"क्या आरक्षण अधिकार से ज्यादा राजनैतिक हथियार बनता जा रहा है ..?: कवि विक्रम क्रांतिकारी

"क्या आरक्षण अधिकार से ज्यादा राजनैतिक हथियार बनता जा रहा है ..?: कवि विक्रम क्रांतिकारी

 कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय   चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता /मेंटर

समस्तीपुर कार्यालय रिपोर्ट 

अपने भारत में राजनैतिक पार्टियां कभी भी किसी  मुद्दे पर एक नहीं होती ध्यान से देखें तो आज वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का मुद्दा हो ,चाहे सीमा विवाद का जैसे कि पाकिस्तान चीन से मुकाबला हो , चाहे देश की सुरक्षा का मुद्दा हो या फिर श्रमिकों के पलायन का विषय हो

लेकिन एक ऐसा मुद्दा है जिस पर सारी पार्टियां एक साथ आ जाती है और यह मुद्दा है , दोस्तों आप भी जानते हैं आरक्षण का मुद्दा

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 14 जून,2020 ) । अपने भारत में राजनैतिक पार्टियां कभी भी किसी  मुद्दे पर एक नहीं होती ध्यान से देखें तो आज वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का मुद्दा हो ,चाहे सीमा विवाद का जैसे कि पाकिस्तान चीन से मुकाबला हो , चाहे देश की सुरक्षा का मुद्दा हो या फिर श्रमिकों के पलायन का विषय हो, हम देखते हैं कि कभी भी देश की राजनैतिक पार्टियां कभी भी एकजुटता नहीं दिखाती l  लेकिन एक ऐसा मुद्दा है जिस पर सारी पार्टियां एक साथ आ जाती है और यह मुद्दा है , दोस्तों आप भी जानते हैं आरक्षण का मुद्दा . अपना भारत बड़ा अजीब देश है जहां आज वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के आतंक से पूरा विश्व परेशान है साथ ही अपने देश की हालात दिन- प्रतिदिन बदतर होती जा रही है l जिस महानगर को वर्ल्ड सिटी बनाने की बात होती थी ,जहां की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दंभ भरा जाता था वहां के हालात दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है, तो वही अब आरक्षण पर राजनीति शुरू हो गई अपने देश में, जबकि आज सभी पार्टियों को राज्य और केंद्र सरकार के साथ और साथ ही देश के हर नागरिक के साथ मिलकर समन्वय बनाकर इस वैश्विक महामारी से लड़ने की जरूरत है ,लेकिन इस पर एक साथ कोई नहीं आ रहे हैं l लेकिन जैसे ही आरक्षण की बात हुई सारी पार्टियां एक हो गई 
आज आरक्षण देखता हूं मैं की किसी पिछड़े व्यक्ति के अधिकार से ज्यादा राजनीति का हथियार बन चुका है l  यह सच है कि आजादी के बाद जब हमारे संविधान निर्माताओं ने आरक्षण लागू किया था, तो उस समय यह कहा गया था कि आरक्षण 10 वर्षों के लिए होगा और अगर जरूरत पड़ी तो आगे बढ़ाया जाएगा l दोस्तों आज आरक्षण किसी पिछड़े , गरीब व्यक्ति के अधिकार से ज्यादा राजनीति का हथियार बनता जा रहा है, मेरा कहना यही है कि जो व्यक्ति चाहे किसी भी जाति का हो अगर वह वंचित है मूलभूत आवश्यकताओं से उसको आरक्षण जरूर मिलना चाहिए l
जैसा कि हमने पिछले दिनों देखा आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए तमिलनाडु के अधिकतर राजनीतिक दलों ने एक गठबंधन बना लिया और सभी ने कहा कि 50% आरक्षण मिलना चाहिए l क्या आरक्षण अधिकार से ज्यादा राजनैतिक हथियार बन गया है मेरा सवाल सभी से है ...?
हम लोगों ने देखा कि कैसे प्रवासी मजदूरों पर राजनीति हुई और चीन  के साथ सीमा विवाद हो या वैश्विक महामारी कोरोना वायरस जो की तेजी से फैल रही है ,हम सब देख रहे हैं हालात दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है लेकिन इस पर देख रहा हूं कोई भी पार्टी एकजुटता नहीं दिखा रही है केवल राजनीति सभी कर रहे हैं और देश के नागरिकों के जान को जोखिम में डाल रहे हैं l
क्या यही लोक कल्याणकारी राज्य हैं ..?
मुझे लग रहा है कि जब तक देश के राजनैतिक दल आरक्षण का इस्तेमाल अपने राजनीतिक हितों के लिए करते रहेंगे और इसके विरोध या समर्थन में अपना फायदा नुकसान देखते रहेंगे तब तक  यह चलता रहेगा और इस पर कोई बात ही नहीं कर सकता है अगर हम इस पर बात करना शुरू करेंगे तो सवाल पूछने लगेंगे लोग की आप दलितों और पिछड़ों का विरोधी क्यों बन रहे है l 
जबकि दोस्तों हम समानता की बात करना चाह रहे हैं जैसे कि संविधान के अनुच्छेद 14 में भी लिखा हुआ है कि सभी बराबर है और सभी को बराबर का अधिकार मिलना चाहिए अगर कोई वंचित तबका है चाहे वह किसी भी जाति धर्म मजहब का हो उसको विशेष तौर पर मजबूत करने के लिए पहल करनी चाहिए ना की राजनीति करना चाहिए l 
हमारे देश में आरक्षण की व्यवस्था इसलिए होना चाहिए कि पिछड़े वर्ग के लोगों को चाहे वह किसी तरह से पिछड़े हो जाति, धर्म ,मजहब आर्थिक मेरा कहने का मतलब है कि किसी प्रकार से वंचित हो उनको आगे बढ़ने का हमें मौका देने की जरूरत है उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाया जाए l हम देखते हैं कि आज जाति के नाम पर वोट मांगना और आरक्षण मांगना एक फैशन सा बनता जा रहा है l नेताजी के लिए वोट मांगने के लिए यह एक अचूक फार्मूला सा बन गया है l हम सबको याद है कि पिछले कई वर्षों से देश के अलग-अलग हिस्सों में कई हिंसक प्रदर्शन हुए आरक्षण के लिए l दोस्तों मेरा कहने का मतलब है कि अपने देश में जाति के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए बल्कि आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए मेरा कहने का मतलब है कि अगर कोई विशेष अधिकार दिया जा रहा है तो अपने देश के सबसे पहले वंचित लोगों के लिए जो जरूरतमंद गरीब है चाहे वह गरीब किसी भी जाति का हो उसको विशेष अधिकार देने की जरूरत है l 
एक आंकड़े के मुताबिक देश की 70 से 75% आबादी आरक्षण के दायरे में किसी न किसी प्रकार से आती है .इसमें वे लोग भी शामिल है जो आर्थिक रूप से बहुत ही संपन्न है लेकिन आरक्षण का फायदा वह उठाते हैं l कई बार मैंने अपने दोस्तों के साथ देखा जिनके पिताजी उच्च पदों पर होते हैं पूरा परिवार संपन्न होता है लेकिन जब वह मेरा दोस्त कोई सरकारी फॉर्म भरने जाता है तो उसका ₹1 भी नहीं लगता है या बहुत कम लगता है वही जब हम भरते हैं फॉर्म तो मेरे को पूरा पैसे देना पड़ता है l ऐसे ही बहुत गरीब लोग होते हैं जो आरक्षण के दायरे में नहीं आते हैं मुश्किल से किसी प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म को भरते हैं या कभी कभी पैसे नहीं होते हैं फॉर्म भी नहीं कर पाते हैं वही जिनके पास बहुत ज्यादा संपत्ति होता है लेकिन वह आरक्षण के दायरे में आते हैं ,वह ₹1 भी नहीं देते हैं और उनका फॉर्म भरा जाता है l आखिर इतना भेदभाव क्यों?
दोस्तों देश को आगे बढ़ाने के लिए काबिलियत की जरूरत है l
आखिर हमारा देश सुपर पावर क्यों नहीं है ? शायद आपको इसका जवाब मिल गया होगा मेरे बातों से l
हमारे देश के नेता जी को लगता है कि आरक्षण के जितने  बीज बोएगे उतने ही वोटों की फसल काटेंगे. आपको बता दें कि आरक्षण को जातियों वाली राजनीति का औजार बनाकर हमारे नेता जी ने हम सबको 72 वर्षों से लूटते आ रहे हैं,और देश को भी लूट रहे हैं l  क्या हमारे देश से गरीबी हट गई है? आपका भी जवाब होगा नहीं जबकि सभी राजनैतिक पार्टियां गरीबी हटाओ की बड़ी-बड़ी नारा देती है ,लेकिन आज भी देश की 90% संपत्ति पर 10% लोगों का कब्जा है वही 90% देश के वंचित लोग 10% देश के संपत्ति पर किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं l दोस्तों हम आरक्षण के खिलाफ नहीं है बल्कि आरक्षण को सही तरीके से लागू करने के लिए बातें मै यह कर रहा हूं ताकि समाज के हर वर्ग के कमजोर व्यक्ति को इसका लाभ मिले मेरा कहने का मतलब है कि आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए होनी चाहिए अगर हम जाति के आधार पर करेंगे तो फिर समाज को बांट देंगे जबकि हम सब इंसान हैं और सभी बराबर हैं सभी परम पिता परमेश्वर के बच्चे हैं और जब इंसान बराबर है तो जातियों के आधार पर छोटा, बड़ा कहकर भेदभाव क्यों ?
मैं मानता हूं कि कुछ जातियों के साथ वर्षों तक भेदभाव किया गया है वह वंचित रह गए हैं उनके साथ प्रताड़ना हुई है उन को मजबूत करने के लिए पहल करना चाहिए l लेकिन जो मजबूत हो चुके हैं अब उनको क्या जरूरत है आरक्षण का ?
सरकार को हर वंचित या कह सकते कि सभी व्यक्ति को आत्म निर्भर बनाने के लिए पहल करना चाहिए कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए लोगों को इस काबिल बनाया जाए कि किसी को आरक्षण देने की जरूरत ही नहीं पडे़ l 
अगर हमें सच में राजनीति ना करके विकसित भारत को बनाना है तो शुरुआत हमें आज ही करते हुए किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करना होगा जैसे कि जिस स्कूल में कोई अफसर या मंत्री का बच्चा पढ़ने जाएगा ,उसी स्कूल में गरीब, किसान, मजदूर का भी  बच्चा पढ़ाई करेगा l जिस दिन ऐसा कर दिया गया देखना दोस्तों फिर हमें आरक्षण की जरूरत नहीं पड़ेगी और मेरे अनुसार अगले 20 वर्षों के बाद सभी लोग इतने मजबूत हो जाएंगे कि इतने काबिल हो जाएंगे कि किसी को कभी आरक्षण जैसी सुविधा की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और हमारा भारत फिर से सोने की चिड़िया होगा व विकसित देशों में गिना जाएगा l 
हमें अगर एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना है तो हमें देश के युवाओं को बराबरी का अधिकार देना होगा साथ ही जैसा कि हमने पहले बताया कि सभी बच्चे चाहे वह मजदूर ,किसान या अफसर, मंत्री का हो जब एक ही स्कूल में सबको एक ही शिक्षा और सुविधा मिलेगी तो सभी भेदभाव कुछ ही वर्षों में अपने आप खत्म हो जाएगा और फिर हमारा राष्ट्र पूरे विश्व में अग्रणी होगा l
आप सब से मेरा अनुरोध है कि इस वैश्विक महामारी में कोई भी वंचित तबका देखें अगर आप सामर्थ हैं तो अपने सामर्थ्य अनुसार उसका मदद जरूर करें , साथ ही एक राष्ट्र, समान शिक्षा सभी को मिले किसी के साथ कोई भेदभाव ना हो और जो वंचित हैं वर्षों से उनके उत्थान के लिए सरकार के साथ समन्वय बनाते हुए हम सबका भी नैतिक जवाबदेही है कि प्रयास करें l
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक)
दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता /मेंटर 
लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख  । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma 

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