"कोरोना काल में विश्व योग दिवस": कवि विक्रम क्रांतिकारी

"कोरोना काल में विश्व योग दिवस": 

कवि विक्रम क्रांतिकारी 

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2020 का थीम है घर में रहते हुए परिवार के साथ योगा करना । दोस्तों प्रत्येक वर्ष योग दिवस का एक थीम होता है

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पहली बार वर्ष 2015 मे शुरुआत हुई । तभी से  हर वर्ष मनाया जाता है

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण इस वर्ष हमें ऐसी थीम दी गई है,कि हम घर में रहते हुए अपने परिवार के साथ योगा करें जिससे हम अपने स्वास्थ्य और सेहत का ध्यान रख सके और साथ ही परिवार को भी समय दे सकें : कवि विक्रम क्रांतिकारी 
(विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक)
दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता /मेंटर

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 20 जून,2020 ) । जैसा कि हम जानते हैं की अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2020 का थीम है घर में रहते हुए परिवार के साथ योगा करना । दोस्तों प्रत्येक वर्ष योग दिवस का एक थीम होता है ।अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पहली बार वर्ष 2015 मे शुरुआत हुई । तभी से  हर वर्ष मनाया जाता है, जिसका अलग- अलग थीम होता है। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण इस वर्ष हमें ऐसी थीम दी गई है,कि हम घर में रहते हुए अपने परिवार के साथ योगा करें जिससे हम अपने स्वास्थ्य और सेहत का ध्यान रख सके और साथ ही परिवार को भी समय दे सकें। जैसा कि आप जानते हैं कि पहली बार जब पूरा विश्व योग दिवस मनाया तो उसका थीम था सद्भाव और शांति के लिए योग और इस वर्ष का थीम  है घर पर योग, परिवार के साथ योग क्योंकि इस बार हम सार्वजनिक रूप से योगा दिवस नहीं बना सकते है, वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण ।
 आपको बता दें कि पिछले 10 वर्षों से ऐसा कोई दिन नहीं रहा होगा जिस दिन मैं योगा नहीं करता हूं वह भी‌  ब्रह्म मुहूर्त ‌में ही करता हूं ,सुबह के 3:00 के 4:00 बजे मेरा योगा करने का समय होता है जिसके कारण मैं हमेशा स्वस्थ रहता हूं और ऊर्जावान रखता हूं आप भी आज से शुरुआत जरूर करें ।
जैसा कि जानते हैं कि योग को प्राचीन भारतीय कला का एक प्रतीक माना जाता है, दोस्त भारतीय योग को जीवन में रचनात्मक और ऊर्जावान बनाए रखने के लिए हम महत्वपूर्ण मानते हैं जैसा कि हम आपको बोले पिछले 10 वर्षों से मैं योग कर रहा हूं और हमेशा ऊर्जावान और स्वस्थ रहता हूं । हम 21जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाते हैं , जो कि  21 जून साल का सबसे बड़ा दिन होता हैं ।
जैसा कि हम देख रहे हैं कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण केंद्र और राज्य सरकारों ने सभी प्रकार के सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबंदी लगा दी है । इसलिए हम लोग सार्वजनिक योगा नहीं करेगे बल्कि अपने परिवार के साथ घर पर ही योगा  करेंगे ।
"योग हर उस व्यक्ति के लिए संभव है जो वास्तव में इसे चाहता है। योग सार्वभौमिक है ….लेकिन योग को सांसारिक लाभ हेतु एक व्यवसायिक दृष्टिकोण से ना अपनाएं""
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता /मेंटर 
लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित  ।

समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

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