"अखंड भारत मे यह कैसा फरमान पता पूछकर इलाज होगा दिल्ली अस्पताल में " : कवि विक्रम क्रांतिकारी

"अखंड भारत मे यह कैसा फरमान पता पूछकर इलाज होगा दिल्ली अस्पताल में " : कवि विक्रम क्रांतिकारी 

कोरोना वायरस अपने चरम स्तर पर है

                       कवि विक्रम क्रांतिकारी 

आज जहां केंद्र और राज्य सरकारों को आपस में समन्वय के साथ तालमेल बैठाकर इस वैश्विक महामारी से लड़ने की जरूरत है ,तो वही इस प्रकार के फरमान जारी करना कि केवल दिल्ली वालों का ही दिल्ली के अस्पतालों में इलाज किया जाएगा यह शर्मनाक फरमान

सवाल है जो दिल्ली को बनाने में यहां का राजस्व बढ़ाने में अपना कई पीढ़ी लगा दिए l लेकिन आज तक इनके पास दिल्ली निवासी होने का कोई प्रमाण पत्र नहीं है ,तो क्या दिल्ली की अस्पतालों में इनका इलाज नहीं होगा..?

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट 

नईदिल्ली, भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 08 जून, 2020 )। दोस्तों सरकार ने यह फैसला लेकर बता दिया है ,कि जिनके लिए इस शहर के भूगोल में जगह नहीं है, उनके लिए स्थानीय सरकार के दिल में भी जगह नहीं है l जैसा कि हम जानते हैं की दोस्त आज कोरोना वायरस अपने चरम स्तर पर है , आज जहां केंद्र और राज्य सरकारों को आपस में समन्वय के साथ तालमेल बैठाकर इस वैश्विक महामारी से लड़ने की जरूरत है ,तो वही इस प्रकार के फरमान जारी करना कि केवल दिल्ली वालों का ही दिल्ली के अस्पतालों में इलाज किया जाएगा यह शर्मनाक फरमान है l आज अपने देश में भी इस समय आपदा कानून लागू है l जैसा कि हम जानते हैं की यह कानून दिल्ली सहित राज्य सरकारों को संकट से निपटने के लिए अपने हिसाब से इस तरह के फैसले लेने के लिए ताकत तो देता है l लेकिन मेरा सवाल है जो दिल्ली को बनाने में यहां का राजस्व बढ़ाने में अपना कई पीढ़ी लगा दिए l लेकिन आज तक इनके पास दिल्ली निवासी होने का कोई प्रमाण पत्र नहीं है ,तो क्या दिल्ली की अस्पतालों में इनका इलाज नहीं होगा? दोस्तों पिछले दिनों जब दिल्ली में कोबिड़ 19 के संक्रमण तेजी से बढ़ने लगे, तो हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने दिल्ली से लगी अपनी सीमाओं को सील कर दिया l यह सच है कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है और मुंबई के बाद संक्रमण का सबसे घना क्षेत्र बन गया है, लेकिन सिर्फ इसी से पूरी दिल्ली के साथ संक्रमण क्षेत्र जैसा व्यवहार करते हुए सीमाओं को सील करने की क्या जरूरत थी? दोस्तों दिल्ली एक तरह से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की उस अवधारणा को भी नकारना है, जिसका लाभ प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इन दोनों राज्यों को मिलता है, लेकिन अब इलाज के लिए भी दिल्ली के दरवाजे बंद किया जा रहा है l दिल्ली से सटे गाजियाबाद, नोएडा गुड़गांव, फरीदाबाद और सोनीपत  में कौन लोग रहते हैं? यह अधिकतर वे लोग हैं जो दिल्ली में काम करते हैं या उनका रोजगार है किसी ना किसी तरह से दिल्ली से जुड़ चुके हैं l प्रतिदिन दिल्ली पहुंचते हैं, दिन भर काम करते हैं और शाम को थके हारे मेट्रो ,बस से धक्के खाते हुए घर वापस आते हैं और दिल्ली के जीडीपी में अपना योगदान देते हैं l क्यों इनके साथ नाइंसाफी किया जा रहा है..?
अगर ध्यान से देखें तो पिछले तीन -चार दशक से दिल्ली के भूगोल मे यह गुंजाइश लगातार खत्म होती जा रही है कि वह अपने ऐसे सभी कामगारों ,पेशेवरों ,कारोबारियों और प्रवासी मजदूर को छत मुहैया करा सके l दिल्ली को इनका जरूरत है चाहे मजदूर हो ,कारोबारी हो ,पेशेवर हो , पर दिल्ली इनकी आवाज की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती. यह सच है कि सीमित जगह होने के कारण जमीन ,जायदाद की किमते भी इस तरह आसमान पर पहुंची है कि बहुत समृद्ध लोगों के लिए भी आवास बनाना अब आसान नहीं रह गया है l जो लोग सुबह से लेकर शाम तक दिल्ली को समृद्ध बनाने में जुटे हैं l वे  ऐसी हैसियत में पहुंच ही नहीं पाते की यहां अपना घर बना पाए l इसलिए अक्सर ये लोग पड़ोसी जिलों में शरण लेने को मजबूर होते है ,और वहां के 'प्रॉपर्टी बूम ' का कारण भी बनते हैंl यह वैसे कोई नई बात नहीं दुनिया भर में यही होता आया है l आगे बढ़ते और तरक्की करते हुए नगर इसी तरह विस्तार पाते हैं और फिर महानगर में तब्दील हो जाते हैं l जो भी हो दोस्तों इस वैश्विक महामारी मे हर एक व्यक्ति योद्धा के रूप में लड़ रहा है यहां राज्य और केंद्र सरकार को तालमेल बनाकर चलने की जरूरत है l और एक अखंड भारत में ऐसी भेदभावकारी निति का मैं आलोचना करता हूं l क्योंकि केवल भारत ही नहीं आज पूरा विश्व इस वैश्विक महामारी के आतंक से परेशान है ,इसलिए हमें इस वैश्विक संकट की घड़ी में राज्य -केंद्र के साथ-साथ हम सभी का व्यक्तिगत नैतिक जवाबदेही भी है कि एक -दूसरे का अपने सामर्थ्य अनुसार मदद के लिए पहल करें l जैसा कि हम जानते हैं आज से 100 वर्ष पहले स्पेनिश महामारी जब फैली थी तो उस वक्त भी एक- दूसरे के साथ हर प्रकार से मदद और एकजुटता का ही परिणाम था कि पूरा विश्व स्पेनिश जैसी वैश्विक महामारी से निजात पाया l लेकिन  यह कैसी राजनीति है कि आप दूसरे राज्य का हो इसलिए आपका यहां इलाज नहीं हो सकता , आप दूसरे जाति -धर्म से हो इसलिए यह सुविधा आपको नहीं मिल सकता आप गरीब हो इसलिए नहीं मिल सकता आखिर इतना भेदभाव- कारी नीति कैसे लोग बना लेते हैं l जबकि हमारा उद्देश्य होना चाहिए हमेशा मानव विकास l  क्योंकि किसी भी देश का विकास समावेशी रूप से तभी हो सकता है ,जब सभी के लिए सामान कानून हो जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 14 में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा लेकिन जब इतने पढ़े -लिखे लोग इस प्रकार के कानून बनाते हैं तो मुझे बहुत दुख होता है l दोस्तों इसलिए मैं बोलता हूं इंडिया भारत और हिंदुस्तान तीनों अलग-अलग है और अपनी इस छोटी सी उम्र में मैंने इन तीनों को बहुत करीब से देखा खुद अनुभव किया और इन वंचित लोगों के लिए हमेशा लड़ता रहा हूं लड़ते रहूंगा अंतिम सांस तक l आप सब से भी मेरा विनम्र निवेदन है कि आप अपना और अपने परिवार का ध्यान रखें साथ ही अगर कोई वंचित यानी जरूरतमंद इंसान, जानवर आपके आंखों से कोई भी नजर आए तो अपने सामर्थ्य अनुसार जिस प्रकार से उसका मदद कर सकते हैं ,करने का जरूर प्रयास करें l

“आधे से अधिक बीमारी तो डॉक्टर के सांत्वना से ही ठीक हो जाते है।”

कवि विक्रम क्रांतिकारी(विक्रम चौरसिया -अंतरराष्ट्रीय चिंतक)
दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता /मेंटर
लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं l -स्वरचित ,मौलिक व अप्रकाशित । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित।  

Published by Rajesh Kumar verma 

Comments

Popular posts from this blog

महज सोलह दिनों में छह रेल सिग्नल-कर्मचारी कार्य करते हुए हो गए रन-ओवर

पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों को ब्लड फ़ोर्स टीम के सदस्यों द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग द्वारा किया गया आयोजित