"बैकफुट पर आ ही गया चीन लेकिन भारत अब ना करेगा 1962 वाली गलती " :कवि विक्रम क्रांतिकारी

"बैकफुट पर आ ही गया चीन लेकिन भारत अब ना करेगा 1962 वाली गलती " :कवि विक्रम क्रांतिकारी 

समस्तीपुर कार्यालय 

भारत ने किस प्रकार से चीन पर डिजिटल स्ट्राइक किया यह आज पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है : कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता

भारत ने चीन पर पहली बड़ी चोट 59 चाइनीज एप्स पर प्रतिबंध लगाकर किया

इससे चीन के टेक्नोलॉजी कंपनियों को आने वाले वक्त में देखना लगभग 37 हजार करोड़ रूपये का नुकसान हो सकता है ,

भारत में चाइनीज एप्स को प्रतिबंधित कर देने के कारण चीन का सपना -सपना ही रह गया ।

नई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 07 जुलाई,2020 ) ।  भारत ने किस प्रकार से चीन पर डिजिटल स्ट्राइक किया यह आज पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है और भारत की तारीफ भी किया जा रहा है। पिछले दिनो भारत ने चीन पर पहली बड़ी चोट 59 चाइनीज एप्स पर प्रतिबंध लगाकर किया इससे चीन के टेक्नोलॉजी कंपनियों को आने वाले वक्त में देखना लगभग 37 हजार करोड़ रूपये का नुकसान हो सकता है ,  आपको जानकार  खुशी होगी कि चीन का टारगेट था कि केवल टिक -टॉक एप् के माध्यम से भारत से 2020 के अक्टूबर तक 100 करोड़ रूपये से अधिक कमाना था , लेकिन भारत में चाइनीज एप्स को प्रतिबंधित कर देने के कारण चीन का सपना -सपना ही रह गया ।
अब हमारा भारत आत्मनिर्भर बनने की तरफ चल दिया है , हम सब देख रहे हैं कि चीन पर से निर्भरता कम करने के लिए ही और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ही टेलीकॉम और रेलवे के क्षेत्र में चीन की कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट छीने जा रहे हैं , और साथ ही हाईवे और पावर सेक्टर में चीन की कंपनियों को एंट्री नहीं देने की बात हुई है । दोस्तों अब हम सब को भी अपने स्तर पर भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहल करने की जरूरत है साथ ही चीन की वस्तुओं को तो हमेशा के लिए बाय- बाय करना ही होगा हमें अब , हमने देखा कि कैसे हमारे प्रधानमंत्री जी ने चीन को सबसे कड़ा संदेश दिए जब लद्दाख का दौरा पर अभी गए थे तो साफ शब्दों में कहें कि भारत हर एक नापाक हरकतें करने वालों को जवाब देने के लिए सक्षम है और उसको उसी की भाषा में जवाब देंगा भारत ।
दोस्तों जो व्यक्ति या देश इतिहास से सीखते हैं , कहा जाता है कि वह लोग आगे गलतियां अक्सर नहीं किया करते हैं। इसी तरह हमारा भारत ने भी चीन के मामले में यही सीखा है . आप याद कीजिए आज वर्ष 1962 जब चीन ने इसी प्रकार की हरकतें किया था, उस समय भी चीन में गलवान घाटी से हटा था जरूर लेकिन चीन ने 100 दिनों के अंदर ही भारत पर फिर से हमला कर दिया धोखे से और यह युद्ध पूरे एक महीना चला जबकि चीन ने युद्धविराम का ऐलान भी किया, इसीलिए कह रहा हूं दोस्तों की हमें होशियार रहने की जरूरत है ,क्योंकि धोखेबाज चीन अपनी  नापाक हरकतें कभी भी कर सकता है। आज सरकार और सेना दोनों जानती हैं कि चीन  पर भरोसा करने लायक नहीं है , क्योंकि 1962 में भी गलवान घाटी का टकराव ही था और चीन के साथ उस वक्त युद्ध का पहला आधार बना था यही गलवान घाटी और दोस्तों आज भी सबसे बड़ी टकराव यही गलवान घाटी ही है , इसीलिए हम कह रहे हैं कि चीन  पर हम किसी तरह का भरोसा ना करें जो आज सरकार और  सेना भी अच्छी तरह जानते हैं इसलिए सरकार और सेना चीन के लिए हर तरह का तैयारी कर चुकी है । मुझे लगता है कि  चीन भ्रम में था कि अगर घुसपैठ  करता हूं तो भारत कुछ भी नहीं कर पाएगा और हमेशा की तरह भारत नरम ही रहेगा, लेकिन कुछ हीं समय में चीन को अब समझ गया है कि यह भारत 2020 का है जो भारत अब मित्रता निभाना जानता तो है लेकिन आंखों में आंखें डाल कर बात करना भी जानता है।
दोस्तों वैसे भी हमें अपने देश के संप्रभुता के साथ कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए। हम सब ने देखा कि कैसे 2 महीने के टकराव में जब चीन बातों से नहीं माना तब हम भारत ने चीन के खिलाफ हर तरह के करवाई कीये और साथ में एप्स से लेकर मैप्स तक और साथ में भारत ने हर जगह पर चीन को सीधा संदेश दिया कि भारत इस मामले में गंभीर है और अपनी  नपाक हरकतो  से बाज आ जाओ नहीं तो गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाओ।
दोस्तों आज आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर भारत ने चीन को कड़ा संदेश दे ही दिया है वही देखें तो कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत ने चीन को एक तरह से लगभग  अलग-थलग कर ही दिया है आज, और ध्यान से देखें तो चीन के  साथ इस टकराव में भारत की कूटनीति के सफलता भी बहुत  अधिक मायने रखता है । क्योंकि ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि आज दुनिया का कोई भी बड़ा देश चीन के साथ खड़ा नही है, और तो और चीन का जो नया दोस्त रूस है वह भी चीन के साथ खड़ा नहीं है बल्कि भारत के साथ खड़ा है ? आज हम देख रहे हैं कि अमेरिका जापान ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने तो खुलकर भारत के समर्थन में बयान दिया है  ।इसलिए आज  मैं यह कह रहा हूं दोस्तों कि यह सब चीन के खिलाफ भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक सफलता है।
लेकिन मुझे डर यह लग रहा है कि चीन  जिसे प्रकार से 1962 में अपने वादे से मुकरकर जैसे वार किया उसी तरह फिर अपनी नापाक हरकत ना कर दे । जिस प्रकार चीन अब वापस लौटने लगा है लेकिन हो सकता है जिस  तरह चीन का कोई समान या 1962 की तरह निकले जिसकी कोई गारंटी होती  ही नही है। अब हमें जरूरत है कि चीन के नापाक हरकतों पर नजर रखते हुए आत्मनिर्भर भारत को मजबूत बनाने की इसके लिए हमें मेड इन चाइना को छोड़ना होगा और मेड इन इंडिया अपनाना ही होगा। क्योंकि हम इसी तरीके से चीन को वादे पर अमल करने के लिए मजबूर कर सकते हैं ..?
आपको बता दें कि चीन पूरी दुनिया को नकली सामान बेचने के लिए जाना जाता है लेकिन चीन में वहां के राष्ट्रपति का नकल उतारना या उसके जैसा दिखना भी खतरे से खाली नहीं है। आपको बता दें कि  वर्लीन में एक ओपेरा सिंगर है जोकि सोशल मीडिया पर ऑनलाइन क्लासेस भी देता है, लेकिन चीन ने उसके सोशल मीडिया अकाउंट को बैंन  कर दिया क्योंकि जो सिंगर है वह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के हमशक्ल है इसीलिए चीन को यह बात पसंद नहीं आई ,आप ,सोच  कर देखो कि यह  सिंगर ना ही चीन मे पत्रकार है ना ही चीन में मानवाधिकारों की आवाज उठाने वाला कोई सामाजिक कार्यकर्ता है फिर आखिर क्यों ऐसा किया चीन ने ? अब आप सोच सकते  हैं कि पूरी दुनिया को नकली समान बेचने वाला चीन दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता है । क्या कोई हमशक्ल है इसलिए किसी को हमेशा के लिए बैन करना उचित है ? दोस्तों जो भी हो हमें अब सतर्क रहने की जरूरत है जब तक यह हमें पक्का पता नहीं हो जाए कि चीन अपना सैन्य साजोसमान  लेकर एलओसी पर से पीछे हट चुका है तब तक हमें सतर्क रहना है और अपने आप को आत्मनिर्भर बनाते हुए पूरे राष्ट्र को हमें आत्मनिर्भर बनाना ही होगा।
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक) दिल्ली विश्वविद्यालय /आईएएस अध्येता 
 लेखक सामाजिक आंदोलन से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहते हैं -स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित लेख । समस्त्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

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