशन कार्डधारी या जरूरतमंद व्यक्ति को हर महीने राशन में फ्री 10 किलो अनाज, 2 किलो दाल, 1 किलो चीनी और 1 लीटर सरसों  तेल मिले। 3-6 और 6-18 आयुवर्ग के बच्चों के लिए स्कूल पूर्व और स्कूली शिक्षा का बंदोवस्त हो, ताकि कुपोषण, बाल विवाह, बाल श्रम, किशोरियों का यौन शोषण और विवाह के नाम पर मैरेज टुरिज्म का व्यापार बंद हो।

3. इस साल गाँव में हर परिवार को मनरेगा में सालाना 200 दिन और शहर में भी हर व्यक्ति को 200 दिन के दिहाड़ी काम की गारंटी मिले और काम के बदले 600/- रूपये प्रतिदिन के हिसाब से दैनिक मजदूरी का भुगतान हो।

4. हर जरूरतमंद परिवार को लॉक डाउन में हुए नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त 15,000 रुपये की मदद दी जाय।  

5. अनियमित छंटनी रोकी जाय, वेतन/मानधन रुकने या काम-धंधा बंद होने पर तत्काल सरकारी मदद मिले, किसान को फसल का पूरा दाम मिले। फसल नुकसान का पूरा मुआवजा मिले। सामाजिक संस्थाओं को सामाजिक सरोकार वाली विभिन्न सरकारी परियोजनाओं में, जैसे मनरेगा, जनवितरण प्रणाली की दूकान, जिला व नगर परिषद द्वारा निर्मित दूकान का आवंटन, नल, जल हरियाली अभियान, सामुदायिक लोहिया स्वच्छता अभियान आदि के क्रियान्वयन से जोड़कर सामाजिक सरोकार वाले स्वयंसेवक के लिए रोजगार सृजन का अवसर पैदा किया जाए।

6. मंदी चलने तक नीजी साहुकारों, माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों, बैंको की सूदखोरी से मुक्ति हो, आने वाले एक साल के लिए किसान, छोटे व्यापारी, MSME और हाउसिंग लोन पर ब्याज नहीं लगे, साथ हीं इस दौरान स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए 200000/- रूपये तक का ब्याजमुक्त ॠण की उपलब्धता सुनिश्चित हो और इसके लिए बैंको का चक्कर लगाने तथा बैंक मैनेजर को घुस देने की मजबुरी को समाप्त करने हेतु सिंगल विंडो सिस्टम से स्वरोजगारियों को लोन/कर्ज की पूरी प्रक्रिया का निपटारा हो।

7. पैसे की कमी से यह योजना न रुके, जरुरत पड़े तो 100 करोड़ से ज्यादा संपत्ति और बड़ी कंपनियों पर विशेष टैक्स लगाया जाय। जिस परिवार में सरकारी नौकरी और सातवाॅ वेतन का लाभ, जिनके पास 5 करोड़ से ज्यादा टर्नऑभर वाला कारोबार, व्यापार हो उनसे खेती योग्य जमीन लेकर प्रवासी मजदूरों, जरूरतमंदों, भूमिहीनों, वंचितों के बीच वितरित किया जाए और मनरेगा के अंतर्गत उस खेत का विकास कर सामुहिक खेती की शुरूआत करायी जाए। परती भूमि पर इमानदारी से वृक्षारोपण कार्य हो। प्राकृतिक/जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाए।

समाज हित में सामाजिक सरोकार और गैर-बराबरी दूर करने वाले कार्य सुनिश्चित करने का संकल्प लें। हम तो समतामूलक समाजवादी समाज निर्माण की नीति को युगधर्म मानते हैं। लेकिन आपको इस अभियान में जुड़ने के लिए बिना किसी भेदभाव के आगे आना होगा। हमारे लिए समाज नीति का मतलब सिर्फ गैर बराबरी दूर करने की बात करना हीं नहीं अपितु अपने अंदर उसे तत्परता से लागू करना भी है और सकारात्मक तरीके से बदलाव लाना है। हम विरोध से पहले विकल्प सोचते हैं। इस सामाजिक सरोकार सेवा में हम किसी भी संगठन और व्यक्ति के साथ काम करने को तैयार हैं। जिसमें जाति भेद, फासिज्म, धार्मिक अंद्धश्रद्धा न हो। जो समता और लोकतंत्र में विश्वास रखता हो। हमारी उम्मीद जरूर होगी कि हमारे साथ काम करने के बाद आप गैर बराबरी समाप्त करने वाले, भारतीय संविधान और लोकतंत्र में विश्वास करने वाले, समतामूलक समाजवादी समाज के लिए आवाज उठाने वाले सामाजिक सरोकार से जुड़े रहना चाहेंगे।

आईए हम सब मिलकर गांधी, विनोबा, जयप्रकाश, चंद्रशेखर, सुभाष, भगत सिंह, सानेगुरूजी, बाबा साहब, एस. एम. जोशी, जननायक कर्पूरी के सपनों को साकार करें। उपरोक्त ब्यान स्वंयसेवी संगठन जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र के सचिव सुरेन्द्र कुमार ने वाट्सएप माध्यम से संप्रेषित करते हुऐ कहां । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

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