"विश्व की गिरती अर्थव्यवस्था में भारत को अवसर"

   "विश्व की गिरती अर्थव्यवस्था में भारत को अवसर" 

                                                   कवि विक्रम क्रांतिकारी 

                                 दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता /मेंटर

जैसा कि हम जानते हैं कि भारत और चीन की जीडीपी 1987 में लगभग बराबर थी

आज चीन की जीडीपी भारत से 5 गुना ज्यादा है

भारत के आर्थिक विकास दर के नए आंकड़े आए हैं जिसके अनुसार वित्त वर्ष 2019 -20 मे भारत की जीडीपी की विकास दर 4.2% रही है l  

भारत सरकार का वित्तीय घाटा भी बढ़कर जीडीपी का 4.59% हो गया है लेकिन सरकार का लक्ष्य है कि इस घाटे को 3.8% तक रखा जाए यह तो वक्त बताएगा

@Samastipur Office Samastipur

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 03 जून,2020)। जैसा कि हम जानते हैं कि भारत और चीन की जीडीपी 1987 में लगभग बराबर थी. लेकिन आज चीन की जीडीपी भारत से 5 गुना ज्यादा है l  लेकिन दोस्तों अब कोरोना वायरस ने भारत को मौका दिया है ,की स्थिति फिर से बदला जाए और इस वैश्विक महामारी से उपजी आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल को अपने पक्ष में करते हुए इसको अवसर में बदल दे l वैसे दोस्तों इस वायरस ने भारत के अर्थव्यवस्था को भी कुछ बर्बाद किया है l पिछले दिनों भारत के आर्थिक विकास दर के नए आंकड़े आए हैं जिसके अनुसार वित्त वर्ष 2019 -20 मे भारत की जीडीपी की विकास दर 4.2% रही है l  दोस्तों यह आंकड़ा अपने भारत के लिए भी चिंता का विषय है l क्योंकि पिछले 11 वर्षों में भारत की आर्थिक विकास की रफ्तार सबसे कम हैं l दोस्तों भारत में मार्च के आखिरी सप्ताह में पहली बार लॉक- डाउन का ऐलान हुआ था l जिसके असर की वजह से आखिरी तिमाही में आर्थिक विकास दर कुछ कम हुई. लेकिन अप्रैल और मई में भारत में तमाम उद्योग धंधे पूरी तरह से बंद कर दिए गए l इसीलिए कह सकते हैं कि आने वाले तिमाही में विकास दर और कम रह सकता है , लेकिन अब देश को जिस प्रकार से खोला गया है जहां हॉटस्पॉट जोन  नहीं है देखते हैं आगे क्या होता है l अगर ध्यान से देखें तो भारत सरकार का वित्तीय घाटा भी बढ़कर जीडीपी का 4.59% हो गया है लेकिन सरकार का लक्ष्य है कि इस घाटे को 3.8% तक रखा जाए यह तो वक्त बताएगा l दोस्तों चीन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई हैl जबकि भारत की विकास दर अनुमान से 0.8% कम हुई है l जबकि इसी दौरान अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 5% की जबरदस्त गिरावट आई है l कह सकते हैं कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था इस समय माइनस में है l और अगर चीन की बात करें जो हमारा पड़ोसी है इसकी हालत बहुत खराब है, इस साल की शुरुआती 3 महीनों में चीन की जीडीपी 6.8% से ज्यादा घट गई l दोस्तों चीन ने 1992 से जीडीपी के आंकड़े जारी करना शुरू किया था , तब से लेकर अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है इसलिए हम कर सकते हैं कि भारत के पास यह मौका है कि अपने अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करते हुए विश्व में पहले स्थान पर आ जाए l वैसे भी चीन और भारत की जीडीपी 1987 तक बराबर ही थी ,फिर मौका हमें मिला है अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का l 
पूरी दुनिया आज अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने से परेशान है देखे तो  फ्रांस की जीडीपी जनवरी से मार्च के बीच 5.8% तक कम हो गई दोस्तों यह फ्रांस की जीडीपी में वर्ष 1949 के बाद के बाद आयी  सबसे बड़ी गिरावट हैं  l  वही  जर्मनी की अर्थव्यवस्था 2.2% तक सिकुड़ गई है l सभी देशों का विकास दर लगातार गिरता जा रहा है ,जीडीपी कि दर गिरती जा रही है इसलिए यही मौका है भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का l "ध्यान से देखो दोस्तों आज दुनिया के ज्यादातर देशों की आर्थिक विकास दर माइनस में है या पूरी तरह ठहर चुकी है, वही हमारे भारत में आर्थिक विकास दर पॉजिटिव में बनी हुई है "वैसे अभी अगला आंकड़ा आता है तब लॉकडाउन के असर का सही अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन हम अभी ध्यान दें तो बहुत कुछ बदल सकते हैं l दोस्तों समावेशी रूप से विकास की जरूरत है हमारे भारत में हमारे यहां समस्या यह है कि गरीब- गरीब होता जा रहा है अमीर और अमीर होता जा रहा है, भेदभाव बहुत ज्यादा है अपने देश के संपत्ति पर 90% लोगों का कब्जा है और 10% संपत्ति पर 90% लोग हैं इतना ज्यादा भेदभाव है l इसीलिए गरीब मजदूर और किसानों की हालात बदतर बना हुआ है l जबकि समावेशी विकास होना चाहिए अगर कोई किसान कोई सब्जी ,अनाज मेहनत करके उपजाता है तो उसका उचित मूल्य किसानों को नहीं मिलता पिछले दिनों ही बिचौलियों ने ₹1 किलो प्याज खरीद कर किसानों से 20 से ₹25 किलो मंडियों में बेचा गया और कुछ किसानों ने अलग-अलग राज्यों से देखने में आया कि अपने टमाटर और प्याजो को सड़कों पर फेंक दिए बोले की जितना मंडी में मैं ले जाऊंगा गाड़ी- भाड़ा लगाकर इतना लागत भी नहीं निकलेगा l दोस्तों मेरे बात को याद रखना हमारा देश कृषि प्रधान है l हमारे अन्नदाता वर्षों से घाटे की खेती करने के बावजूद भी आज तक हाथ खड़े नहीं किए जबकि 2 महीने में ही उद्योग -धंधे वाले हाथ खड़े कर दिए और देखना अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर हमारे अन्नदाता ही लाएंगे l इसलिए इनके लिए सुरक्षा कानून और इनकी अनाजों का उचित मूल्य मिलना चाहिए  दोस्तों आप के भी आंखों से कोई भी वंचित तबका दिखे और आप सामर्थ है उसका मदद करने के लिए तो करने का जरूर प्रयास करें क्योंकि एक दिन सब मिट्टी -मिट्टी हो जाएगा l  कोई यहां से बचके नहीं जा पाएगा,आगे -पीछे सबको इसी मिट्टी में मिल जाना  है l
कवि विक्रम क्रांतिकारी(विक्रम चौरसिया- अंतरराष्ट्रीय चिंतक)दिल्ली विश्वविद्यालय/आईएएस अध्येता /मेंटर ।लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे व वंचित तबकों की आवाज उठाते रहते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । 

Published by Rajesh Kumar verma

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